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    PopularLatestVideo
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Shubham Bhardwaj

समय,शक्ति और साधना में छिपा योग है।
वरना योग रहित जीवन तो खुद एक रोग है।।

©Shubham Bhardwaj
  #yogaday #समय #शक्ति #साधना #में #छिपा #योग #है  #वरना
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सुख

साधना में होने वाले अनुभव से घबराएं नहीं Teligram 9208774581

साधना में होने वाले अनुभव से घबराएं नहीं Teligram 9208774581 #जानकारी

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Akash Das

https://youtu.be/2T1o4OVOjjA
साधना में लीन हो जाने वाले ऋषि करते क्या हैं? | Sant Rampal Ji Satsang

https://youtu.be/2T1o4OVOjjA साधना में लीन हो जाने वाले ऋषि करते क्या हैं? | Sant Rampal Ji Satsang

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Yogi Sonu

साक्षी की साधना सबसे बेहतरीन साधना में से एक दृष्टा भाव

#yoga #sakshibhav #sadhana #yogisonu #vichar #thots

साक्षी की साधना सबसे बेहतरीन साधना में से एक दृष्टा भाव #Yoga #sakshibhav #sadhana #yogisonu #vichar #thots #विचार

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Naveen Bothra

परमात्मा प्रभु का एक सूत्र
सामायिक साधना में दस प्रकार के मुंड
४ कषाय,५ इंद्रियों के विषय में आसक्ति घटाना

परमात्मा प्रभु का एक सूत्र सामायिक साधना में दस प्रकार के मुंड ४ कषाय,५ इंद्रियों के विषय में आसक्ति घटाना #विचार

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Pnkj Dixit

स्व  की  पहचान  करके , साहित्य साधना में जुट गए

मिलेगा परिणाम उत्तम ,भाव कलमबद्ध करते जाइए ।

२९/०७/२०१९
🌷👰💓💝
...✍ कमल शर्मा'बेधड़क' स्व  की  पहचान  करके , साहित्य साधना में जुट गए

मिलेगा परिणाम उत्तम ,भाव कलमबद्ध करते जाइए ।

२९/०७/२०१९
🌷👰💓💝
...✍ कमल शर्मा'बेधड़क'
#कविता

स्व की पहचान करके , साहित्य साधना में जुट गए मिलेगा परिणाम उत्तम ,भाव कलमबद्ध करते जाइए । २९/०७/२०१९ 🌷👰💓💝 ...✍ कमल शर्मा'बेधड़क' कविता

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Bhuwnesh Joshi

सृष्टि का सृजन करके
वो लीन हुआ साधना में
निरंतर गतिशील यह ब्रह्मांड
गतिशील है जिसकी साधना से

सुप्रभात मित्रों 
♥♥ सृष्टि का सृजन करके
वो लीन हुआ साधना में
निरंतर गतिशील यह ब्रह्मांड
गतिशील है जिसकी साधना से
#महादेव
सुप्रभात मित्रों ♥♥
#भुवनेश #yqdidi #yq

सृष्टि का सृजन करके वो लीन हुआ साधना में निरंतर गतिशील यह ब्रह्मांड गतिशील है जिसकी साधना से #महादेव सुप्रभात मित्रों ♥♥ #भुवनेश #yqdidi yq #yqbaba #yqdada #yqbhaijan #yqhindi #yqquotes

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Parul Sharma

प्रेम वो आराधना है जिसका आराध्य खुद प्रेम है
जहाँ पाने व खोने देने का डर साधना में बाध्य है
हर स्थिती में रम जाने योग्य विभिन्न रूप धारी 
जीव में जीवंतता की निरंतरता का आभाष है

©Parul Sharma प्रेम वो आराधना है जिसका आराध्य खुद प्रेम है
जहाँ पाने व खोने देने का डर साधना में बाध्य है
हर स्थिती में रम जाने योग्य विभिन्न रूप धारी 
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प्रेम वो आराधना है जिसका आराध्य खुद प्रेम है जहाँ पाने व खोने देने का डर साधना में बाध्य है हर स्थिती में रम जाने योग्य विभिन्न रूप धारी जी #Morningvibes

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GoluBabu

#SecretsOfLordShiva
शिवरात्रि के अवसर पर अवश्य जानिए त्रिलोकी नाथ शिव जी किसकी साधना में लीन रहते हैं ?
शिव जी से ऊपर भी कोई परमात्मा है ? ज

#SecretsOfLordShiva शिवरात्रि के अवसर पर अवश्य जानिए त्रिलोकी नाथ शिव जी किसकी साधना में लीन रहते हैं ? शिव जी से ऊपर भी कोई परमात्मा है ? ज #समाज

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Vishalkumar "Vishal"

#PARINDE क्या रंग दिखाती है क़लम गर कोई पूछे तो क्या ज़वाब हो? क़लम और क़लमकार को एक टक देखता एक ऐसा रचनाकार जो अपने मन के भावों को शब्दों म

#parinde क्या रंग दिखाती है क़लम गर कोई पूछे तो क्या ज़वाब हो? क़लम और क़लमकार को एक टक देखता एक ऐसा रचनाकार जो अपने मन के भावों को शब्दों म #कविता

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Saurabh Upadhyay

पागल हो जाओगे, उन्होंने कहा
(शेष अनुशीर्षक में) पागल हो जाओगे, उन्होंने कहा
अगर देखोगे यूँ ही खुली आँखों से सपने
विरक्त होकर डूब जाओगे अगर साधना में
दिन - रात का अंतर भूल जाओगे लक्ष्य के आ

पागल हो जाओगे, उन्होंने कहा अगर देखोगे यूँ ही खुली आँखों से सपने विरक्त होकर डूब जाओगे अगर साधना में दिन - रात का अंतर भूल जाओगे लक्ष्य के आ #Hindi #yqbaba #hindipoetry #yqdidi #madness

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विष्णुप्रिया

आहा..... ये सफेदा के,
ग्लासों की खुशबू...
आज पुनः एकाकार करती, मानो...
गंगा में अस्थियों का विलय हो रहा हो ...
और भस्म महादेव को लेपित... गाँव में द्वारे पर ही सफेदा का पेड़ था, बचपन से देखती आई, उसके ग्लास संजो खेलती, और उसकी भीनी खुशबू, आज भी याद है....
जाने क्यों आज साहस ही म

गाँव में द्वारे पर ही सफेदा का पेड़ था, बचपन से देखती आई, उसके ग्लास संजो खेलती, और उसकी भीनी खुशबू, आज भी याद है.... जाने क्यों आज साहस ही म #yqdidi #विष्णुप्रिया

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R.S. Meena

   राहें
राह नहीं आसान, बस इतना समझ में आया है।
अपने कदमों को उठाकर ही, मंजिल को पाया है।।

उपदेशों में कामयाबी के भरमार तरीके दिखलाये,
पग-पग पर अंगारे है, कोई न हमकों बतलाये।
जब बहा पसीना़ अपने तन से,मन बहक ना पाया है।
 राह नहीं आसान, बस इतना समझ में आया है।
अपने कदमों को उठाकर ही, मंजिल को पाया है।।

कर्म से ही सबकों मिलता है, अपने पथ का सार,
संयम से चलकर ही पुरे होते है,सपने अपरंपार।
तेज दौड़कर भी शशक जीत ना पाया है।
राह नहीं आसान, बस इतना समझ में आया है।
अपने कदमों को उठाकर ही, मंजिल को पाया है।।

टेड़ी-मेड़ी राहों पर भी सीधा चलना पड़ता है,
लक्ष्य साधना में गिर कर भी उठना पड़ता है।
राहों में पुष्प भी मिलेंगे, सबका मन ललचाया है।
राह नहीं आसान, बस इतना समझ में आया है।
अपने कदमों को उठाकर ही, मंजिल को पाया है।।                              राहें

राह नहीं आसान, बस इतना समझ में आया है।
अपने कदमों को उठाकर ही, मंजिल को पाया है।।

उपदेशों में कामयाबी क

राहें राह नहीं आसान, बस इतना समझ में आया है। अपने कदमों को उठाकर ही, मंजिल को पाया है।। उपदेशों में कामयाबी क #yqdidi #rsmalwar

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Author Munesh sharma 'Nirjhara'

संयोग नहीं बस वियोग मिला...




(कैप्शन में पढ़ें) संयोग नहीं
बस वियोग मिला
प्रेम में प्रियवर तुमसे
अजब यह संजोग जुड़ा
हर्षा मन,चहका यौवन
मन पंछी ने किया गायन
जब मिले तुम उस प्रथम क्षण
नयन स्त

संयोग नहीं बस वियोग मिला प्रेम में प्रियवर तुमसे अजब यह संजोग जुड़ा हर्षा मन,चहका यौवन मन पंछी ने किया गायन जब मिले तुम उस प्रथम क्षण नयन स्त

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Nadbrahm

भोजपुरी के सिद्धस्त नाट्यकार भिखारी ठाकुर के साथी हैं ये बाबा राम चन्द्र मांझी लौंडा नाच की विधा में बचपन से अब 96 वर्ष तक अर्पित कर चुके। 
कला को अपना जीवन अपनी साँसे देकर जीवित रखने वाले ये साधर दिखते जोगी हैं। जिनका जोग लगा है कला के नृत्य नाट्य विधा से । पद्म पुरस्कार धन्य हुआ आप को पा कर ।

©BK Mishra बिहार की माटी से एक मांझी थे दशरथ मांझी सब जानते हैं ना वो फिलम भी आया रहा जबतक तोड़ेंगे नही तब तक छोडेंगे नही । वही जुनून वही समर्पण वही जिद

बिहार की माटी से एक मांझी थे दशरथ मांझी सब जानते हैं ना वो फिलम भी आया रहा जबतक तोड़ेंगे नही तब तक छोडेंगे नही । वही जुनून वही समर्पण वही जिद #nojotostory #गाथा #रामचंद्रमाँझी #पद्मपुरस्कार

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Writer1

ओ कान्हा मेरे,सुन‌ लो पुकार
आकर थाम लो,बसो नैन द्वार,

उजड़ा मेरा बागबां, तूफानों से,
इस तरह  के संभल ना पा रहे,

अनंत प्यार में डूबे हैं,कोई ना मेरा,
ईश्वर दया दृष्टि करो, दे दो सहारा।  काव्य-ॲंजुरी✍️ के विशिष्ट लेखन में आपका स्वागत है ।

कृपया ध्यान से पढ़ें

आज हम " स्वर की साधना " करेंगे।

हिंदी वर्णमाला स्वर एवं व्यंजन

काव्य-ॲंजुरी✍️ के विशिष्ट लेखन में आपका स्वागत है । कृपया ध्यान से पढ़ें आज हम " स्वर की साधना " करेंगे। हिंदी वर्णमाला स्वर एवं व्यंजन #yqbaba #yqdidi #YourQuoteAndMine #काव्य_ॲंजुरी #विशिष्टलेखन #स्वरकीसाधना

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DR. SANJU TRIPATHI

आज तक तुझसे ही दिल लगाया, तुझसे ही प्यार किया,
एक तू ही है जिसके प्यार पर मैंने दिल से भरोसा किया।

इस दिल ने रात-दिन बस दुआ में तेरा ही प्यार मांगा है,
ऐसे ही मेरे जीवन में तुम प्यार की बरसात करते रहना।

इश्क़ के गवाह हैं हमारे नीले गगन के सब चांद-सितारे,
उम्र बीत जाए तेरी बाहों में, तेरे प्यार में ही जीवन गुजारें।

  काव्य-ॲंजुरी✍️ के विशिष्ट लेखन में आपका स्वागत है ।

कृपया ध्यान से पढ़ें

आज हम " स्वर की साधना " करेंगे।

हिंदी वर्णमाला स्वर एवं व्यंजन

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Vikas Sharma Shivaaya'

भगवान सूर्यदेव के 12 नाम :-
ॐ सूर्याय नम: ।
ॐ भास्कराय नम:।
ॐ रवये नम: ।
ॐ मित्राय नम: ।
ॐ भानवे नम: !
ॐ खगय नम: ।
ॐ पुष्णे नम: । 
ॐ मारिचाये नम: । 
ॐ आदित्याय नम: ।
ॐ सावित्रे नम: । 
ॐ आर्काय नम: ।
ॐ हिरण्यगर्भाय नम: ।

सूर्य के देवता भगवान शिव हैं।

भैरव:-
ग्रंथों में अष्ट भैरवों का जिक्र मिलता है- ये आठ भैरव आठों दिशाओं (पूर्व, पश्चिम, उत्तर, दक्षिण, ईशान, आग्नेय, नैऋत्य, वायव्य) का प्रतिनिधित्व करते हैं और आठों भैरवों के नीचे आठ-आठ भैरव होते हैं। यानी कुल 64 भैरव माने गए हैं- ध्यान के बिना साधक मूक सदृश है, भैरव साधना में भी ध्यान की अपनी विशिष्ट महत्ता है। 

विष्णु सहस्रनाम(एक हजार नाम) आज 347 से 358 नाम 
347 अरविन्दाक्षः जिनकी आँख अरविन्द (कमल) के समान है
348 पद्मगर्भः हृदयरूप पद्म में मध्य में उपासना करने वाले हैं
349 शरीरभृत् अपनी माया से शरीर धारण करने वाले हैं
350 महर्द्धिः जिनकी विभूति महान है
351 ऋद्धः प्रपंचरूप
352 वृद्धात्मा जिनकी देह वृद्ध या पुरातन है
353 महाक्षः जिनकी अनेको महान आँखें (अक्षि) हैं
354 गरुडध्वजः जिनकी ध्वजा गरुड़ के चिन्ह वाली है
355 अतुलः जिनकी कोई तुलना नहीं है
356 शरभः जो नाशवान शरीर में प्रयगात्मा रूप से भासते हैं
357 भीमः जिनसे सब डरते हैं
358 समयज्ञः समस्त भूतों में जो समभाव रखते हैं
🙏बोलो मेरे सतगुरु श्री बाबा लाल दयाल जी महाराज की जय🌹

©Vikas Sharma Shivaaya' भगवान सूर्यदेव के 12 नाम :-
ॐ सूर्याय नम: ।
ॐ भास्कराय नम:।
ॐ रवये नम: ।
ॐ मित्राय नम: ।
ॐ भानवे नम: !
ॐ खगय नम: ।
ॐ पुष्णे नम: ।

भगवान सूर्यदेव के 12 नाम :- ॐ सूर्याय नम: । ॐ भास्कराय नम:। ॐ रवये नम: । ॐ मित्राय नम: । ॐ भानवे नम: ! ॐ खगय नम: । ॐ पुष्णे नम: । #समाज

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Anil Prasad Sinha 'Madhukar'

आओ  हम  स्वर  की  साधना को  सजाएँ,
उस  साधना  का रियाज़, हम करते  जाएँ।

ईश्वर बसा  करते हैं, सुर संगम के मंदिर में,
अब तो यही कामना, हम सफल  हो जाएँ।

ऐसे में हम जरूर, संगीत सम्राट कहलायेंगे,
और  संगीत की  दुनिया में, नाम  कमायेंगे।  काव्य-ॲंजुरी✍️ के विशिष्ट लेखन में आपका स्वागत है ।

कृपया ध्यान से पढ़ें

आज हम " स्वर की साधना " करेंगे।

हिंदी वर्णमाला स्वर एवं व्यंजन

काव्य-ॲंजुरी✍️ के विशिष्ट लेखन में आपका स्वागत है । कृपया ध्यान से पढ़ें आज हम " स्वर की साधना " करेंगे। हिंदी वर्णमाला स्वर एवं व्यंजन #yqbaba #yqdidi #YourQuoteAndMine #काव्य_ॲंजुरी #विशिष्टलेखन #स्वरकीसाधना

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Vikas Sharma Shivaaya'

गुप्त नवरात्र:-2 फरवरी-10 फरवरी 2022

गुप्त नवरात्र में साधना को जितनी गोपनीयता के साथ किया जाता है साधक पर उतनी ज्यादा देवी की कृपा होता है...,
शक्ति की साधना का महापर्व नवरात्रि वर्ष में चार बार आता है- प्रथम चैत्र मास में पहली वासंतिक नवरात्रि, आषाढ़ मास में दूसरी नवरात्रि, आश्विन मास में तीसरी और माघ मास में चौथे नवरात्र आते हैं...,
इन्हें गुप्त नवरात्र इसलिए कहा जाता है क्योंकि इनमें मां की आराधना गुप्त रूप से की जाती है-इसमें मां का ध्यान लगाने से विशेष फल मिलता है,तंत्र साधना में विश्वास रखने वाले लोग इस दौरान तंत्र साधना करते हैं...,
                     🔱मंत्र🧘
1-धन प्राप्ति के लिए मंत्र : ॐ दुर्गे स्मृता हरसि भीतिमशेषजन्तोः । स्वस्थैः स्मृता मतिमतीव शुभां ददासि ।।

2- संतान प्राप्ति के लिए मंत्र : ॐ सर्वाबाधा वि निर्मुक्तो धन धान्य सुतान्वितः । मनुष्यो मत्प्रसादेन भवष्यति न संशय ॥
3- दुःख-कष्टों के नाश के लिए मंत्र : ॐ शरणागत दीनार्त परित्राण परायणे । सर्वस्यार्तिहरे देवि नारायणि नमोऽस्तु ते ।।
4- स्वस्थ शरीर मंत्र : ॐ ऐश्वर्य यत्प्रसादेन सौभाग्य-आरोग्य सम्पदः । शत्रु हानि परो मोक्षः स्तुयते सान किं जनै ।।
5- मोक्ष प्राप्ति के लिए मंत्र : ॐ सर्वस्य बुद्धिरुपेण जनस्य हृदि संस्थिते । स्वर्गापवर्गदे देवि नारायणि नमोऽस्तु ते ।।
विष्णु सहस्रनाम (एक हजार नाम) आज 526 से 537 नाम
526 आनन्दः आनंदस्वरूप
527 नन्दनः आनंदित करने वाले हैं
528 नन्दः सब प्रकार की सिद्धियों से संपन्न
529 सत्यधर्मा जिनके धर्म ज्ञानादि गुण सत्य हैं
530 त्रिविक्रमः जिनके तीन विक्रम (डग) तीनों लोकों में क्रान्त (व्याप्त) हो गए
531 महर्षिः कपिलाचार्यः जो ऋषि रूप से उत्पन्न हुए कपिल हैं
532 कृतज्ञः कृत (जगत) और ज्ञ (आत्मा) हैं
533 मेदिनीपतिः मेदिनी (पृथ्वी) के पति
534 त्रिपदः जिनके तीन पद हैं
535 त्रिदशाध्यक्षः जागृत , स्वप्न और सुषुप्ति इन तीन अवस्थाओं के अध्यक्ष
536 महाशृंगः मत्स्य अवतार
537 कृतान्तकृत् कृत (जगत) का अंत करने वाले हैं
🙏बोलो मेरे सतगुरु श्री बाबा लाल दयाल जी महाराज की जय 🌹

©Vikas Sharma Shivaaya' गुप्त नवरात्र:-2 फरवरी-10 फरवरी 2022

गुप्त नवरात्र में साधना को जितनी गोपनीयता के साथ किया जाता है साधक पर उतनी ज्यादा देवी की कृपा होता है

गुप्त नवरात्र:-2 फरवरी-10 फरवरी 2022 गुप्त नवरात्र में साधना को जितनी गोपनीयता के साथ किया जाता है साधक पर उतनी ज्यादा देवी की कृपा होता है #समाज

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vasundhara pandey

अगर मुकम्मल होता ये जीवन का सार 
मैं श्रृंगार की सहजता में पिरो लेती चार चाँद...  कभी आईने में सँवरती हूँ तो नज़रें हाँ नहीं कहतीं...
वो काजल की डिब्बी भी कोई गवाही नहीं देती
सखी अब तो बताओ तुम किसके लिये ज़ुल्फ़ें..
हवा में

कभी आईने में सँवरती हूँ तो नज़रें हाँ नहीं कहतीं... वो काजल की डिब्बी भी कोई गवाही नहीं देती सखी अब तो बताओ तुम किसके लिये ज़ुल्फ़ें.. हवा में #Collab #yqdidi #YourQuoteAndMine #देखलेनेसे

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AB

" कात्यायनी "
चंद्र हासोज्जवलकरा शार्दूलवर वाहना
कात्यायनी शुभंदद्या देवी दानवघातिनि
  
   
 नवरात्रि का छठा दिन माता कात्यायनी को समर्पित है। इस दिन भक्तगण देवी कात्यायनी के स्वरुप की उपासना कर उनका आशीर्वाद पाते हैं।

ब्रज मं

नवरात्रि का छठा दिन माता कात्यायनी को समर्पित है। इस दिन भक्तगण देवी कात्यायनी के स्वरुप की उपासना कर उनका आशीर्वाद पाते हैं। ब्रज मं

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~anshul

Happy Janmashtmi dear 😍 friends

read in caption ⤵️ कृपया पोस्ट को पूरा अवश्य पढ़े....

आज श्री कृष्ण जन्माष्टमी का पावन पर्व है इस पर्व को पूरे उत्तर भारत के साथ साथ दक्षिण भारत मे भी हर्षोंउल

कृपया पोस्ट को पूरा अवश्य पढ़े.... आज श्री कृष्ण जन्माष्टमी का पावन पर्व है इस पर्व को पूरे उत्तर भारत के साथ साथ दक्षिण भारत मे भी हर्षोंउल #Janamashtmi2020

35 Love

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N S Yadav GoldMine

महेश्वर क्या अब भी आप तटस्थ रहेंगे? शिव हंसकर बोले देवी! प्रश्न मेरी प्रसन्नता या तटस्थता का नही है जानिए इस कथा के बारे में !! 💥💥 {Bolo Ji Radhey Radhey} 
त्याग, मोह और मुक्ति :- 💠 एक बार भगवती पार्वती के साथ भगवान शिव पृथ्वी पर भ्रमण कर रहे थे। भ्रमण करते हुए वे एक वन-क्षेत्र से गुजरे। विस्तृत वन-क्षेत्र में वृक्षों की सघन माला के मध्य उन्हें एक ज्योतिर्मय मानवाकृति दिखाई दी। रुक्ष केशराशि ने निरावरण बाहुओं को अच्छादित कर रखा था। अस्पष्ट आलोक में भी तपस्वी की उज्वल छवि दर्शनीय थी। जगत जननी पार्वती ने मुग्ध भाव से कहा – इतने विस्तृत साम्राज्य का अधिपति, इतने विशाल वैभव और ऐश्वर्य का स्वामी तथा त्याग की ऐसी अपूर्व नि:स्पृह भावना! धन्य हैं भर्तृहरि।

💠 भगवान शिव ने आश्चर्य भंगिमा से पार्वती को निहारा – क्या देखकर इतना मुग्ध हो उठी हैं देवी? पार्वती बोलीं – तपस्वी का त्याग भाव। और क्या? शिव बोले – अच्छा! लेकिन मैंने तो कुछ और ही देखा देवी! तपस्वी का त्याग तो उसका अतीत था। अतीत के प्रति प्रतिक्रियाभिव्यक्ति से क्या लाभ? देखना ही था तो इसका वर्तमान देखतीं। पार्वती ने ध्यानपूर्वक देखा। तपस्वी के निकट तीन वस्तुएं रखी थीं – तीन भौतिक वस्तुएं। संग्रह का मोह दर्शाती वस्तुएं – एक पंखा, एक जलपात्र और एक शीश आलंबक (तकिया)। वस्तुओं को देखकर पार्वती ने खेद भरे स्वर में कहा – प्रभो! निश्चय ही मैंने प्रतिक्रियाभिव्यक्ति में शीघ्रता कर दी।

💠 यह सुनकर शिव मुस्करा उठे। फिर, दोनों आगे बढ़ गए। समय बीता। साधना गहन हुई। बोध भाव निखरा। वैराग्य घनीभूत हुआ तो भर्तृहरि को आभास हुआ – अरे! मेरे समीप ये अनावश्यक वस्तुएं क्यों रखी हैं? प्रकृति प्रदत्त समीर जब स्वयं ही इस देह को उपकृत कर देता है तो इस पंखे का क्या प्रयोजन? जल अंजलि में भरकर भी पिया जा सकता है और इस शीश को आलंबन देने हेतु क्या बाहुओं का उपयोग नहीं किया जा सकता?

💠 तपस्वी ने तत्काल तीनों वस्तुएं दूर हटा दीं। पुन: साधना में लीन हो गए। कुछ समय बाद शिव और पार्वती पुन: भ्रमण करते हुए वहां पहुंचे। देवी पार्वती ने तपस्वी को देखा। भौतिक साधनों को अनुपस्थिति पाकर वे प्रसन्न हो उठीं। उत्साहित होकर उन्होंने शिव को देखा, लेकिन उनके मुख पर वैसी ही पूर्ववत तटस्थता छाई थी। उन्होंने दृष्टि संकेत दिया। पार्वती की दृष्टि तपस्वी की ओर मुड़ गई। उन्होंने देखा। भर्तृहरि उठे। अपना भिक्षापात्र लेकर अति शीघ्रता से ग्राम्य-सीमा में प्रवेश कर गए। शिव ने पार्वती से कहा – देवी! साधक के हाथ में भिक्षापात्र, क्षुधापूर्ति हेतु ग्राम्य जीवन के निकट निवास और एकांत से भय! यह वैराग्य की परिपक्वता दर्शाता है। इसे परिपक्व होने में समय लगेगा। हमें अभी प्रस्थान करना चाहिए।

💠 समय व्यतीत हुआ। बोध भावना दी साधना कुछ अधिक प्रखर हुई तो भर्तृहरि ने विचार किया – संन्यासी होकर भिक्षाटन में बहुमूल्य समय का दुरूपयोग करना और ग्राम्य-कोलाहल के निकट निवास करना सर्वथा अनुचित है। भर्तृहरि ने निर्जन श्मशान को अपना आवास बना लिया। भिक्षार्थ भ्रमण बंद कर दिया और जनकल्याणार्थ वैराग्यशतक की रचना में लीन हो गए। उनकी तल्लीनता दैहिक आवश्यकताओं से ऊपर उठने लगी। रात्रि से दिवस, दिवस से रात्रि वे निरंतर साहित्य-सृजन ले लीन रहने लगे। कोई स्वयं आकर कुछ दे जाता तो ठीक, अन्यथा निराहार ही सृजन में लगे रहते।

💠 एक बार निराहार रहते हुए कई दिन बीत गए। अन्नाभाव से शरीर-बल क्षीण होने लगा। दुर्बलता असहनीय होने लगी। फिर भी वे आत्मिक जिजीविषा के बल पर निरंतर रचना कार्य करते रहे। लेकिन जब क्षीणता में मृत्युबोध होने लगा तो उन्हें भोजनार्थ उद्यम उचित लगा। वैराग्य शतक के जनहिताय सृजन कर्म को वे अपूर्ण नहीं रहने देना चाहते थे। अत: वे किसी तरह आगे बढ़े, पास ही कई चिताएं धू-धू करती हुई आकाश को छू रही थीं। उन्होंने देखा कि चिताओं के निकट पिंडदान के रूप में आटे की दो लोइयां रखी हैं तथा एक भग्नपात्र में जल भी है। भर्तृहरि आटे की लोइयां जलनी चिता पर सेंकने लगे।

💠 यह देख भगवती पार्वती विह्वल हो उठीं और बोलीं – देखिए तो ऐश्वर्यशाली नृप को, जिसके राज्य की श्री-समृद्धि में काग भी स्वर्ण चुग सकते थे, वे किस नि:स्पृहता के साथ सत्कार्य समर्पित इस जीवन की रक्षा हेतु पिंडदान की लोइयां सेंक रहा है? आह! मर्मभेदी है यह क्षण। कहिए महेश्वर, क्या अब भी आप तटस्थ रहेंगे? शिव हंसकर बोले – देवी! प्रश्न मेरी प्रसन्नता या तटस्थता का नही है। प्रश्न तो साधना की सत्यता का है। यदि साधक पवित्र है, तो भला साधक को शिव क्यों न मिलेगा? पार्वती उसी व्यथित स्वर में बोलीं – इस दृश्य से सत्य और सुंदर कुछ और हो सकता है क्या? आश्चर्य है! सहज ही मुग्ध हो उठने वाला आपका भोला हृदय इस बार यूं निर्विकार क्यों बना हुआ है?

💠 देवी! व्यथित न हों। आप स्वयं चलकर साधक की साधना का मूल्यांकन करें और तब निर्णय लें तो अधिक श्रेयस्कर होगा। भगवान शिव और भगवती पार्वती ने कृशकाय और दीन ब्राह्मण युगल का वेष धारण कर लिया और भर्तृहरि के सम्मुख पहुंचे। भर्तृहरि आहार ग्रहण करने को उद्यत हुए ही थे कि अतिथि युगल को सम्मुख पाकर रुक गए। उन्होंने क्षीण वाणी में कहा – अतिथि युगल! कृपया आहार ग्रहण कर मुझे उपकृत करें। शिव बोले – साधक! आहार देखकर, वुभुक्षा तो जाग्रत हुई थी। लेकिन हम कोई और मार्ग खोज लेंगे। क्यों विप्रवर! कोई और मार्ग क्यों?

💠 क्योंकि इस आहार की आवश्यकता हमसे अधिक आपको है। हां तपस्वी! इस आहार से आप अपनी क्षुधा को तृप्त करें, हमारी तृप्ति स्वयमेव ही हो जाएगी। पार्वती बोलीं। नहीं माते! मेरे समक्ष आकर भी आप अतृप्त रह जाएं, ऐसा मुझे स्वीकार नहीं। दोनों रोटियां ब्राह्मण युगल की ओर बढ़ाते हुए भर्तृहरि के मुख पर दान का दर्प मुखर हो उठा – माते! आप मेरी दृढ़ता से परिचित नहीं हैं। अपनी दृढ़ता के समक्ष जब मैंने अपने विशाल और ऐश्वर्य संपन्न राज्य तथा अथाह और अपरिमित श्री-संपत्ति को त्यागने में एक क्षण का विलंब न किया तो क्या आज इन पिंडदान की लोइयों का मोह करूंगा?

💠 अनायास ही पार्वती हंस पड़ीं। किंतु उस हंसी में प्रशस्ति को खनक न होकर किंचित उपहास की ध्वनि थी। उन्होंने कहा – तपस्वी! आश्चर्य है कि तुमने अपना राज्य कैसे छोड़ दिया? साधुवेष धारण करके तुम्हारी बुद्धि अभी तक वणिक वृत्ति से भौतिक वस्तुओं की माप-तौल पर टिकी हुई है। तुम मोह से निवृत्ति का दंभ करते हो। लेकिन इतना अच्छा होता कि तुमने राज्य त्यागने के स्थान पर अपनी तथाकथित निर्मोहिता के अहंकार से मुक्ति पा ली होती। यह सुनकर भर्तृहरि ठगे से देखते रह गए। ब्राह्मण दंपति के रूप में आए परम शिव और शक्ति शून्य में लोप हो चुके थे। दिशाओं में केवल हंसी की गूंज थी और हाथों में वही दो रोटियां। N S Yadav...

©N S Yadav GoldMine #Dhanteras महेश्वर क्या अब भी आप तटस्थ रहेंगे? शिव हंसकर बोले देवी! प्रश्न मेरी प्रसन्नता या तटस्थता का नही है जानिए इस कथा के बारे में !! 💥

#Dhanteras महेश्वर क्या अब भी आप तटस्थ रहेंगे? शिव हंसकर बोले देवी! प्रश्न मेरी प्रसन्नता या तटस्थता का नही है जानिए इस कथा के बारे में !! 💥 #प्रेरक

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Kulbhushan Arora

















 हो सकता है कि इसे आपने पहले भी पढ़ा हो.. नाना जी। अकसर कहते थे, जो सबक हों उन्हें बार बार पढ़ना चाहिए...
 बचपन की याद है जो बताने चला हूं, श

हो सकता है कि इसे आपने पहले भी पढ़ा हो.. नाना जी। अकसर कहते थे, जो सबक हों उन्हें बार बार पढ़ना चाहिए... बचपन की याद है जो बताने चला हूं, श #yqkulbhushandeep

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AB

संख्या शून्य,

अविभाज्य सी तुम अनिर्धारित,
असंख्य साध्य ना अल्प ना अति,!

विस्फारित संपूर्ण ब्रह्माण्ड कलश में,
निःन्सदेह अनंत नीलिमा नहीं अंहवादी,!

मात्र बिंदु से प्रारंभ और हुई निष्पन्न,
अघटित उसी बिंदु पर बनी
वह वृत्त आकृति,!

वर्चस्व स्थापित जिसका युगों -युगों से,
वह बनी उत्तरकाल में सभ्यता -संस्कृति,!

पूर्ण है स्वयं में नहीं जिसका कोई पूरक ,
अधूरी है जिसके बिना स्वयं प्रकृति,!

शेष शून्य वह, Dedicating a #testimonial to अशेष_शून्य :- केंद्र बिंदु हो या सृष्टि के कण कण में विद्यमान, शून्य हो सबसे छोटी इकाई, या असंख्य संख्या कोई जि

Dedicating a #testimonial to अशेष_शून्य :- केंद्र बिंदु हो या सृष्टि के कण कण में विद्यमान, शून्य हो सबसे छोटी इकाई, या असंख्य संख्या कोई जि #alpanas

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Deepak Kanoujia

"तेरे यार भतेरे ने 
मेरा तू ही है बस यारा"








                                              " तेरे नाल होना ऐ गुज़ारा जट्टी दा 
                                                मेरा नहीयो होर कोयी हाल किसे नाल "





 दृश्य 1 :

एक सुन्दर सरोवर जिसमें तरह तरह के फूल खिले हैं और विभिन्न प्रकार के जलचर जल की क्रीङाये कर रहे हैं...आसपास ऊँचे पर्वत और उनसे क

दृश्य 1 : एक सुन्दर सरोवर जिसमें तरह तरह के फूल खिले हैं और विभिन्न प्रकार के जलचर जल की क्रीङाये कर रहे हैं...आसपास ऊँचे पर्वत और उनसे क #mahashivratri #loveisworship #shivparvati #mahadevlove #modishtro #deepakkanoujia #pradhunik

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