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Divya
"Patriotism is greater than anything you give back to your country." ©Divya #JallianwalaBagh Patriotism #patriotic
Anushka
बलिदानी हुआ जंग में बेटा, कौन उसे समझाता बिलख-बिलख कर रोई मइया, कौन कहेगा माता! कहती थी जिसको दिल का टुकड़ा कहती थी जिसको कलेजा हाथ से अपने टीका लगाकर जंग में उसको भेजा देख के बर्दी मन माता का अंदर से इतराता कौन उसे समझाता, कौन कहेगा माता बलिदानी हुआ जंग में बेटा.... सिंह की भांति गरज गरज कर रिपु का रक्त बहाया भारत माँ के चरणों में फिर अपना शीश चढ़ाया गरज से उसकी दिल दुश्मन का अबतक है थर्राता कौन उसे समझाता, कौन कहेगा माता बलिदानी हुआ जंग में बेटा.... शौर्य और आँसू का बादल आसमान में छाया राष्ट्रध्वजा में लिपट के बेटा गांव में वापस आया खेल नियति का हाय माँ को कुछ भी समझ न आता कौन उसे समझाता, कौन कहेगा माता बलिदानी हुआ जंग में बेटा.... - अमृतेश ©Anushka #patriotic #patriotism Amritesh Babu
Shubham36
Koi Hindu hai , To koi Musalman hai, Koi Brahmin hai, to koi dalit hai, dhundhne nikla jab hindustani ko, payi 26 jan ya 15 aug ko ye bahar hai. ek sharmindagi bhara sach... #truth #india #castism #patriots #patriotism
Abhishek dhandhi
"शोलों पर चलकर जिन्होंने शौर्य पराक्रम की ज्वाला सुलगाई थी" "वो भगतसिंह सुखदेव राजगुरु थे जिन्होंने इस माट्टी खातिर शहीदी गले लगाई थी" © अभि #nojoto #patriotic#bhagatsingh #hindipoetry #instagrampoetry #patriotism
मुंशी पवन कुमार साव "शत्यागाशि"
था अरमां बलिदानों की पंक्तियों में, पंक्तिबद्ध हो जाने का। पर मौका न दी बदक़िस्मती ने, अपना ही फर्ज निभाने का। #patriotism #patriotic #deshbhakti #balidan #deshprem #shatyagashi
मुंशी पवन कुमार साव "शत्यागाशि"
कतरा-कतरा ख़ून से सींच कर, केसरिया सा हम छाये हैं। शांति संदेश के शांत भाव को, श्वेत रंग संग हम आये हैं। हरित हो कण-कण बसुधा का, यही प्रण हरा संग लाये हैं। चक्रअशोक की चौबीस तीलियों संग, मानव गुण सब लाये हैं। तब जाकर हम विश्व जगत में, तिरंगा ध्वज फहराए हैं। #republicday #independenceday #patriotism #patriotic #tiranga #nationalflag
यशवंत कुमार
वीर क्रांतिकारी। सब त्याग कर वो चल पड़े, स्वतंत्रता की जिद कर। खरा उतरने को, परतंत्र देश की उम्मीद पर। बांधकर सर पे कफ़न, और हथेलियों पे जान ले। लाने को नया बिहान, हर बाधा को जीतकर। जिनकी आन,बान, शान से; अंग्रेजी हुकूमत घबरा गई। गोलियाँ जिनके वक्षों को भेद, मारे शर्म के पथरा गईं। कारागृह की अंधेरी कोठियों में भी, जिन्हें रौशनी का भान था। जिनकी मंद मुस्कान, सम्मुख खड़ी मृत्यु को भरमा गई। जिनके रोम-रोम में जोश था, और रगों में इंकलाब था। जिनकी आँखों में बेड़ियाँ थीं, और दिलों में सैलाब था। रोटियों की नहीं, जिन्हें देश की आज़ादी की भूख थी। जो कहीं बालक खुदीराम था, तो कहीं वीर अशफ़ाक था। जाति, धर्म, आयु, लिंग; अमीरी-ग़रीबी और ऊँच-नीच। सबके ऊपर उठकर वो, मुठिया बाँध; जबड़े भींच। कूद पड़े महासमर में, परवाह सारी छोड़कर। जिनके त्याग और बलिदानों ने; लाई है आजादी खींच । जिनके लबों पे वंदे मातरम् !, और दिलों में हिंदुस्तान था। जिनकी लेखनी में आग थी, और लहू में बलिदान था। उन वीर क्रांतिकारियों को, शत्-शत् नमन है मेरा। देश ही जिनका आत्मबल, और देश ही जिनका प्राण था। #patriotism #patriotic #deshbhakti Happy Independence day!