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Parasram Arora

कलयुग मे #कविता

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अधर्म वाले कलयुग मे भी तुम सोने का हिरण ढूंढ रहे हो
हो सकता है  तुम्हारी अनुपस्तिथि मे तुम्हारी जानकी का अपहरण हो गया हो

क्यों तुम  मछलियों क़ो  रेत पर लाकर  नचाना  चाहतें हो
हो सकता तुम्हारे लिये ये खेल हो  लेकिन मछलियों केलिये ये मरण हो

आखिर कब तक  और कितनी  दूर तक भागते रहोगे  जिंदगीसे तुम सोच रहे  भागने  से  शायद  तुमने  गमो से  जीत  हासिल कर  ली हो

©Parasram Arora कलयुग मे

jairani Kumari

#Art कलयुग को सतयुग मे बदलना #विचार

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संस्कारो से ही संसार बनता है।अपनी सोच ,विचारो,व्यवहार से जिस प्रकार कलयुग का निर्माण किया है।उसे समाप्त अपने अच्छे व्यवहार, अच्छे सोच,और विचारो से सतयुग ला सकते है।जय श्री कृष्ण🙏

©jairani Kumari #Art कलयुग को सतयुग मे बदलना

Khursheed Ali

सच मे कलयुग प्रारम्भ हो गया है..

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जिनको खुद बोलने की तमीज नही है, वो आज हमे बोलने का सलीका सीखा रहे है ।। सच मे कलयुग प्रारम्भ हो गया है..

Anil Kumar

कलयुग मे ये कया हो रहा है #समाज

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Dr Arun Pratap Singh Bhadauria

भागवत मे लिखी दस बातें कलयुग मे सच हो रही है...

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Kavita jayesh Panot

#हा घोर कलयुग हैछलयुग है ये

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हा घोर  कलयुग आ गया,

ये कैसा छलयुग आ गया।

नो महीने पेट में पाला जिसने,

जीवन और मौत की परवाह किये बिना,

जिसने जन्म दिया,

एक बीज से , पौधा बना दुनियाँ,

में अस्तित्व जिसका खड़ा किया।

ऐसी जननी देवी को,

काया कल्प शिथिल हो जाने पर,

अनाथाश्रम विदा किया।

जिसने न  कभी अपनी परवाह की,

न भीषण धूप, न कड़कड़ाती ठंड,

तेज बारिश की बौछार ,

सदैव एक मजदूर सा बंध,

श्रम करता रहा घर से बाहर।

ऐसे विश्वकर्मा से पिता के,

कर्ज को भी पड़ लिख बाबू बन,

छोड़ आते है गेरो के हाथों में,

बुढ़ापे को पहाड़ सा एहसास करा बिताने,

ये कलयुग है .....

घोर छलयुग है ,

जहाँ श्रवण कुमार नहीं अब संताने।

जो बैठा चार पहिये वाहन में,

छोड़ आते है अपने ही,

अस्तित्व की वजह को ,

अनाथालय।

बाकी तो क्या होगा इससे बड़ा उदाहरण,

कलयुग का,

क्या  बात करे किसी औऱ विषय की,

इससे बड़ा क्या छल है।

हा बात एक ही काफी है,

इस कलयुग को , छलयुग कहने को।

हा ये कलयुग है घोर छलयुग-----

घर की नींव है बूढ़े माँ  बाप,

निवेदन है इंसानों इन्हें....

अनाथालय के कारावास से मुक्त करो,

बुढ़ापे को इनके लाचारी न बनाओ,

इन्हें घर में ही बसा,

घर को इनके आशीषों से महकने दो,

घर को घर ही रहने दो। #हा घोर कलयुग है#छलयुग है ये
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