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Hemant Samadhiya
अर्जी ================ काम कपट अरु क्रोध तें, हिय जरत विषय की आग। मैं आयो प्रभु शरण तिहारी, हरलो मोहजनित सब राग।। -हेमंत समाधिया✍ ~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~ मैं माँगूँ प्रभु आपसे, सद्गुरु शरण निवास। अब मोहे प्रभु कीजिये, गुरु चरणन को दास।। -हेमंत समाधिया✍ ~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~ ©Hemant Samadhiya हेमंत के पद
Ram bhan Singh
मिशन 2020 प्रधान पद के उम्मीदवारडिक्सिर
Ek villain
समूचे विश्व के लोगों का जीवन सुख और शांति से व्यतीत हो रहा है सूत्र के दुनिया के तमाम देशों ने इंटरनेशनल हैप्पीनेस डे मनाने का सिलसिला 20 मार्च 2013 को आरंभ किया कोविड-19 के संग परमाणु युद्ध के हिंसा से त्रस्त कि वर्तमान दौर में सुख और शांति के परिपूर्ण जीवन की मांग बढ़ गई है इस बीच दृष्टिगोचर हो रहा है कि हैप्पीनेस की प्रगति के साथी लोगों के जीवन में तनाव और पीड़ा भी लगातार बढ़ रही है ऐसी दशा में हैप्पीनेस की वृद्धि करने वाले देश के युवाओं ने से कम होने लगी अमेरिका में हैप्पीनेस मंडल के अध्यक्ष लोकेश जीवा से पर्यटन नामक संस्था शुरू करते हैं राष्ट्रीय के इस प्रयास में इनकी महत्व भूमिका है जिले में खुशहाली स्वस्थ है और स्वतंत्र केवल हैप्पीनेस इसकी शुरुआत की है हालांकि भूटान के पूर्व प्रधानमंत्री छोटे देश में पहली सदी के आठवें दशक से लगातार खुशियां ली कंप्लेन किया जा रहा है यह पूर्व की संस्कृत में मौजूद खुशहाली और है पैसों से दूसरी ओर आर्थिक संबंधों से खुशियां तलाश रहे लोगों में अभिनय सीखने की बात कर रहे आधुनिक सभ्यता और संस्कृति के काल में एक महत्वपूर्ण विषय है दुनिया भर के लोगों के लिए ©Ek villain #खुशहाली के पद पर चुनौतियां #Holi
Vishal Chavan
सखी.. हिरव्यागार देठावर, लालभडक जास्वंद डोलते... जे जे सुंदर त्या सगळ्यातून, सखी माझ्याशी बोलते.... काठोकाठ प्रेमरस आणि अनुपम अनुराग, माझी सखी म्हणजे, जणू स्वर्गातली बाग... झाड वेली फुल पानांवर, जीव जडतो तिचा.. माझी सखी प्रेमग्रंथातील, सर्वोत्तम ऋचा... Vishaal/Aadinaath 12-07-21 . ©Vishal Chavan #सखी
Shilpa Suryavansi
तू तिथे मी इथे दोघी आहोत सुखी तरी कसली तरी आहे तुझ्या आयुष्यात कमी याची मी देते हमखास हमी कारण होतो कधी तरी जिवलग सखी सखी
kuldeep vaishnav
हैं गलत उसको बेवफा कहना हम भी कहा के धुले धुलाये थे, आज कांटो भरा मुकद्दर है हमने गुल भी बहुत खिलाये थे। सखी
ऋतुराज पपनै
love according to me is सखी वो देखो धरती पर स्वर्ग सा सुंदर धाम है। राम लला का घर वो अयोध्या रहते वहाँ श्रीराम हैं। ©ऋतुराज पपनै #सखी
Jaya Dilip Goswami
#PulwamaAttack यह सच है बदल गयी हूँ मैं !उम्र आने पर संवर गयी हूँ मैं | हाँ यह सच है ,कुछ-एक सफ़ेद बालों की गरिमा से भर गयी हूँ,एक औरत से माँ बन गयी हूँ मैं ! सबको प्यार से संभाला अब तक, अपनी जरूरतों को प्यार से सहलाया आज ,हाँ ,थोड़ी -थोड़ी सी बदल गयी हूँ मैं ...... रिश्तों को निभाती हूँ ,उससे जुड़े भार नहीं ढोती ,कितने बोझ अपने कन्धों पर लेकर चलूँ , समझ में आ गयी है यह बात कि ,आखिर औरत हूँ,धरती नहीं हूँ मैं ! आजकल दूसरों को एकदम से सलाह नहीं देती ,अगर उसकी स्थिति मेरे समझ से बाहर हो | अपने ज्ञान का प्रर्दशन करने से पहले, दूसरों को सलाह देने से पहले, खुद को टटोलने लगी हूँ मैं ! उनको इज़्ज़त देती हूँ, उनका पक्ष जानने की कोशिश करतीं हूँ,,सासु माँ को सास रहने देतीं हूँ ,माँ समझकर अपनी अपेक्षाएं नहीं बढाती अब,लगता है खुश रहने लगीं हूँ मैं ! आजकल सब्जी वाले ,ऑटो वाले से ,काम वाली से बिन बात मोलभाव नहीं करती , शॉपिंग मॉल में लुटे पैसे का भाव समझ गयी हूँ मैं | जानती हूँ खुद को सजाना ,संवारना जरुरी है पर खुद को सँवारने से पहले आत्मा पर पड़े मैल खुरचने लगीं हूँ मैं !लगता है अब निखर गयीं हूँ मैं ! थक जाने पर शरारतें बच्चों की परेशां करतीं है ,पर अब उनपर चिल्लाती नहीं ,उन्हें समझने की कोशिश में लगीं हूँ मैं !गीली मिट्टी सवांरने लगीं हूँ मैं ! बुजुर्गों के किस्सों मे उनके बचपन को जी लिया करतीं हूँ ,अनेकों बार सुनी उनकी बातों पर आज उन्हें टोकती नहीं बस पहली बार सुना हो वैसे मज़े लेने लगीं हूँ मैं | हरेक दिन को आखरी समझ कर जीने का तरीका सीख रहीं हूँ ,अपने इस नए "मैं" से प्यार करने लगीं हूँ मैं ! वक़्त से पंख उधार लेकर तितलियों सी उड़ने लगी हूँ मैं, फिर भी पैरों के नीचे जमीन रखतीं हूँ , "खुद से दोस्ती करने लगी हूँ मैं !" सखी
Avinash lad
सखी... ================ सय दाटुनिया येता मन धावे घरभर जसे लाजाळूचे झाड डोई घेउनी पदर सखा येईल येईल भास जागवी पापनी डोळा लागे वाटेवर हळू सोसूनिया पाणी घुसमटीचे वादळ दार घेई सावरून लाज दिसता गालात स्वप्न डोळ्यात पाहून कंठ लागता सुरात देई अमृताची गोडी सखी हळव्या मनाची अंगी भरझरी साडी लाज दार लपवितो सुखदुःख सावरून लक्ष्मी राबते घरात हासू सुखाचं आणून सखी आठवात सदा ओढ लावून दारात रूप देखणे सुंदर शोभे आनंदी घरात ================ विठूपुत्र - अविनाश लाड, राजापूर-हसोळ7 सखी..