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Aparna Shambhawi
बहकत बहकत पुरवईया, फुलवरिया में गूँजे कोयलिया! लचकत-मटकत, लहकत-चहकत, तोड़े कुसुम दुलरिया, फुलवरिया में गूँजे कोयलिया! पुष्प सुगंधित, मन आनंदित, दरस दिए रघुरईया, फुलवरिया में गूँजे कोयलिया! अति सुकुमार रघुनाथ होईं हैं, सिय तन डारी पतरिया, फुलवरिया में गूँजे कोयलिया! अँखियन अँखियन मिली सिय-पिय की, हिय बीच बाजे शहनईया, फुलवरिया में गूँजे कोयलिया! रामविवाह गीत. फुलवारी वर्णन. #paki #maithili #mithila #ramvivah #ram #rama #siya #sita #siyaram बहकत बहकत पुरवईया, फुलवरिया में गूँजे कोयलि
यशवंत कुमार
कोयल के बच्चे (Read Full story in caption) #childrenstory #kidsstory #junglebook #birdsstory Photo credit- Shutterstock कोयल के बच्चे अपनी आदत से मजबूर कोयलिया ने फिर से कौवे के घो
Abhijeet
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
सँभलना जो सिखातें हैं यहाँ बापू मिले मुझको । बिठाकर काँध पर घूमें वही चाचू मिले मुझको ।।१ जहाँ में ज्ञान सच्चा जो सिखाये सीख लेता हूँ । मुझे जो राह पे लाये वही अब गुरु मिले मुझको ।।२ तमन्ना आखिरी अब ये कहीं मैं तीर्थ पे जाऊँ । वहाँ भगवान के ही रूप में साधू मिले मुझको ।।३ बहुत ही द्वंद्व करता आज आत्मा से सुनो अपनी । दिखाई जो नही देता उसी की बू मिले मुझको ।।४ कभी जो बाग में बैठे कोयलिया खूब गाती थी । लगाता बाग मैं हूँ खूब की वह कू मिले मुझको ।।५ कभी देखा इधर मुड़कर खत्म क्यों हो रहे रिश्ते । चलो मिलकर सँभाले हम कि फिर नानू मिले मुझको।।६ जगाती थी हमें पहले प्रखर आकर जो आँगन में । वही चिडियों कि चूँ चूँ फिर दुवाएँ दूँ मिले मुझको ।।७ १८/१०/२०२२ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR सँभलना जो सिखातें हैं यहाँ बापू मिले मुझको । बिठाकर काँध पर घूमें वही चाचू मिले मुझको ।।१ जहाँ में ज्ञान सच्चा जो सिखाये सीख लेता हूँ । मुझ
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
सँभलना जो सिखातें हैं यहाँ बापू मिले मुझको । बिठाकर काँध पर घूमें वही चाचू मिले मुझको ।।१ जहाँ में ज्ञान सच्चा जो सिखाये सीख लेता हूँ । मुझे जो राह पे लाये वही अब गुरु मिले मुझको ।।२ तमन्ना आखिरी अब ये कहीं मैं तीर्थ पे जाऊँ । वहाँ भगवान के ही रूप में साधू मिले मुझको ।।३ बहुत ही द्वंद्व करता आज आत्मा से सुनो अपनी । दिखाई जो नही देता उसी की बू मिले मुझको ।।४ कभी जो बाग में बैठे कोयलिया खूब गाती थी । लगाता बाग मैं हूँ खूब की वह कू मिले मुझको ।।५ कभी देखा इधर मुड़कर खत्म क्यों हो रहे रिश्ते । चलो मिलकर सँभाले हम कि फिर नानू मिले मुझको।।६ जगाती थी हमें पहले प्रखर आकर जो आँगन में । वही चिडियों कि चूँ चूँ फिर दुवाएँ दूँ मिले मुझको ।।७ १८/१०/२०२२ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR #Childhood सँभलना जो सिखातें हैं यहाँ बापू मिले मुझको । बिठाकर काँध पर घूमें वही चाचू मिले मुझको ।।१ जहाँ में ज्ञान सच्चा जो सिखाये सीख लेत
Aparna Shambhawi
बाबुल (read in caption) #babul #paki #nojotohindi गुड्डे-गुड़िये और खिलौने, नहीं करेंगे शोर। घर-आँगन सब सूना होगा, हर पूनम अँजोर। ब्याह दिया या बेच दिया, एक बंदूक क
AK__Alfaaz..
इक रोज भावनाओं के सागर से, इक दिव्यजन्मा, अपनी दैवीय देवप्रभा लिए, प्रकट भयी, धूप की केसरिया चूनर ओढ़े, भूमि पे, साथ वो लायी, स्नेह की सीपीयों मे बंद, आनंद के श्वेत मोती, व.., कुछ चमकती दूधिया कौड़ियां, और.., कान्हा का पांचजन्य शंख, इक रोज भावनाओं के सागर से, इक दिव्यजन्मा, अपनी दैवीय देवप्रभा लिए, प्रकट भयी, धूप की केसरिया चूनर ओढ़े, भूमि पे, साथ वो लायी,
Unconditiona L💓ve😉
🌺━━━⸙..जन्मदिवस मुबारक हो..⸙━━━🌺 ---------------------------- शरद पूर्णिमा में चमकता आसमां की चांद सी वृक्ष की शाखा में खिले फूल सदाबहार सी सूरज से सुबह की निकलती सुनहरी धूप सी कोरे कागज पर सुंदर बिखरती अल्फ़ाज़ सी जीवन में दीप-ज्योत्स्ना की मधुर सौंगात सी जीवन में ढलती सांझ की खूबसूरत सिंदूरी सी तपती धूप में छाया तेरी चन्दन की ठंडक सी तमस निशा में 'सतत जलती दीप प्रकाश सी' इस जन्मदिवस मेरी यहीं दुआएं कबूल हो कि मिले तुम्हें प्रेम-मान-खुशियाँ अंनत आकाश सी — % & 卐 卐卐卐 卐 卐卐卐 卐 . 卐 . ॐ