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Parasram Arora
पौराणिक युग से चली आ रही ये पतित परम्पराये और कुप्रथाये. आज भी प्र चलन मे है .... आज भी हर सभा मे पांचलियो का अस्तितब दाव. परलगा हुआ है गली के हर मोड़ पर गुटों के बींच युद्धअभ्यास हो रहा है सड़को पर खुले आम बलात्कार हो रहा है लगता यही है कि "महाभारत "ने अपनी निरंतरता और अस्मिता को आज तक खोया नही है ©Parasram Arora पतित परम्पराये....
yogesh kansara
मैं सनातनी हिन्दू,सिख, बौद्ध व जैन हम सब मानवता के पुजारी अन्याय के प्रतिकारी हैं एक भी लाख पर भारी नारी को हम देवी मानते हम सब सनातनी ©yogesh kansara #परम्पराएं #
Parasram Arora
कई वर्ष पहले जो बीज परम्पराओ के हमने बोये थे आज वो विकसित हो कर फल फूल रहे हैँ क्योंकि हमने सही समय पर दिया था उन्हें खाद पानी का पाथेय और मौसम के हर ज़ुल्म से उन्हें बचाये भी रखा था दुख सुख के अनुपातिक सौंदर्य. को समझने की उन्हें सोच भी दी थी इसीलिए आज वे आत्मनिर्भर हैँ स्वछंद हैँ पर एक नियंत्रित शालीन शैली से अनुबंधित भी हैँ l परम्पराओ के बीज
Parasram Arora
कोई झूठ सदियों तक दोहराया जाय तो वो झूठ सत्य का चोगा पहन कर हमारी मृत प्राय संग्रहित परम्पराओं का हिस्सा बन जाता हैँ और तभी तो आज भी यही माना जाता. रहा है क़ि अगर मरघट से आधी रात में नगाडो कीआवाज़ सुनाई पडे तो समझ लेना चाहिए क़ि मरघट में दाह संस्कार के बाद अस्तित्व में विलुप्त शरीरो की रूहे. अपने जिस्मो से फिर से जुड़ने के प्रयास कर रही है और ज़ब रूहों के प्रयास विफल हो जाते है तो उन्हे नगाड़े बजा.कर जगाया जाता है ताकि उनके मौन कों मुखरित किया जा सके और उन्हे जगा कर .फिर से अपने. जिस्मो से जुड़ा जाए ©Parasram Arora झूठ से निर्मित परम्पराये
Khushi rawal
करवाचौथ ये पवन व्रत त्यौहार करता परम्परा का ज्ञान पत्नी ओर पति में बढ़ाता विश्वास ये प्रतीक है,आदर भाव का एक दूजे के सम्मान का। ©Khushi rawal परम्परा का दीपक #Karwachauth #परम्परा
Parasram Arora
आज भी एक चुटकी सिन्दूर मांग मे भरते ही अगले सात जन्मो के लिए साथ निभाने के वचन बन जाते हैँ कच्चे धागे की बनी रखियो से भाई बहिन के संबंध जीवन भर के लिए बंध जाते हैँ आधुनिकता के परिवेश मे विकासवाद के नाम पर कई रूपांतरण हो चुके हैँ और भविष्य मे भी संभावित हैँ किन्तु परंम्पराओ की ये पुरातन शैली अपनी परिपक्वता अभी तक खो नहीं पायी हैँ इसके चिर स्थायित्व पर मुझे पूरा यकीन हैँ आज भी और भविष्य मे भी बना रहेगा परम्पराओ का चिर स्थायित्व