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Parasram Arora

"विकासशील "   राष्ट्र  "विकसित "  होने की
दौड़ मे  शामिल चुका है
काश वो  थोड़ा  पीछे  मुड़कर  देख पाता
उन बेहिसाब  जिंदगीयों को भी  जो सडक
किनारे  फुटपाथों  पर  आज भी रेंगने क़े लिए
विवश हैँ....   आसमानी  चादर क़े  नीचे
नंगे  फुटपाथ  पर उनकी  फटी पुरानी
टाटपटिया  बहुत कुछ  कहना  चाहती है
लेकिन वे  फटेहाल मजदूर  अपने दुख की
लकीरों को  मुट्ठी मे भींच  कर  रखना  चाहता है
तब तक  ज़ब तक  ये  राष्ट्र  "विकासशील "  की
खंदक  से  निकल कर "विकसित " शिखर  तक
नहीं पहुंच जाता..... अभी तो इन्हे  खुदको
फुटपाथी   नींद क़े  हवाले  करना है  ताकि कल सुबह वेफिर  से  पथ्हर  डोने  क़े लिए  पर्याप्त
ऊर्जा   संग्रहित कर सके

©Parasram Arora विकासशील राष्ट्र........

विकासशील राष्ट्र........

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sudesh tomar

#Navratra2021 CONSUMER POWER: विकासशील देशों में महिला सशक्तिकरण https://stomadvisor.blogspot.com/2021/02/women-empowerment.html?spref=tw…

#Navratra2021 CONSUMER POWER: विकासशील देशों में महिला सशक्तिकरण https://stomadvisor.blogspot.com/2021/02/women-empowerment.html?spref=tw… #Woman #Women #womensday2021 #adventureplaces #consumerpower

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vishnu prabhakar singh

सभ्यता विकसित हो रही है
व्यपार की सभ्यता
न थोपी हुई
न थोपी गई
केंद्रीकरण के द्वार आयी
अवसर चिन्हित कर
जूझ रही है मुख्यधारा से
सनातन ही पदचाप लिए
तल की बैकुण्ठ हेतु
संविधान के व्यपार पर
परिवर्तन अवश्यम्भावी मान कर। थोड़ा हंस भी दिया करो,विकासशील से विकसित तो होते रहेंगे।

#मकानोंकेजंगल #collab #yqdidi  #YourQuoteAndMine
Collaborating with YourQuote Didi

थोड़ा हंस भी दिया करो,विकासशील से विकसित तो होते रहेंगे। #मकानोंकेजंगल #Collab #yqdidi #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi #yqbaba #yqpolitics #विप्रणु

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Ravi Shankar Kumar Akela

स्वस्थ जीवन शैली के लाभों में शामिल हैं:

विकासशील रोगों के जोखिम को कम करना ...

ऊर्जा के स्तर में बढ़त ...

डिप्रेशन कम करना और खुशी बढ़ाना ...

शरीर के वजन को बनाए रखने में मदद करना ...

आत्मविश्वास में वृद्धि ...

जीवनकाल में बढ़त ...

वित्तीय स्वास्थ्य में सुधार ...

आपको अनुशासित और संगठित बनाना

©Ravi Shankar Kumar Akela 
  #DiyaSalaai स्वस्थ जीवन शैली के लाभों में शामिल हैं:

विकासशील रोगों के जोखिम को कम करना ...

ऊर्जा के स्तर में बढ़त ...

डिप्रेशन कम करना औ

#DiyaSalaai स्वस्थ जीवन शैली के लाभों में शामिल हैं: विकासशील रोगों के जोखिम को कम करना ... ऊर्जा के स्तर में बढ़त ... डिप्रेशन कम करना औ #समाज

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vishnu prabhakar singh

कहाँ है कोना,विस्तृत गगन का
जहाँ रोता है समय,काल के कंगाल पर

कहाँ है युवा देश,सोलह सिंगार का यौवन
छटक नहीं रहा कुरुक्षेत्र,देश के व्यपार पर

कहाँ है निर्मित विधान,योगदान का कर
कृषि नहीं फल रहा,किसानों के हजार पर

कहाँ है पृष्ठ भूमि,जनसँख्या के उबार का
लोगों का तंत्र,समभाव चुप्पी के दरबार पर

कहाँ है विनिवेश,मूल-मंत्र का सुधा रस
एकल खिड़की के मानसिकता के बघार पर

कहाँ है अनिवार्य शिक्षा,विकासशील समाज का   
संघीय सौतेला पन,भ्र्ष्टाचार नकल के कगार पर

कहाँ है नव भारत,आशा की किरण
स्वीकार नहीं जो,ऐतिहासिक विडम्बना के आधार पर!
 मतदान पश्चात कुछेक शेष!

कहाँ है कोना,विस्तृत गगन का
जहाँ रोता है समय,काल के कंगाल पर

कहाँ है युवा देश,सोलह सिंगार का यौवन
छटक नहीं रहा कुर

मतदान पश्चात कुछेक शेष! कहाँ है कोना,विस्तृत गगन का जहाँ रोता है समय,काल के कंगाल पर कहाँ है युवा देश,सोलह सिंगार का यौवन छटक नहीं रहा कुर #Politics #musings #bihar #yqbaba #yqdidi #Dinkar #pmoindia #विप्रणु

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vishnu prabhakar singh

'देश रंग'

इस होली, 
केवल राजनीति के रंग 
भगवा,हरा,लाल,और काला 
कुछ चढ़ता नही,कुछ ऊतरता नहीं 
अनेक रुप-रंग,और 
इन सबों का निर्मित मिश्रण 
इस होली।
दहन पश्चात उल्लास
नजदीकियों का पर्व 
अपने लाम-लपेट में बहका 
मदमस्त,भूख से भरा 
जीविका में खोये समाज की भंग गोली 
मिश्रित होली,
राजनीति तेज,विकास मध्यम, देश विकासशील,और
उन्मत्त होली!
गरीबी से हल्का गहरा रंग मुख्यधारा 
सुधार की रंगत लिये फागुन 
नीयत की क्रिया चक्र में घूमता गुलाल 
प्रतीक्षा रूपी धुंध सा 
गर्दम-गोल धुरखेल 
अंत नहीं 
जैसे,आँखों में चुभता बनावटी रंग अवरोही
हतोत्साहित पिचकारी बडी 
मुद्दतों से खाली पडी मुद्दा 
पकवानों के भीड में 
खाली पेट सोया मलमल 
लाल-लाल धब्बो से भरा गया,बासी होली 
चुहलबाजी की आदर्श हमजोली 
मिश्रित होली । होली की अशेष शुभकामनाएँ।।💟🙏💟


'देश रंग'

इस होली, 
केवल राजनीति के रंग 
भगवा,हरा,लाल,और काला

होली की अशेष शुभकामनाएँ।।💟🙏💟 'देश रंग' इस होली, केवल राजनीति के रंग भगवा,हरा,लाल,और काला #musings #yqbaba #yqdidi #miscellaneous #विप्रणु #पटनाकीहोली

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vishnu prabhakar singh

'जय भारती'
यह जो मेरी सरकार है
बड़ी शीघ्रता में है
आज जो वर्तमान है
वो भूत का हिस्सा होता
इस अंकुश शीघ्रता में है
वो तो सरकार तत्पर है
पांच को पचास वर्ष नहीं लगे
चुनावी लोकतंत्र में
सम-समुन्नता का धाक रहा है
जो प्रयत्न बन प्रदर्शित है
पारदर्शिता समर्पित है
उखाड़ फेंकने की शीघ्रता है
सबसे बड़े संविधान के बल
जेल भरने का महत्व है
मूल अधिकार हेतू
मिट्टी विद्रोह है
संघर्ष का इतिहास को
कल्याण के वर्तमान में
परिणित करने की शीघ्रता है
पंथनिरपेक्षता के धरातल पर
कर्म पथिक बढ़ें
नागरिकता की पूंछ पकड़े
धर्म वैतरणी में गोते लगाएं
राष्ट्र धर्म को स्वर्ग बता
विकसित हो जाएं
विकासशील से नहीं चलेगा
सघन अग्निवीरों की कमर कसाएं
शीघ्रता का व्यापार चलाएं
अमृत महोत्सव मनाएं
हर घर तिरंगा फहराएं
अपनी सरकार को टॉर्च दिखाएं। Are you awake?


जय भारती'

यह जो मेरी सरकार है
बड़ी शीघ्रता में है
आज जो वर्तमान है

Are you awake? जय भारती' यह जो मेरी सरकार है बड़ी शीघ्रता में है आज जो वर्तमान है #Politics #yqbaba #philosophy #yqdidi #yqhindi #विप्रणु

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vishnu prabhakar singh

क्यूँ कर विचार बनते व बिगड़ते हैं
क्यूँ कर मानव आहत हो सावधानी बरतता है
क्यूँ क्रोध आता है
क्यूँ प्रेम होता है
जीवन पर्यंत अनेक भाव से साक्षात्कार या नियति
या
केवल आश्रित जीवन चरित्र
क्षण हैं तो घटनायें होंगी
घटनायें घटेंगी तो अनुभव होगा
अनुभव बेहतर विचार बनेगा
विचार बनेंगे और बिगड़ेंगे
स्थिरता के अस्तित्व का क्या
स्थिरता जड़ता है
तो वृक्ष क्यूँ स्थिर
धार्मिक पुस्तकें क्यूँ स्थिर
इतिहास क्यूँ स्थिर
विनाश क्यूँ स्थिर
विकास का क्या
यह कैसा मूल मंत्र
जो दिवस एक में आहत किये बिना नहीं छोड़ता
क्यूँ मूलता को जंगल राज कह कर सम्बोधित करते हो
सुरक्षा के दृष्टिकोण से
व्यवस्था की सुरक्षा 
क्यूँ क्या व्यवस्था स्थिर है
या
स्थिरता का अस्तिव नहीं।
मानव एक विचित्र प्राणी मात्र है
पूरा खेल है
'प्रकृति'
पथ पर रहो यदि जीवन बितानी है
ऊंच नीच की निश्चलता लिये
विकल्प नहीं है...विकासशील है... मौज नहीं है
कथित सजगता ने उसे खा लिया है!

#विप्रणु #yqdidi #yqbaba #musings #life 
क्यूँ कर विचार बनते व बिगड़ते हैं
क्यूँ कर मानव आहत हो सा

मौज नहीं है कथित सजगता ने उसे खा लिया है! #विप्रणु #yqdidi #yqbaba #musings life क्यूँ कर विचार बनते व बिगड़ते हैं क्यूँ कर मानव आहत हो सा

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अशेष_शून्य

पाषाण से कठोर पुरूष 
प्रेमी बन जाने पर
पलाश की पंखुड़ियों से
कोमल हो जाते हैं ।
वहीं
पंखुड़ियों सी कोमल स्त्रियां
प्रेमिका बन जाने पर
पाषाण सी कठोर (सुदृढ़)
हो जाती हैं।।
-Anjali Rai
(शेष अनुशीर्षक में ) पाषाण से कठोर पुरूष 
प्रेमी बन जाने पर
पलाश की पंखुड़ियों से
कोमल हो जाते ;
जिस पर उभरती है ममत्व 
और वात्सल्य की किर्मीर आभा!!

वहीं पंखुड़

पाषाण से कठोर पुरूष प्रेमी बन जाने पर पलाश की पंखुड़ियों से कोमल हो जाते ; जिस पर उभरती है ममत्व और वात्सल्य की किर्मीर आभा!! वहीं पंखुड़ #yqbaba #hindipoetry #yqdidi #yqaestheticthoughts #paidstory #अशेष_शून्य

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vishnu prabhakar singh

राष्ट्र पर्व का उल्लास है
हमारी एकता का पर्व
प्रदर्शन भाव आश्रित हो
इस बार स्पष्टता चाहता है
पारंपरिक अनुभूति से
रीति का वो रसायन चाहता है
जो हमारी मौलिकता है
जो अचानक से विकासशील होते-होते
नष्ट नहीं हुआ है, विलुप्त नहीं हुआ है
शंका भर भ्रष्ट हुआ, थोड़ा अपवित्र हुआ
अब भड़क रहा है, अग्नि धारित है
जला रहा है अपरिचित स्तर को पूर्वी मान
मन बना रहा है, गौण है
स्वतंत्रता दिवस पर
पवित्र गंगा का चौखट छुकर
विशुद्ध हो रक्षा में आक्रमण करेगा
सब एक बोली बोलेगा
दस मुंह वाले का मर्दन होगा
तथाकथित रसायन का विसर्जन होगा
चेतन युद्ध होगा, चैतन्य का आह्वाहन होगा
नवग्रह प्रतिष्ठित होंगे
झंडे से एक पुष्पांजलि
श्रद्धा सुमन अर्पित होगा
विष्णु का अवतार होगा
तिरंगा लहरायेगा ।। हम अपनी गति पाएंगे!
🌻🌻💟🇮🇳💟🌻🌻

राष्ट्र पर्व का उल्लास है
हमारी एकता का पर्व
प्रदर्शन भाव आश्रित हो
इस बार स्पष्टता चाहता है
पारंपरिक अनुभूति

हम अपनी गति पाएंगे! 🌻🌻💟🇮🇳💟🌻🌻 राष्ट्र पर्व का उल्लास है हमारी एकता का पर्व प्रदर्शन भाव आश्रित हो इस बार स्पष्टता चाहता है पारंपरिक अनुभूति #Inspiration #IndependenceDay #yqdidi #YourQuoteAndMine #स्वतंत्रतादिवस #मोलस्वतंत्रताका #विप्रणु

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vishnu prabhakar singh

देश विकासशील है
सब अपने काज में हैं
ईमान,बेईमान को पोस रहा है
बेईमान,ईमान को कोस रहा है
किसान हल चला रहा है
मौसम के विपरीत
देश की हवा में नमी ढूंढता।
कृषि प्रधान देश की मिट्टी,
मृदा जाँच और उन्नत बीज में दबी
जैसे,मिट्टी पचाऊ और व्यवस्था उपजाऊ।
किसान समय लगा रहा है
कृषि सलाहकार हाजरी लगा रहा है
किसान ना तो आश्रित था,ना है,ना रहेगा
उसे दो पैसे की स्वाधीन बचत की आदत
किसान जानता है,लूट मची है
पर,वह खिलाना जानता है
आशा की किरण,
सबसे पहले उसे ही दिखता है
उसका भोर जागता है,
उसका रात सोता है,
वो परिवार बोता है,
गरीबी काटता है
ना जाने,बोल क्यूँ नहीं पाता
खतियानी जमीन अभिशाप बन गई
साधन वगैर हल किसान के कंधों पर लटका है
सरकार ताक में थी,है और रहेगी
हे धरती मइया सरकार की छांक पूरी कर दो! नीति के मारे,किसान पुकारे
अन्न लो,मत लो पर मौसम दो।।
किसान दिवस की शुभकामनाएँ🇮🇳

देश विकासशील है
सब अपने काज में हैं
ईमान,बेईमान को पोस रहा

नीति के मारे,किसान पुकारे अन्न लो,मत लो पर मौसम दो।। किसान दिवस की शुभकामनाएँ🇮🇳 देश विकासशील है सब अपने काज में हैं ईमान,बेईमान को पोस रहा #Inspiration #yqbaba #yqdidi #बीजेपी #विप्रणु #कृषिविकास

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Divyanshu Pathak

21वीं सदी के इन 20 वर्षों में दुनिया के बाकी 142 देश शानदार प्रगति कर रहे हैं जिनमें - चीन ब्राजील रूस इंडोनेशिया तुर्की केन्या दक्षिण अफ्रीका के साथ हमारा भारत भी शामिल है ।
इस विकास की हमारे देश ने बहुत बड़ी कीमत चुकाई है।
आबादी की बेलगाम बढ़ोतरी और अनियंत्रित अनियोजित औद्योगिकीकरण ने कई शहरों को पर्यावरणीय नर्क बना डाला और तमाम नगर इसी राह पर चल रहे हैं।
देश के 88 में से 75 जॉन बुरी तरह प्रदूषित हो चुके हैं और पवित्र नदियों का पानी नहाने लायक भी नहीं बचा है। 💕🙏#नमस्कार 💕🙏
:
बढ़ती जनसंख्या के दबाव और अंधाधुंध तरीके से औद्योगिकीकरण व शहरीकरण की मार झेल रहे हमारे देश में इन समस्याओं से निपटने के नाम

💕🙏नमस्कार 💕🙏 : बढ़ती जनसंख्या के दबाव और अंधाधुंध तरीके से औद्योगिकीकरण व शहरीकरण की मार झेल रहे हमारे देश में इन समस्याओं से निपटने के नाम #पंछी #पाठक #हरे #इक्कीसवींसदीकेयेबीसबरस

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3a9244948418c6c488c13202e70e69a2

Anil Ray

पुरुष की एक संज्ञा उसका पौरुष और
अदम्यता से परिपूर्ण अद्भुत साहस है।

यह साहस अतिश्योक्ति और दुष्स्वरुप
धारण कर पाशविकता में परिवर्तित...
पुरुष सत्ता ही स्त्री शक्ति से श्रेष्ठ है...!
और पुरुष सत्ता के समर्थक सदैव ही
इसी रूप का अन्यायोचित उपयोग
सतत रूप से सदियों से प्रचलित भी है।

परन्तु...पुरुष हर्षोल्लास से खुशी मनाये
वह सदा ही विकास क्रम में स्त्रियों से
पिछड़ा हुआ अविकसित व विकासशील है।
जिस दिन पुरूष सच में विकास प्राप्त कर
पुरुषोत्तम स्वरुप में होगा वह स्त्री ही है।

दरअसल वात्सल्य, प्रेम, दया एवं कोमलता
से ही इस सृष्टि का संरक्षण सम्भव है और
यह सब स्त्रियों के सद्गुण है पुरुषों के नही।
स्वभाव का एक ओर नाम है प्रकृति..और
जिसकी प्रकृति विकृत उसकी सृष्टि भी।
अजीब है ऐसी विकृत मानसिकता वाले लोग
इस महासृष्टि से अपना एकाधिकार चाहते है।

जो पुरुष किसी स्त्री की आबरू को संरक्षण
नही देता अथवा प्रयास ही नही करता है...
वह पुरुष माँ का पुत्र, बहिन का भाई या फिर
पत्नी का पति अथवा क्या महिला-मित्र
कहलाने का न्यायिक अधिकारी है???

दोस्तों बंदिशें चारदीवारों की नही है
चारदिवारी में बंद तहज़ीब की है वरना..
यह सृजन प्रकृति तो अपनी हैसियत
गर्भावस्था के दौरान भी दिखा सकती है
तुम साहस को अपनी निजी सम्पत्ति का
ख्याल भी मन से निकाल फेक दो...

अगर स्त्री प्रकृति है तो क्यों नही पुरुष
इस प्रकृति में समर्पित भाव को लेकर
पूर्णतः स्वयं को समाहित कर दे ताकि
सृष्टि सुरक्षित और रमणीय रहे सदा।

©Anil Ray
  🩷🩷🩷 स्त्री प्रकृति या प्रकृति स्त्री 🩷🩷🩷

पुरुष की एक संज्ञा उसका पौरुष और
अदम्यता से परिपूर्ण अद्भुत साहस है।

यह साहस अतिश्योक्ति और दुष्स

🩷🩷🩷 स्त्री प्रकृति या प्रकृति स्त्री 🩷🩷🩷 पुरुष की एक संज्ञा उसका पौरुष और अदम्यता से परिपूर्ण अद्भुत साहस है। यह साहस अतिश्योक्ति और दुष्स #कविता #Anil_Kalam #Anil_Ray

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Abhishek Tiwariz

जब दुनियां को जीत सकते हैं प्यार से,
तो लड़ाई-जंग क्यों जरूरी है,
जब रह सकते हैं संभाव से,
तो भेद भाव क्यों जरूरी है,
जरूरी है इंसान का इंसान होना,
और सबको एक बराबर समझना,
या यूं कहो इंसान को इंसान समझना,
और फिर उस इंसान को बराबरी का हक दिलाना,
 जहां रोटी,कपड़ा और मकान से ज्यादा जरूरत,
इंसानी जज़्बातों की है,
जहां कोई दूसरा सीरिया, 
इराक़ या अफगानिस्तान बनाने की चाह ना हो,
और ना ही जहां नया मुल्क बनाने की चाह हो,
चाह हो तो बस इंसानियत को पनपने देने की,
 जहां एक पागल कुत्ता भी आराम से रह सके,
और एक समझदार इंसान भी,
या यूं कहें कि एक पागल आदमी और एक समझदार कुत्ता,
दोनों आराम से रह सकें,
क्यों की समझदार, विकासशील इंसान ने तो,
विकास के नाम पर, वन उपवन, प्राकृतिक नियम,
 तौर तरीकों को ही बदल डाला है,
और समझदारी तो पूछिए ही मत,
हर गली कूचों में समझदारी कदम कदम पे
गिरे प्लास्टिक, कांच, कूड़े करकट के रूप में दिखती है,
और अगर कुछ नहीं दिखता है तो वो है,
धारा की धमनियों में घुला हुआ ज़हर,
जो तेज़ी से समझदार इंसान की वजह से,
धरा और जीवन के अविरल प्रवाह में,
विष बन के दौड़ रहा है,
एक ऐसा विष जो कभी
पानी, वायु या रेडिएशन के द्वारा ना सिर्फ़ मनाव सभ्यता,
परन्तु संपूर्ण जीव जगत को लील रहा है,
और विकास के नाम पे हम कभी अंतरिक्ष,तो कभी धरा पर,
या समुद्र के अंदर मंथन कर कोई पुल, टनल या अंतरिक्ष यान भेज,
अपने नव मृत्यु के समान के बन ने पर तालियां बजा रहे हैं
Abhishekism 💕 जब दुनियां को जीत सकते हैं प्यार से,
तो लड़ाई-जंग क्यों जरूरी है,
जब रह सकते हैं संभाव से,
तो भेद भाव क्यों जरूरी है,
जरूरी है इंसान का इंसा

जब दुनियां को जीत सकते हैं प्यार से, तो लड़ाई-जंग क्यों जरूरी है, जब रह सकते हैं संभाव से, तो भेद भाव क्यों जरूरी है, जरूरी है इंसान का इंसा #Poetry #Love #peace #world #poem #poems #different #poetic #environment #poeticworld #poeticatma

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Divyanshu Pathak

भारत का संघर्ष
‘गरीबी में आटा गीला’
जैसी स्थिति से जूझने जैसा है।
हमारे सामने अधिकांश पश्चिमी देश 
विकसित देशों की श्रेणी में आते हैं।
भारत विकसित नहीं है। #सुप्रभातम #विज्ञान_का_ताण्डव के साथ #पाठकपुराण के साथ एक विचार जो #गुलाब_कोठारी जी ने दिया मैं उनके विचार से आपको अबगत कराता हूँ।
:
आर्थिक

#सुप्रभातम #विज्ञान_का_ताण्डव के साथ #पाठकपुराण के साथ एक विचार जो #गुलाब_कोठारी जी ने दिया मैं उनके विचार से आपको अबगत कराता हूँ। : आर्थिक

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Divyanshu Pathak

💠 अंतरजातीय विवाह की उलझन क्रमशः - 03 💠


मात्र कानून बना देना विकास नहीं है।
अभी मन्दिर-मस्जिद के झगड़ों से
हम बाहर नहीं आए।
आरक्षण ने जातियों के नाम पर
अनेक विरोध के स्वर खड़े कर दिए।
जब हमारी सन्तान हमारे साथ
किसी जाति के विरोध में लड़ती है,
हिंसक हो जाती है, तब क्या वह लड़का
विरोधी जाति की लड़की का
पत्नी रूप में सम्मान कर सकेगा।
 💠 क्रमशः - 03 💠
लड़की भी हजार गलतियां करने के बाद भारतीय है। मन में कुछ लज्जा का भाव होता है। जब किसी सभ्य परिवार की लड़की असभ्य परिवार से ज

💠 क्रमशः - 03 💠 लड़की भी हजार गलतियां करने के बाद भारतीय है। मन में कुछ लज्जा का भाव होता है। जब किसी सभ्य परिवार की लड़की असभ्य परिवार से ज #विवाह #समाज #संस्कार #शिक्षा #पंछी #संस्कृति #अंतरजातीय #पाठकपुराण

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Divyanshu Pathak

बड़ी तेजी से फॉलोवर्स बढ़े और अब घट रहे हैं।

कन्फ्यूज्ड हैं या उनको पसन्द का मसाला नही मिला।

मैंने भी पिछले पंद्रह दिन से तड़का नही लगाया।

खिचड़ी बनकर तैयार हो तड़का तो तब लगे!

बैसे भी ढाबे रेस्टोरेंट और होटल्स स्टाल बंद थीं।

खैर मुद्दे की बात पे आते हैं- #लॉक_डाउन_04 के साथ अब हम जीवन को पटरी पर लाने की कवायद में लग गए हैं।
#WHO ने भी दुनियाभर को ख़ूब भरमाया है। सेनेटाइज करने का निर्देश दिया औ

#लॉक_डाउन_04 के साथ अब हम जीवन को पटरी पर लाने की कवायद में लग गए हैं। #Who ने भी दुनियाभर को ख़ूब भरमाया है। सेनेटाइज करने का निर्देश दिया औ #coronavirus #अनफॉलो #पाठकपुराण #सार्वजनिक_अनुशासन_की_कमी_एवं_अशिक्षा #रूलफॉलो

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Shri Narayan Shukla

 प्रकृति के समक्ष मानव लाचार हो जाता । मानव विकासशील के पथ पर अग्रसर होने के लिए । प्रकृति के साथ खिलवाड़ कर रहा है देशों की जनसंख्या वृद्धि

प्रकृति के समक्ष मानव लाचार हो जाता । मानव विकासशील के पथ पर अग्रसर होने के लिए । प्रकृति के साथ खिलवाड़ कर रहा है देशों की जनसंख्या वृद्धि

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Shri Narayan Shukla

 प्रकृति के समक्ष मानव लाचार हो जाता । मानव विकासशील के पथ पर अग्रसर होने के लिए । प्रकृति के साथ खिलवाड़ कर रहा है देशों की जनसंख्या वृद्धि

प्रकृति के समक्ष मानव लाचार हो जाता । मानव विकासशील के पथ पर अग्रसर होने के लिए । प्रकृति के साथ खिलवाड़ कर रहा है देशों की जनसंख्या वृद्धि #nojotophoto

5 Love

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मेरी आपबीती

गरीबी 
©आराधना 
(अनुशीर्षक जरूर पढ़ें ) हम सब जानते है कि विकासशील देशों में बहुत ग़रीबी होती है ,रोजमर्रा की तरह बाजार गई थी तब  ये दृश्य देख मेरा हृदय द्रवित हो उठा , अपना सब कुछ

हम सब जानते है कि विकासशील देशों में बहुत ग़रीबी होती है ,रोजमर्रा की तरह बाजार गई थी तब ये दृश्य देख मेरा हृदय द्रवित हो उठा , अपना सब कुछ #Poetry #Hindi #writersofinstagram #kavita #twoliners #hindilove #sahitya #zindagigulzarhai #hindinama #loveforwriting #विचार #hindisahitya #doalfaaz #instapoem #banarasiya #panktiyaan #bhartiya_naari #shabdanchal #hindipanktiyaan #2panktiyaan #ishqbanaras #hindifans #hindifollowers #ankahealfaaz #aaruswrites #meri_aapbeeti_ #aabha_writes #sadhana_vinayak_ingle

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Vibha Katare

" सर्वनाम का अत्याधिक प्रयोग व्यर्थ भ्रम की उत्पत्ति का कारक होता है । जहाँ संज्ञा आवश्यक है वहाँ सर्वनाम को आराम ही करने दीजिये । "
                                 - सर्वनामों से त्रस्त एक संज्ञा

सर्वनाम की सम्पूर्ण व्यथा और कथा अनुशीर्षक में पढ़िए। संभवतः आदिकाल में जब प्रकृति विभिन्न स्तरों पर सृजनरत थी, तब भाव और संवादों की नवकोपल भी भाषा रूपी तरु के उद्भव की ओर अग्रसर रही होंगी और सं

संभवतः आदिकाल में जब प्रकृति विभिन्न स्तरों पर सृजनरत थी, तब भाव और संवादों की नवकोपल भी भाषा रूपी तरु के उद्भव की ओर अग्रसर रही होंगी और सं #yqdidi #hinditales #व्याकरण #Rant #संज्ञा #सर्वनाम #भाषाज्ञान

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