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Sachin Bharti pandey

मेरी जिज्ञासाएं

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rinkal thakkar

*वास्तविक भुमिका से ही वास्तविक प्रश्न उठते है,ईससे भिन्न तो सारे प्रश्न ओर जिज्ञासाऐं दंभ का प्रदर्शन मात्र है.* *🙏जय गीरनारी🙏* #विचार

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Mo. Asiph

 जो ना होतीं जीवन में जिज्ञासाएं तो कहां पनपतीं नित नव आशाएं!!! Amit Aarya tushar pandit(तन्हाईयो का बादशाह) Secret _poet(aakas_sharmaa) #Quote

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जो ना होतीं जीवन में जिज्ञासाएं
तो कहां पनपतीं नित नव आशाएं!!!

✍️✍️मतलबी 

जो ना होतीं जीवन में जिज्ञासाएं
तो कहां पनपतीं नित नव आशाएं!!!

 Amit Aarya tushar pandit(तन्हाईयो का बादशाह) Secret _poet(aakas_sharmaa)

अशेष_शून्य

जैसे खिड़की से झांकती धूप व हवाएं कमरे से नमी सोख लेती और दिवारों पर फफूंद लगने से रोकती हैं । ठीक वैसे ही मस्तिष्क की तंत्रिकाओं से झांक

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..... जैसे खिड़की से झांकती धूप व
हवाएं कमरे से नमी सोख लेती 
और
दिवारों पर फफूंद लगने से रोकती हैं ।

ठीक वैसे ही मस्तिष्क की 
तंत्रिकाओं से झांक

एक इबादत

कर सोलह श्रृंगार यार मेरा शशि तेरे दरश को आज आयेगा, नयनों का ही है उसके अब तक मुझको दिदार हुआ क्या अपने भीतर आज मुझे उसका पूरा बिम्ब द

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कर सोलह श्रृंगार यार मेरा
 शशि तेरे दरश को आज आयेगा,

नयनों का ही है उसके अब 
तक मुझको दिदार हुआ 

क्या अपने भीतर आज मुझे 
उसका पूरा प्रतिबिम्ब दिखलायेगा,

शशि तुझे क्रिया महादेव की ,कामदेव-रति
 के प्रेम का  तुझको वास्ता है,

करवा दे एक बार सोलह श्रृंगार में आज दर्शन उनके 
उर के जिज्ञासाओं को शांत करने दे,

नतमस्तक रहूंगा उम्र-भर ए शशि मैं तेरे
बस तू आज खुद भीतर उनके रूप का प्रतिबिम्ब दिखा दे..!! कर सोलह श्रृंगार यार मेरा 
शशि तेरे दरश को आज आयेगा,

नयनों का ही है उसके अब 
तक मुझको दिदार हुआ 

क्या अपने भीतर आज मुझे 
उसका पूरा बिम्ब द

Ravikant Raut

रिश्ता नही... तुम्हारी मोहब्बत मुझसे नहीं मेरे ज़िस्म के उन हिस्सों से है जिन्हें तुम देखना चाहते हो असमंजस में हूं मना कर दूं तुम्हें, #Hindi

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 रिश्ता 
नही...
तुम्हारी मोहब्बत मुझसे नहीं 
मेरे ज़िस्म के उन हिस्सों से है 
जिन्हें तुम देखना चाहते हो

असमंजस में हूं 
मना कर दूं तुम्हें,

Rakesh frnds4ever

#Sukha जिस तरह एक #वृक्ष लोगों की गलियां सुनने, #कोसे जाने से #सूख कर #ढूंढ हो जाता है अपनी @पत्तियां, @टहनियां @फल, @फूल, खो देता है #जीवन #ज़िन्दगी #ताने #कोसा #यातनाएं #rakeshfrnds4ever

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Priya Kumari Niharika

#celebration वर्ष की संख्या बदली, समय बदला, पर हालात की निर्ममता, वृक्ष की तरह शाखाएं फैलाये, जड़े जमाये, रोक रखा है, अस्तित्व के अनुसन्धान क #कविता

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वर्ष की संख्या बदली, समय बदला,
पर हालात की निर्ममता,
वृक्ष की तरह शाखाएं फैलाये, जड़े जमाये,
रोक रखा है, अस्तित्व के अनुसन्धान का मार्ग,
बढ़ रही है अंतर्मन की विभीषिका,
पीछे छूट रहा है संचित आत्मबल,
संभव नहीं अब शायद,
यथार्थ का सामना करना,
शेष है केवल जिजीविषा के लिए
उम्र, आनंद और स्वप्न से समझौता करना,
बेशक़ कठिन है स्वप्न के अवशेष को समेटकर,
खुद को संभाल पाना,
पर उतरदायित्वों के वजन से बिना दबे,
आगे बढ़ने की अपेक्षाएं,
समाज द्वारा व्यक्ति से हमेशा की जाती है,
खैर आशाएं आतुर रहती है,
प्राणों की रक्षा करने को, 
 तटस्थता के कारावास में,
व्याकुल है सत्य की ध्वनि,
कोलाहल की व्याप्ति में,
शून्य हुई है आत्मा की अनुगूंज,
 संस्कृति परंपरा,
या ज्ञान-विज्ञान के मिश्रण से,
 पनपी आधुनिकता,
न स्वतंत्र है न पूर्ण,
 उद्विग्न है मानव आज,
मानस के बढ़ते अंतरद्वन्द से,
जिज्ञासाओं को शांत करने में,
उम्र कम पड़ जाते है,
 कृत्रिम बना मृदुल हिय,
 नष्ट हुई नैसर्गिकता,
 संवाद संवेदना और सम्मान,
 सरसैया पर लेटे हैं,
 रिक्त हुआ है विश्व, भाव से,
 कोरी आस्था, खोखले संबंध,
 प्रगति के परिचायक बने,
व्यस्त रहती है जिन्दगी,
 समझ और समझौते में,
 कितने नववर्ष निकल जाते है,
जीवन की मूल जरूरतों की पूर्ति में,
पर अंत में अस्तित्व मुट्ठी भर राख़ बनकर,
फिसल जाता है नियंत्रण से,

©Priya Kumari Niharika #celebration वर्ष की संख्या बदली, समय बदला,
पर हालात की निर्ममता,
वृक्ष की तरह शाखाएं फैलाये, जड़े जमाये,
रोक रखा है, अस्तित्व के अनुसन्धान क

AB

प्रिय अल्प,. तुम्हें पता है तुम्हारे न होने पर तुम्हारी पुरानी कविताओं को पढ़ना ऐसा है मानो मैं बीते कल की खुद को पढ़ रही होती हूँ.. इसमें को

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( अनुशीर्षक ) प्रिय अल्प,.

तुम्हें पता है तुम्हारे न होने पर तुम्हारी पुरानी कविताओं को पढ़ना ऐसा है मानो मैं बीते कल की खुद को पढ़ रही होती हूँ.. इसमें को

Ankit verma 'utkarsh'

जीवन की उबड़-खाबड़ धरा पर, विचलित और सहमी हुई पवन से, कोई उज्ज्वल भविष्य उगना चाहता है, वो खुद का अस्तित्व चाहता है. चलिए प्रारंभ करते ह #Music #peace #experience #Train #कविता #sukoon #rahat #observation #Waada

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, 💞💞💞💞💞

©Ankit verma 'utkarsh' जीवन की उबड़-खाबड़ धरा पर, 
 विचलित और सहमी हुई पवन से, 
कोई उज्ज्वल भविष्य उगना चाहता है, 
वो खुद का अस्तित्व चाहता है.
चलिए प्रारंभ करते ह
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