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Ak Mishra
दिव्य कुम्भ भव्य कुम्भ कुम्भ मेला 2019 प्रयागराज
Dr jyotsna singh Rajawat
प्रकृति और मानवता का अनूठा संगम कुम्भ जो भारतीय संस्कृति का पोषक है। ब्रह्मा,विष्णु, शिव शक्ति का सुन्दर समन्वय, एकत्व होकर, हमारी प्राचीन सभ्यता को जाग्रतकर सदैव आत्म ऊर्जा का अनन्त प्रवाह बनकर समा जाता था हर प्राणी में। अफसोस आज इस महामिलन की वेला में भी सोशल डिस्टेन्सिग का पालन करना है, यह मनुष्य की विनाशक्ति का घातक दुष्परिणाम है जिसे सभी भुगत रहे हैं।। डॉ.ज्योत्स्ना सिंह ©Dr jyotsna singh Rajawat कुम्भ
शुभ'म
भारतीय संस्कृति को संजोता है,"कुम्भ" नस्वर शरीर के सभी रोगों को धोता है,"कुम्भ" ईश्वर के चेतना को खुद में पिरोता है,"कुम्भ" अध्यात्म का एक सुंदर परिचय देता है,"कुम्भ" अब इसके इतिहास से परिचय करवाता हूँ, समस्त सनातनी सभ्यता की बात बताता हूँ, गरूड़ जब समुद्र से अमृत ले भागे थे, गिरे तब चार बूंद धरती पर, तभी नासिक,उज्जैन,हरिद्वार सहित प्रयाग के भी भाग जागे थे.... तीरथों में प्रयाग का राज हुआ, त्रिवेणी के संगम पर उसका अनुराग हुआ, गंगा मलमल बहती,यमुना कलकल बहती, पाताल में सरस्वती का बास हुआ, हिमालय सें अपनें साथ औषधी लाती हैं गंगा, इसका ऋषियों को एहसास हुआ.... ज्योतिष विद्या सुर्य को मकर राशी से, बारह वर्षों के बाद कुम्भ में प्रवेश कराती है, जो कुंभ स्नान की याद दिलाती है, जो कुंभ स्नान की याद दिलाती है..... इस पावन छटा के दर्शन करनें, समस्त सनातन प्रेमी प्रयाग को आतें हैं, रोग:दोष दूर और देश की समृद्धि के खातिर, पावन त्रिवेणी में कुंभ डुबकी लगातें हैं, इसके महिमा कि करता हूँ बखान, गर्व है हमारे आस्था रिती-रिवाज पर, जो विश्व में सनतान को अलग सा पहचान दिलातें हैं.... रोग:दोष दूर और देश की समृद्धि के खातिर, पावन त्रिवेणी में कुंभ डुबकी लगातें हैं, समस्त वैज्ञानिक दृष्टिकाया तो, हमारे रिवाजों से ही घायल है, अब तो विज्ञान भी हमारे सनातन धर्म पे कायल है, कुंभ के समस्त नियमों को विज्ञान ने सही पाया है, बारह वर्षो में सुर्य से निकलती अपचायक किरणें, जिससे बचने लिए कुंभ स्नान को सही ठहराया है...!! -Sp"रूपचन्द्र" द कुम्भ
Pranav Parashar
प्रेम का अध्याय फिर आरंभ हो जाए सत्य कहने दो मुझे ना दंभ हो जाए प्रेम पथ पर आ ना जाए फिर कोई बाधा अब नहीं रोको मुझे ना विलंब हो जाए आओ अबकी बार कुछ इस तरह मिले प्रेम की नदिया मिले और कुम्भ हो जाए ~ प्रणव पाराशर कुम्भ हो जाए....
देवश त्रिलोक
कुम्भ भारतीयों का ऐसा मेला है जहां सब से बड़ा जन समूह इकट्ठा होता है । माघ मेला, अर्ध कुम्भ तथा महाकुम्भ जैसे लगने वाले मेलों में न केवल देश भर से परंतु विदेश से भी लोग भारतीय संस्कृति का लुफ्त उठाने आते हैं। 2019 अर्ध कुंभ का मेला चल रहा है जिसका प्रचार कई महीने पहले से शुरू हो गया था तथा इसे भव्य कुम्भ/ दिव्य कुंभ नाम दिया जा रहा , दिया भी क्यों न जाए जिस तरह से प्रदेश तथा केंद्र सरकार ने इसकी व्यस्था की है यह नाम लाज़मी लगता है । यूनिस्को ने भी इसे भारत की सांस्कृतिक धरोहर का दर्जा दे दिया है तथा इसका दिजिटाइजेशन भी जोर शोर किया जा रहा है। यहां एक छोटा सा शहर बसा लगता है जहां अलग अलग संस्कृति के लोग आकर अपने कला का प्रचार प्रसार कर रहे हैं । 13 अखाड़े तथा उनके साधु संत इस मेले की शान है । प्रशासन व्यवस्था सख्त है तथा दिन रात जनता की सेवा में लगी है। विदेशी सैलानियों ने इस मेले को देखते ही'इंक्रीडबल इंडिया ' कहा तथा वे सब कुछ भूल कर यहां की विविधताओं का लुफ्त उठा रहे हैं। देवेश जायसवाल #NojotoQuote दिव्य कुम्भ 2019
Neha Mishra
गंगा जमुना सरस्वती की बह रही है धार, प्रयाग राज की नगरी में हो रहा जयजयकार... #NojotoQuote दिव्य कुम्भ भभ्य कुंभ
Ashok Kumar Verma