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Keshav Raj Keshav Raj
हमारे देश के वीर सपूतों की कुर्बानी को, हम सभी देशवासी सारे वृक्ष के पत्तों को कलम मानकर और सारी पृथ्वी को कागज मानकर भी वर्णन किया जाय तो भी कम ही पड़ जाएगा,,, वीर सपूतों को शत् शत् नमन । #NojotoQuote #कुर्बानी की प्रसंशा,,
Ehssas Speaker
मिट जाते हैं, कुछ लोग वतन की खातिर, याद रखा करो उन वीरा न, फांसी का फंदा चुम लेते हैं, तोड़क गुलामी की जंजीरा न, देश ने दे दिया करा लालिमा अपने खून के रंग में, तिंरगा लहराते हैं,जो एक अद्भुत ढंग ये, जिसे कहा कर से हैं हम आपका, जिस पे हमने अभिमान हैं, जिया कर हम आजाद भारत में तो उन्हीं का बलिदान से, हिंदू पूज्या कर मंदिर न, मुस्लिम पूज्या कर मस्जिद न,अरे ताम उन लोगों ने क्यों ना पूजते, जिस न देश पे दे दी जान, समय यूंही गुजरा कर स, सारा देश यूंही याद कराकर से, उन शहिदों पर प्यार हमेशा यूंही उमड़ा कर स। मिट जाते हैं, कुछ लोग वतन की खातिर, याद रखा करो उन वीरा न।। ©Ehssas Sapno ka # कुर्बानी शहिदों की
chandan tripathi
परिवार की खुशी के लिऐ अपने सपनो को नीलाम कैसे किया जाता है ये जानना है तो किसी परिवार के एकलौते बड़े लड़के से पूछो सपनो की कुर्बानी
Amit.G.Adab
अपना मकान उसने बेच दिया अपना दुकान उसने बेच दिया बेटी का घर बसाने "उस बाप ने" सारा जहान अपना बेच दिया एक बाप की कुर्बानी
Tomeshwar das hirwani (Tamanna)
एक पिता अपना सब कुछ कुर्बान कर देता है अपने परिवार के लिए। आप ने अपनी पूरी जिंदगी हम पर कुर्बार कर दिए " पापा" जिंदगी भर आपने हमें दुनिया की हर खुशी दिया, हमनें जो चाहा वो सब कुछ आपने हस्ते हुए हमको दिए, जिंदगी भर आपसे जो चाहा वो मिला, हर खोई हुई चीज हमनें आपसे दुबारा पाया, लेकिन आपको खोने के बाद, चाहकर भी दोबारा नहीं पा सका "पापा"। miss you papa... ©Tomeshwar das hirwani (Tamanna) #woshaam पिता की कुर्बानी
SHAYAR VISHAL PIYAJI
सुनो पिया, मुहब्बत न सही मुकद्दमा ही कर दो मुझ पर...... तारीख़ दर तारीख़ तेरा दीदार तो होगा.... तेरे दीदार की तारीख
Amit premshanker
मेरे ज़नाजे की तारीख तय थी और कफ़न भी खरीदे जा रहे थे!! शामिल मैं भी था इस तैयारी में और दिन करीब आते जा रहे थे!! बेबश मैं करता भी क्या अपनो में बरखीसाज खुद सजाते जा रहे थे!! तुझसे कुछ शिकवा नहीं ये खुदा सब मेरे ही हाथों होते जा रहे थे!! शिकवा तो है अपने ही उसुलो से और उसुलो पर छुप छुप रोते जा रहे थे!! कवि:- अमित प्रेमशंकर एदला सिमरिया चतरा (झारखण्ड) ©Amit premshanker जनाजे की तारीख #RAMADAAN