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ashvini lata
सवाई सारस्वत
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N S Yadav GoldMine
नारदजी विष्णु भगवान के परम भक्तों में से एक माने जाते हैं आइये विस्तार से जानिए !!🌲🌲 {Bolo Ji Radhey Radhey} नारद जयंती :- 🎻 नारदजी विष्णु भगवान के परम भक्तों में से एक माने जाते हैं। देवर्षि नारद मुनि विभिन्न लोकों में यात्रा करते थे, जिनमें पृथ्वी, आकाश और पाताल का समावेश होता था। ताकि देवी-देवताओं तक संदेश और सूचना का संचार किया जा सके। नारद मुनि के हाथ में हमेशा वीणा मौजूद रहता है। 🎻 उन्होंने गायन के माध्यम से संदेश देने के लिए अपनी वीणा का उपयोग किया। देवर्षि नारद व्यासजी, वाल्मीकि तथा परम ज्ञानी शुकदेव जी के गुरु माने जाते हैं। कहा जाता है कि नारद मुनि सच्चे सहायक के रूप में हमेशा सच्चे और निर्दोष लोगों की पुकार श्री हरि तक पहुंचाते थे। इन्होंने देवताओं के साथ-साथ असुरों का भी सही मार्गदर्शन किया। यही वजह है कि सभी लोकों में उन्हें सम्मान की दृष्टि से देखा जाता था। नारद मुनि की जन्म कथा :- ब्रहमा के पुत्र होने से पहले नारद मुनि एक गंधर्व थे। पौराणिक कथाओं के अनुसार अपने पूर्व जन्म में नारद उपबर्हण नाम के गंधर्व थे। उन्हें अपने रूप पर बहुत ही घमंड था। एक बार स्वर्ग में अप्सराएँ और गंधर्व गीत और नृत्य से ब्रह्मा जी की उपासना कर रहे थे तब उपबर्हण स्त्रियों के साथ वहां आए और रासलीला में लग गए। यह देख ब्रह्मा जी अत्यंत क्रोधित हो उठे और उस गंधर्व की श्राप दे दिया कि वह शूद्र योनि में जन्म लेगा। 🎻 बाद में गंधर्व का जन्म एक शूद्र दासी के पुत्र के रूप में हुआ। दोनों माता और पुत्र सच्चे मन से साधू संतो की सेवा करते। नारद मुनि बालक रुप में संतों का जूठा खाना खाते थे जिससे उनके ह्रदय के सारे पाप नष्ट हो गए। पांच वर्ष की आयु में उनकी माता की मृत्यु हो गई। अब वह एकदम अकेले हो गए। 🎻 माता की मृत्यु के पश्चात नारद ने अपना समस्त जीवन ईश्वर की भक्ति में लगाने का संकल्प लिया। कहते हैं एक दिन वह एक वृक्ष के नीचे ध्यान में बैठे थे तभी अचानक उन्हें भगवान की एक झलक दिखाई पड़ी जो तुरंत ही अदृश्य हो गई। इस घटना के बाद उस उनके मन में ईश्वर को जानने और उनके दर्शन करने की इच्छा और प्रबल हो गई। तभी अचानक आकाशवाणी हुई कि इस जन्म में उन्हें भगवान के दर्शन नहीं होंगे बल्कि अगले जन्म में वह उनके पार्षद के रूप उन्हें पुनः प्राप्त कर सकेगें। 🎻 समय आने पर यही बालक(नारद मुनि) ब्रह्मदेव के मानस पुत्र के रूप में अवतीर्ण हुए जो नारद मुनि के नाम से चारों ओर प्रसिद्ध हुए। देवर्षि नारद को श्रुति-स्मृति, इतिहास, पुराण, व्याकरण, वेदांग, संगीत, खगोल-भूगोल, ज्योतिष और योग जैसे कई शास्त्रों का प्रकांड विद्वान माना जाता है। N S Yadav..... नारद जयंती उत्सव और पूजा विधि :- 🎻 नारद मुनि भगवान विष्णु को अपना आराध्य मानते थे। उनकी भक्ति करते थे इसलिए नारद जयंती के दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी का पूजन करें। इसके बाद नारद मुनि की भी पूजा करें। गीता और दुर्गासप्त शती का पाठ करें। इस दिन भगवान विष्णु के मंदिर में भगवान श्री कृष्ण को बांसुरी भेट करें। अन्न और वस्त्रं का दान करें। इस दिन कई भक्त लोगों को ठंडा पानी भी पिलाते हैं। 🎻 ऋषि नारद आधुनिक दिन पत्रकार और जन संवाददाता का अग्रदूत है। इसलिए दिन को पत्रकार दिवस भी कहा जाता है और पूरे देश में इस रूप में मनाया जाता है। उन्हें संगीत वाद्य यंत्र वीना का आविष्कारक माना जाता है। उन्हें गंधर्व के प्रमुख नियुक्त किया गया है जो दिव्य संगीतकार थे। उत्तर भारत में इस अवसर पर बौद्धिक बैठकें, संगोष्ठियों और प्रार्थनाएं आयोजित की जाती हैं। इस दिन को आदर्श मानकर पत्रकार अपने आदर्शों का पालन करने, समाज के लोगों के प्रति दृष्टिकोण और जन कल्याण की दिशा में लक्ष्य रखने का प्रण करते हैं। ©N S Yadav GoldMine #boat नारदजी विष्णु भगवान के परम भक्तों में से एक माने जाते हैं आइये विस्तार से जानिए !!🌲🌲 {Bolo Ji Radhey Radhey} नारद जयंती :- 🎻 नारदजी वि
Ajay Amitabh Suman
ज़रूरी है ::::::::::::: ©Ajay Amitabh Suman #Poetry #Hindi_Kavita #Duryodhan #Mahabharat #कविता #दुर्योधन #महाभारत #धर्मयुद्ध महाभारत के शुरू होने से पहले जब कृष्ण शांति का प्रस्ताव