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Deepti Garg

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Lata Sharma सखी

जिंदगी गुजरती है कई सारे स्टेशनों से,
कुछ में हम ठहरते हैं कुछ हममें ठहर जाते हैं,

सुनो! तुम मेरा ऐसा ही कोई स्टेशन हो,
जिसमें मैं जरा ठहरी तो वो मुझमें ठहर गया।

©सखी

©Lata Sharma सखी #स्टेशन

Neelam bhola

स्टेशन

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बचपन,जवानी,बुढ़ापा
जैसे स्टेशन हो कोई,
रेलवे स्टेशन!!
या रेलवे स्टेशन में सिमट आये हो ये दौर जिंदगी के,

सुबह का स्टेशन मानो
नन्हा बच्चा हो कोई,
कभी शांत,कभी चाय चाय की किलकारी
सा गूंजता,
सौंधी सी खुशबु लिये,
बच्चे कि हँसी सा,
कभी खिलखिलाता,कभी चुपचाप स्टेशन,

बचपन का सा स्टेशन,हल्के से आँख मूँदता-खोलता सा दिखता है,
न आने-जाने की होड़ कहीं,
आदमी ना भागता सा,ज़रा रुका सा दिखता है,

दोपहर होते होते स्टेशन पे भीड़ बढ़ती जाती है,
जवानी की ही तरह जिम्मेदारी 
हर तरफ नज़र आती है,
कहीं कूली,कहीं चाय,कहीं लोगों का सामान,
जवानी का पहर है,
ये है मुश्किल,है नही आसान,

चारों तरफ रिश्तों और जिम्मेदारियों की तरह लोग नज़र आते है,
ना जाने कहाँ जाते है,कहाँ से लौट के आते हैं,
कुछ न आने के लिये वापिस,
कुछ न जाने के लिये आते है,

जवानी भी कुछ इसी तरह के पहलुओं को समेटें है,
कहीं खड़े हैं लोग,कहीं बेबस से लैटे हैं,

बुढ़ापे की तरह ही ढलती है 
हर एक शाम स्टेशन पर,
कुछ लोगों के लिये खास,
कुछ लोगों के लिये आम स्टेशन पर,
बुढ़ापे की तन्हाई  की तरह,
स्टेशन की शाम भी तन्हा होती जाती है,
स्टेशन पे अब गाड़ी भी कुछ कम ही आती हैं,

न कूली,न चाय न साजो-सामान होता  है,
बुढ़ापे की ही तरह तन्हा स्टेशन,
हर रोज़ आम होता है।।।।

©Neelam bhola स्टेशन

Darsh Verman

स्टेशन

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स्टेशन सी हो गई है जिंदगी

जहाँ लोग तो बहुत हैं
      पर अपना कोई नहीं 💔 स्टेशन

Nidhi Pant

लंबे अरसे से घर में रहते हुए जब अचानक बाहर निकलो तो लगता है दुनिया कितनी आगे निकल चुकी है। और हम वहीं के वहीं हैं। पर सच तो ये है कि जो दुनिया हम  देख रहे हैं वो भी घर के अंदर जाने का ही इंतज़ार कर रही होती है।अंदर होते हैं तो बाहर जाने के बारे में सोचकर बाहर निकल आते हैं और बाहर से अंदर जाने की राह देखते रहते हैं। घर को हम सबने एक स्टेशन  मान लिया है, जो आने और जाने के बीच एक सुस्ताने भर की जगह है। कभी अगर शहर बदल लिया तो  स्टेशन भी बदल जाता है।दूसरी जगह जाकर भी वो घर  नहीं बन पाता।उसी तरह दुनिया वहीं की वहीं है बस चेहरे नए हैं। हम भी वहीं हैं और दुनिया भी।😊 #स्टेशन

Parasram Arora

आखरी स्टेशन.......

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अंततः 
जिंदगी  की   रेल 
वक़्त क़े  खामोश 
प्लेटफार्म  पर से  गुजरते  गुजरते 
एक  दिन   तो मुक़्क़मल   मंजिल  पर जा
पहुंची 
जहाँ   लिखा था 
"आगे  अब  और  कोई  स्टेशन  नहीं.... सिर्फ 

अँधेरी  गहरी  खाई  हैँ..... यही  उतरो  
अंतिम   छलांग  लगाकर 
जिन्दगी को  अलविदा  कह  डालो.. " आखरी   स्टेशन.......
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