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Shruti Gupta

काग़ज़ के नन्हे जहाज़ पर, सपनो के बोझ को लादे, कल्पना के इर्द गिर्द ही, गश्त लगाना भूल गई। अनजान सी, निर्भीक हो कर छोटी सी उस पोखर में, अप #Childhood #बचपन #yqbaba #yqdidi #Hindidiwas #bestyqhindiquotes #बचपाना

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काग़ज़ के नन्हे जहाज़ पर,
सपनो के बोझ को लादे,
कल्पना के इर्द गिर्द ही, गश्त लगाना भूल गई।

अनजान सी, निर्भीक हो कर 
छोटी सी उस पोखर में,
अपने काग़ज़ की कश्ती को दौड़ना भूल गई।

पुष्प की कलियों से बाते,
सांझ में छुप कर वो बरामदे
से घंटो तक पथिक को तकना ही मै भूल गई।

राह में भी वो बड़े गुब्बारे,
उछल उछल कर मुझे दुलारे,
क्रोध को सरल भेट से आज भूलना भूल गई।

राह में सबसे तेज ही जाना,
मां बाबा को संग दौड़ना,
गुड़ियों पर जान लुटाना, आज खुदी भूल गई!

युवापन की इस आगत में,
वयस्क होने की बालवत में
हस कर दुख की चाह में, हाय बचपना भूल गई! काग़ज़ के नन्हे जहाज़ पर,
सपनो के बोझ को लादे,
कल्पना के इर्द गिर्द ही, गश्त लगाना भूल गई।

अनजान सी, निर्भीक हो कर 
छोटी सी उस पोखर में,
अप

amar gupta

काग़ज़ के नन्हे जहाज़ पर, सपनो के बोझ को लादे, कल्पना के इर्द गिर्द ही, गश्त लगाना भूल गई। अनजान सी, निर्भीक हो कर छोटी सी उस पोखर में, अप #Childhood #बचपन #yqbaba #yqdidi #Hindidiwas #bestyqhindiquotes #बचपाना

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काग़ज़ के नन्हे जहाज़ पर,
सपनो के बोझ को लादे,
कल्पना के इर्द गिर्द ही, गश्त लगाना भूल गई।

अनजान सी, निर्भीक हो कर 
छोटी सी उस पोखर में,
अपने काग़ज़ की कश्ती को दौड़ना भूल गई।

पुष्प की कलियों से बाते,
सांझ में छुप कर वो बरामदे
से घंटो तक पथिक को तकना ही मै भूल गई।

राह में भी वो बड़े गुब्बारे,
उछल उछल कर मुझे दुलारे,
क्रोध को सरल भेट से आज भूलना भूल गई।

राह में सबसे तेज ही जाना,
मां बाबा को संग दौड़ना,
गुड़ियों पर जान लुटाना, आज खुदी भूल गई!

युवापन की इस आगत में,
वयस्क होने की बालवत में
हस कर दुख की चाह में, हाय बचपना भूल गई! काग़ज़ के नन्हे जहाज़ पर,
सपनो के बोझ को लादे,
कल्पना के इर्द गिर्द ही, गश्त लगाना भूल गई।

अनजान सी, निर्भीक हो कर 
छोटी सी उस पोखर में,
अप

Nitish Sagar

#poem #Nojoto #Quotes #kalakaksh #kavishala पत्तों की बनी थाली में भोज खाने का मजा ही कुछ और है पोखर में तैरने की रेस लगाने का मजा ही कुछ #Poetry #Love #मजा_ही_कुछ_और_है

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 #poem #nojoto #Quotes #kalakaksh #kavishala

पत्तों की बनी थाली में भोज खाने का
मजा ही कुछ और है

पोखर में तैरने की रेस लगाने का
मजा ही कुछ

Abhishek Rajhans

शीर्षक ----मुझे न याद आया इस शहर की रोशनी में मैं माटी के दिये जलाना भूल आया मोमबत्तियों को कहीं यूँ ही सिसकती छोड़ आया मैं अपने गांव का घर क

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 शीर्षक ----मुझे न याद आया
इस शहर की रोशनी में
मैं माटी के दिये जलाना भूल आया
मोमबत्तियों को कहीं
यूँ ही सिसकती छोड़ आया
मैं अपने गांव का घर
क

Bhairu Acharya

मेरा दोस्त पोखर राजपुरोहित जोधपु #nojotophoto

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 मेरा दोस्त पोखर राजपुरोहित जोधपु

Vibha Katare

तुम सागर,
उग्र,
बंधन से मुक्त होने को आतुर,
हरपल प्रवाहित होते,
द्वंद की लहरें उठाते ..

मैं पोखर,
शांत,
सीमित संयमित बंधी हुई,
ठहरी एक जगह,
सीमाओं के मोहपाश में..

एक सागर का खारापन
एक पोखर का दूषित जीवन..

क्यों न नदी हो जाएं हम !
सीमित होकर भी प्रवाहित,
प्रवाहित होकर भी संयमित ... #yadidi #रिश्ते #बंधन #सागर #पोखर #नदी

Nitish Sagar

#Nojoto #nojotohindi #kalakaksh #dost पोखर--- तालाब pond

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एक लड़का पोखर में डुब रहा था.....



वो मेरा लगोटिया यार था, 
जो डुबने का नाटक कर रहा था 
और पीछे से 3-4 दोस्त मिलकर मुझे भी
पोखर मे धकेल दिया। #nojoto #nojotohindi #kalakaksh
#dost
पोखर--- तालाब pond

अम्बुज बाजपेई"शिवम्"

पोखर:- बरसात के पानी से भरने वाले गड्ढे, छोटे तालाब। #बिछड़न #yqbaba #yqdidi

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टूटे हुए का दर्द वही जाने,
जो क़तरा क़तरा जुड़ने से बने।
जो उम्र भर अकेला ही रहा,
वो बिछड़न को क्या ही समझे?
सैलाब भी रोता है जब दरिया से दूर बहे,
पोखर क्या जाने कि तन्हा हो कैसे रहें?
"हरे पत्तों से पूछो गम क्या होता है टूटने का
सूखे हुए तो हवा के सहारे उड़ ही जाते हैं।" पोखर:- बरसात के पानी से भरने वाले गड्ढे, छोटे तालाब।
#बिछड़न
#yqbaba #yqdidi

AjnabiGuru Rahul Mishra

एक शांत पोखर सा था मेरा "दिल" वो आयी और "खलबली" मच गई!.. !!अजनबीगुरु!!

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एक शांत पोखर सा था मेरा "दिल"

वो आयी और "खलबली" मच गई!..

                             !!अजनबीगुरु!!

Alok Vishwakarma "आर्ष"

"पोखर और कमल का वार्तालाप" कहानी रूपी एक कविता.. इन शब्दों में डूबकर बाहर निकलने पर सारा किस्सा आपकी आत्मा का हिस्सा बन जायेगा.. Much Love #story #HindiPoem #hindiwriters #kavita #yqdidi #yqmuse #alokstates

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भरी हुई थी पानी से लबलब छलकी थी पूरी
बत्तखों को दे आश्रय रखती नगर जनों से दूरी
जलन बीच में खिले कमल से करती आनाकानी
प्यास बुझाता मुझसे करता सूरज की गुणगानी

पोखर छोटी नदी से जुड़ी गाँव की पयदाता है
धरती को उपजाऊ करती कृषकों की माता है
सूख तेरे जाने से प्राणी बड़े विकल हैं होते
हे माता! तुझसे शीतलता की मांग हेतु हैं रोते
तू जिनकी जननी है देखकर उन आँखों में पानी
करता रहता हूँ जीवन भर सूरज की गुणगानी "पोखर और कमल का वार्तालाप"

कहानी रूपी एक कविता.. इन शब्दों में डूबकर बाहर निकलने पर सारा किस्सा आपकी आत्मा का हिस्सा बन जायेगा..

Much Love
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