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New झीना Quotes, Status, Photo, Video

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Anjali Raj

स्वप्न कब स्मृति बन जाते है, 
पता ही नहीं चलता।
वर्तमान इतना झीना है 
कि आभास ही नहीं होता,
कब आया, कब गया।


— % & #अंजलिउवाच #YQdidi #स्मृति #स्वप्न #वर्तमान #झीना

Sandhya Rani Das

प्रेम के उस भगवान से पूछ
मेरे दिल को क्यू वै अँधेरो से भर दिया ,
और जो भी था कुछ उम्मीद के रोशनी 
उसी को भी बेरहमी से बुझा दिया ।।

 #yourfeelings 
#yourfeelings_mywords 
#yourquotehindi 
#भगवान #तुने #क्यूँ #झीना

Sandhya Rani Das

प्रेम के उस भगवान से पूछ
मेरे दिल को क्यू वै अँधेरो से भर दिया ,
और जो भी था कुछ उम्मीद के रोशनी 
उसी को भी बेरहमी से बुझा दिया ।।

 #yourfeelings 
#yourfeelings_mywords 
#yourquotehindi 
#भगवान #तुने #क्यूँ #झीना

Hasanand Chhatwani

उम्र की डोर से फिर एक मोती झड़ रहा है.... तारीख़ों के जीने से दिसम्बर फिर उतर रहा है.. कुछ चेहरे घटे,चंद यादें जुड़ी गए वक़्त में.... उम्

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गुरु घर का लंगर उम्र की डोर से फिर 
एक मोती झड़ रहा है....
तारीख़ों के जीने से 
दिसम्बर फिर उतर रहा है..
कुछ चेहरे घटे,चंद यादें 
जुड़ी गए वक़्त में....
उम्

विवेक त्रिवेदी

चंद्र सदृश मुख ,लटे लटकती जैसे लता सांसों में पुस्पित सुंगंध,काया में कुसुम सी कोमलता भीना झीना सा अंचल है , आंखे है कारी कजरारी धनुष भौंह, #Eyes #उपमा_अलंकार

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चंद्र सदृश मुख ,लटे लटकती जैसे लता
सांसों में पुस्पित सुंगंध,काया में कुसुम सी  कोमलता
भीना झीना सा अंचल है , आंखे है कारी कजरारी
धनुष भौंह, नासिका बांसुरी, छबि बहुत ही है न्यारी

कितना भी उपमित कर दू,
या आकृति बना दू
या लिख दूं तुझपे कोई लेख
पर खुद में  तेरी सुंदरता है 
उत्तम अनुपम और अलेख
 चंद्र सदृश मुख ,लटे लटकती जैसे लता
सांसों में पुस्पित सुंगंध,काया में कुसुम सी  कोमलता
भीना झीना सा अंचल है , आंखे है कारी कजरारी
धनुष भौंह,

विवेक त्रिवेदी

चंद्र सदृश मुख ,लटे लटकती जैसे लता सांसों में पुस्पित सुंगंध,काया में कुसुम सी कोमलता भीना झीना सा अंचल है , आंखे है कारी कजरारी धनुष भौंह,

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चंद्र सदृश मुख ,लटे लटकती जैसे लता
सांसों में पुस्पित सुंगंध,काया में कुसुम सी  कोमलता
भीना झीना सा अंचल है , आंखे है कारी कजरारी
धनुष भौंह, नासिका बांसुरी, छबि बहुत ही है न्यारी
     🔴🟣🔵🟡🟢
किसलय सा तनु,सुंदर सारी
उपमा करी सो जाए है थोरी
नुपुर छनन  छन ,छन छन करती
हाथों में कंकण है कड़कती
निज कांति भाल बिंदी है जचती
अधरों की लाली है निखरती
     🔴🟣🔵🟡🟢
कितना भी उपमित कर दू,
या आकृति बना दू
या लिख दूं तुझपे कोई लेख
पर खुद में  तेरी सुंदरता है 
उत्तम अनुपम और अलेख
 चंद्र सदृश मुख ,लटे लटकती जैसे लता
सांसों में पुस्पित सुंगंध,काया में कुसुम सी  कोमलता
भीना झीना सा अंचल है , आंखे है कारी कजरारी
धनुष भौंह,

arun dhuwadiya

एक ग़ज़ल मेरे इस दिल में मुहब्बत के सिवा कुछ भी नहीं। और तकदीर में फुरक़त के सिवा कुछ भी नहीं। लोग मिलते ही मुझे प्यार दिखाने लगते। उनमे भी म #nojotophoto

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 एक ग़ज़ल

मेरे इस दिल में मुहब्बत के सिवा कुछ भी नहीं।
और तकदीर में फुरक़त के सिवा कुछ भी नहीं।

लोग मिलते ही मुझे प्यार दिखाने लगते।
उनमे भी म

arun dhuwadiya

एक ग़ज़ल मेरे इस दिल में मुहब्बत के सिवा कुछ भी नहीं। और तकदीर में फुरक़त के सिवा कुछ भी नहीं। लोग मिलते ही मुझे प्यार दिखाने लगते। उनमे भी म #nojotophoto

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 एक ग़ज़ल

मेरे इस दिल में मुहब्बत के सिवा कुछ भी नहीं।
और तकदीर में फुरक़त के सिवा कुछ भी नहीं।

लोग मिलते ही मुझे प्यार दिखाने लगते।
उनमे भी म

Nisheeth pandey

👉2020 की कलेंडर फिर दीवारों की कील से सदा के लिये उतर रहा है.... तारीख़ों के पन्नो से दिसम्बर फिर इतिहास बन रहा है.. कुछ चेहरे खो गए #poem #celebration #poetryunplugged #kahanikaar #throwback2020 #happynewyear2021 #ManyThanks #Safar2020

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👉2020 की कलेंडर  फिर 
दीवारों की कील से
 सदा के लिये 
उतर रहा है....
तारीख़ों के   पन्नो से 
दिसम्बर फिर
 इतिहास बन रहा है..
कुछ चेहरे खो गए,
चंद यादें ज़हन में गढ़ गए, 
बिसरे वक़्त में....
उम्र 
नदी की धारा के भांति 
नित दूर, 
और दूर
 बहते जा रहा है..
पीली धूप और 
ठिठुरी रातें
 जाड़ों की...
गुज़रे लम्हों पर
 कुछ झीना सा
 कुछ थमा सा 
एक वर्ष पर फिर
 हमेशा के लिये 
पर्दा गिर रहा है..
तड़का लगा नहीं और
मुट्ठी में बंद रेत सा 
फिसल गई ज़िन्दगी...
कमबख्त वक़्त है कि ख्वाइशें  समेटे
सिगरेट के धुवाँ सा बन उड़ रहा है..
फिर एक और दिसम्बर
 इतिहास बन रहा है...
बूढ़ा दिसम्बर अब ख्वाइशों में 
जवां
जनवरी के स्वागत के लिए
ख़ुद को विलीन कर रहा है.....
लो इक्कीसवीं सदी 
अब इक्कीसवॉं साल से 
निखर रहा है....
21वां वर्ष की 
हार्दिक शुभकामनाएं....

🙏#निशीथ🙏
 🙏🌹शुभ रात्रि🌹🙏

©Nisheeth pandey 👉2020 की कलेंडर  फिर 
दीवारों की कील से
 सदा के लिये 
उतर रहा है....
तारीख़ों के   पन्नो से 
दिसम्बर फिर
 इतिहास बन रहा है..
कुछ चेहरे खो गए

यशवंत कुमार

हमारा वहम क्या रह जाएगा तेरे जाने के बाद? क्या रह जाएगा मेरे जाने के बाद? बस कुछ यादें, कुछ और भी क्या? उन यादों को भी कौन संभालेगा? और आख़ #yqbaba #yqdidi #yqhindi #yqquotes

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हमारा वहम

Read full poetry in caption हमारा वहम

क्या रह जाएगा तेरे जाने के बाद?
क्या रह जाएगा मेरे जाने के बाद?
बस कुछ यादें,
कुछ और भी क्या?
उन यादों को भी कौन संभालेगा?
और आख़
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