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Aashish Choudhary
कार्यकर्ता की कोई उम्र,जाती धर्म थोड़े है साहब वो तो हर पार्टी में बेवकूफ बनाया जाता है । पोलिटिकल
Manish Singh वंदन
यहां झूठों के नगर में सत्य बोलना मना है । नमक के बाजार में जख्म खोलना मना है । गरीबी नहीं, गरीब को गटक रहा सिस्टम जहांपनाह के हुजूर में दर्द तौलना मना है ।। @मनीष सिंह "वंदन" ©Manish Singh वंदन #पोलिटिकल
MannseManish
सरकार तुम मेरे दिल मे पूर्णमत से सरकार बना रही हो। आपका अपना प्रत्यासी मनीष शर्मा। #पॉलिटिकल
Ek villain
रूस यूक्रेन युद्ध से पैदा हालात और संयुक्त राष्ट्र के मंचों पर भारत के तरफ स्वरूप को लेकर विदेशी मंत्रालय की संसदीय सलाहकार समिति की गुरुवार को हुई बैठक में सरकार और पक्षी के एक सुर में होने वाले सकारात्मक बने घूम रही है इसका असर यह हुआ कि मोदी सरकार की नीतियों के खिलाफ लगातार मुखी रहने वाले विपक्षी नेता मौजूद अंतरराष्ट्रीय परिस्थितियों में विवादित विषयों पर चर्चा से फिलहाल परहेज कर रहे हैं संसदीय सलाहकार समिति की बैठक में सरकार और विपक्ष केवल एक होने की प्रशंसा करने वाले कांग्रेसी नेता एवं पूर्व विदेश राज्य मंत्री शशि थरूर ने तो अलग दिन तय करने पर व्याख्यान को रद्द कर इसका नमूना भी दे दिया तो रुको शुक्रवार को एक संस्था की ओर से भारत की गिरती पड़ती छवि पर मुख्य ध्यान देना था लेकिन संसदीय समिति की बैठक के बाद थरूर ने ट्वीट कर कहा कि इस कार्यक्रम की स्थगित कर दिया जाना चाहिए फिलहाल इस बहस पर शामिल होने के लिए नहीं है वैश्विक कूटनीति के मौजूदा हालात में चलने को जानते हैं मौका नहीं देना चाहते ©Ek villain #पॉलिटिकल क्रेट #Moon
Author Harsh Ranjan
जब जब विचार आगे चलते हैं, स्वार्थ खुद-ब-खुद उनके पीछे आते हैं! हमने देखें हैं कई मसले ऐसे जो बताते हैं भक्ति बिना हेतु होती है, भगवान आशीर्वाद से भक्त के पेट भरते जाते हैं! जब-जब स्वार्थ को विचार का सारथी बनाया जाने लगा बुना गया झूठ का ताना-बाना, अनजाने ही चलन चल पड़ा, प्रह्लाद हिरण्यकश्यपु की पेंशन उठाने लगा और हिरण्यकश्यपु को प्रह्लाद के संग मंदिर में पूजा जाने लगा! ये परिवर्तन भी आजकल हृदय की सतहों पे लिखा जाने लगा! पॉलिटिकल हृदय-परिवर्तन।
Author Harsh Ranjan
जब जब विचार आगे चलते हैं, स्वार्थ खुद-ब-खुद उनके पीछे आते हैं! हमने देखें हैं कई मसले ऐसे जो बताते हैं भक्ति बिना हेतु होती है, भगवान आशीर्वाद से भक्त के पेट भरते जाते हैं! जब-जब स्वार्थ को विचार का सारथी बनाया जाने लगा बुना गया झूठ का ताना-बाना, अनजाने ही चलन चल पड़ा, प्रह्लाद हिरण्यकश्यपु की पेंशन उठाने लगा और हिरण्यकश्यपु को प्रह्लाद के संग मंदिर में पूजा जाने लगा! ये परिवर्तन भी आजकल हृदय की सतहों पे लिखा जाने लगा! पॉलिटिकल हृदय-परिवर्तन।