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RavindraSingh Shahoo
*अस्तित्व/दायित्व * आप का अस्तित्व आप की पहचान नही आप की पहचान आप का अस्तित्व है अस्तित्व बना रहे ये दायित्व नही पहचान बनी रहे ये दायित्व है! द्वारा:-RNS. # अस्तित्व/दायित्व!
अनुषी का पिटारा "अंग प्रदेश "
दायित्वों का बोझ अभिव्यक्ति की आजादी से सदैव बड़ा होता है ©Anushi Ka Pitara #दायित्व #अभिव्यक्ति
कुमार आदित्य"लाला"
रचना कुमार आदित्य लाला बलिदानों के श्वेत रंग में , मिला दिया रंग काला सरकारों ने साकी बनकर , जमकर बांटी हाला पैमानों को ताक पे रखकर , पैमाने भर डाले कुछ के आँसू छलक रहे थे,कुछ के छलके प्याले जान बड़ी या जाम यहां पर, कौन इसे समझाये क्या ताली थाली संख बजाने ,मायखने थे आये कुछ जमात के लोग मिटाने बैठे थे तयखानो में ये जमात के लोग मिटाने बैठे है मयखनों मे अर्थव्यवस्था की दुहाई पर अर्थी कौन उठाएगा लाशों के अंबार मिलेंगे उनको कौन जलाएगा देशकाल का चिंतन करके ,अंतर्मन से युद्ध करो नीतिन्याय का मेल बनाओ,बुद्धी को प्रबुद्ध करो अर्थ बढ़ाने भारत को हम ,मदिरा नही पिलायेंगे साख बढ़ाने आओ मिलकर, नय रस्ते अपनाएगें दायित्व #LightsInHand
Pradyumn awsthi
इंसान चाहे कितना भी बड़ा बन जाए लेकिन वो अपनी मातृ जननी और मातृ भूमि के ऋण को कभी नहीं चुका सकता ।यही महानता होती है मातृ जननी और मातृ भूमि की लेकिन इन दोनों की अपने पूरे तन,मन और धन से सेवा करनी चाहिए और इंसान अपने कर्तव्य को पूरा करना चाहिए और हमेशा अपनी मातृ जननी और मातृ भूमि की रक्षा करनी चाहिए हर इंसान का यही सबसे बड़ा और महत्वपूर्ण धर्म एवम कर्म होता है ©"pradyuman awasthi" #दायित्व इंसान का
Anamika
औरत... उन्होंने कहा कमजोर है... जिसपर सृजन का दायित्व हो, वो भला कमजोर कहां.... #औरत_एक_रूप_अनेक #दायित्व #yqdidi #tulikagarg
Poonam
ऊंचे कुल की ऊंची प्रतिष्ठा का मान बनाए रखने का दायित्व केवल और केवल स्त्री के ही हिस्से आता है ©Poonam #दायित्व #कुल #प्रतिष्ठा #स्त्री
Ek villain
गीता के माध्यम से भगवान श्री कृष्ण ने नियत कर्म के तीन प्रकार बताए हैं पहला स्वयं के प्रति दूसरा परिवार तथा तीसरा समाज के प्रति स्वयं के प्रति नियत कर्म से तात्पर्य है कि व्यक्ति स्वार्थ अहंकार काम और क्रोध रूपी अवगुणों द्वारा पाप कर्म में लिख देना होकर अपनी आत्मिक उन्नति के लिए सद्गुणा बनाकर स्वयं को इस प्रकार नियत कर्म में सम्मान करें की अनंत निर्गुण बनकर प्रेम ब्रह्मा में विलीन हो सके कदापि दोषों के कारण प्रेयसी प्राथमिक व्यक्तियों से विमुख हो जाता है वही परिवार के प्रति कर्तव्य उसकी जिम्मेदारी है कि वह सत्य मार्ग पर चलकर अपने परिवार का भरण पोषण करें और अपनी संस्कृति को अच्छे संस्कार प्रदान कर उनकी मानसिकता को बेहतर बनाकर एक स्वस्थ समाज की आधारशिला जाके इन उल्लेखित कर्तव्य में तीसरा और अंतिम समाज के प्रति होता है जिससे मनुष्य यही आशा अपेक्षा की जाती है कि प्रत्येक प्राणी के प्रति संवेदनशील रखें और उनकी भलाई के लिए कार्य करें कुरुक्षेत्र के रण में अर्जुन मोह माया में फस कर परिवार और समाज के प्रति नियत कर्म में विमुख हो रहे थे यदि भगवान उस समय उन्हें नींद कर्म की व्याख्या कर उनकी दुविधा दूर ना करते तो कौरव उसी प्रकार अपने पाप कर्म द्वारा समाज को प्रेरित करते रह जाते जैसे पांडवों के साथ किया था और इसी प्रकार पाप को समाज में बढ़ावा देते इसी हरवानी में विद्यमान ईश्वर उनकी आत्मा दुखी होकर अपने पद पर बैठक कर उन्हें प्रतिशोध के रूप में पाप कर्म मिले तो कर के फेर में फंसे रहते हैं ©Ek villain #कर्म और दायित्व #Nofear
अविनाश पाल 'शून्य'
ख़ुद ही मुकर गया वो अपने प्रभार से मुझ पे है आरोप कि मैं वफादार न रहा ! #शून्य #वफादार #दायित्व #आरोप #योरकोट_दीदी #कुछ_अनकही_बातें #यादें_और_मैं #कुछअनकहासा ✍🏼 कुछ अनकहा सा ... प्रभार = दायित्व