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Motivational indar jeet group
जीवन दर्शन 🌹 आत्मा का विकास ,परमात्मा के समान विस्तृत होने में है , जो सीमित है , संकीर्ण है , वह क्षुद्र है , जिसने अपनी परिधि बढ़ा ली , वही महान है !.i. j ©motivationl indar jeet guru #जीवन दर्शन 🌹 आत्मा का विकास ,परमात्मा के समान विस्तृत होने में है , जो सीमित है , संकीर्ण है , वह क्षुद्र है , जिसने अपनी परिधि बढ़ा ली , व
SURAJ आफताबी
कैसी ये विरह गर्जना कैसे क्षुद्र रक्त का वेग है सब कुछ तो था पूर्व - निश्चित फिर क्यूँ आँखों में प्रश्न अनेकानेक है !! सर्वप्रथम तो बड़ी दुष्कर थी यूँ दिल की लगी सुना जो था प्रेम में न रहती धड़कने भी सगी मगर क्रमशः सारे नित्य-नियम टूटने लगे थे ऊसर हृदय पर भावों के अंकुर फूटने लगे थे जोड़ श्वासें जीवन न जोड़ा, कैसे ये नियति के लेख है इस मौन कायनात में तो पूर्व ही था बिछोह उपस्थित फिर क्यूँ मेरी नीरवता में उमड़़ते प्रश्न अनेकानेक है !! सर्जना हुई तो फिर बिखरना भी होगा तेरी पलकों में अब न कभी मेरा सँवरना होगा जन्मजन्मांतरों तक संग मेरे चुंबनों के रेख रहेंगे माना गहरे है रिवाजों के घाव मगर सदा इन पर प्रेम के सेक रहेंगे !! क्षुद्र- तेज, fast नीरवता- खामोशी रेख - निशान आप सभी मित्रों का परम धन्यवाद दिल में मेरे लेखन को जिंदा रखने के लिए। Chulbul Pandey @love l
Juhi Grover
प्रेम तो है आत्मा परमात्मा का मिलन,कैंसे क्षुद्र, प्रेम से ही सृष्टि की रचना, उत्पत्ति व उत्थान, प्रेम ही ईश्वर, घृणा से कैंसे उपजेगा प्राण, प्रेम के बिना कैंसे रिश्ते नाते, प्रश्नचिन्ह इन्सान, कैंसे मिला पैदा होने का, बिना प्रेम के ही ज्ञान? प्रेम ही भक्ति, प्रेम ही शक्ति, सुखों का आह्वान। प्रेम तो है आत्मा परमात्मा का मिलन,कैंसे क्षुद्र, प्रेम से ही सृष्टि की रचना, उत्पत्ति व उत्थान, प्रेम ही ईश्वर, घृणा से कैंसे उप
Ajayy Kumar Mahato
क्षुद्र, तुच्छ एक बूँद सी मैं डरी डरी, अपने ही अस्तित्व के लिए मानो लड़ रही.! सुर्य की तीब्रता का अब तनिक भय नहीं मैं सागर बनी जो सागर में गिरी.!! पर वो बूँद जो पत्ते पर गिरी, मोती सी चमक क्षणिक बिखेरी। फिर सुख गयी, उड़ गयी वाष्प बनकर, भ्रम था या भूल थी जो विदित न हुआ उसे, तीब्र, प्रखर हो जाएगी प्रातः थी जो रोशनी सुनेहरी.!! ©Ajay क्षुद्र, तुच्छ एक बूँद सी मैं डरी डरी, अपने ही अस्तित्व के लिए मानो लड़ रही.! सुर्य की तीब्रता का अब तनिक भय नहीं मैं सागर बनी जो सागर में गि
मुखौटा A HIDDEN FEELINGS * अंकूर *
🙏 सहज भाव से परमात्मा को पुकारना बिना किसी क्षुद्र आकांक्षा से परे चुपचाप जीवन में बहे जाना तैरना नहीं संघर्ष नहीं करना , नदी जहाँ ले जाय उसी तरफ़ चलते चलना क्योंकि सभी नदियाँ अंतत: सागर में पहुँच जाती । अगर कोई चुपचाप बहता चले तो परमात्मा मिला ही हुआ है । तुम बहो कि अभी अनुभव में आ जाओ मगर तुम बड़े जद्दोजहद में लगे हो तुम बड़े दौड़ धूप कर रहे हो ।तुम्हारे दौड़ धूप आपा-धापी के कारण जो तुम्हारे भीतर बैठा हुआ है वो तुम्हें दिखाई भी नहीं पड़ता है । तुम इतने उलझे हुए हो इतने व्यस्त हो कि तुम देखोगे कैसे जो तुम्हारे भीतर मौजूद हैं परमात्मा तुम्हारा स्वभाव है इसलिए परमात्मा पाना नहीं पाने की दौड़ को छोड़ कर ज़रा बैठो और परमात्मा का अनुभव शुरु हो जाता है । *ओशो* #copypest ©Ankur Mishra 🙏 सहज भाव से परमात्मा को पुकारना बिना किसी क्षुद्र आकांक्षा से परे चुपचाप जीवन में बहे जाना तैरना नहीं संघर्ष नहीं करना , नदी जहाँ ले जाय उस
AB
©'अल्प एक ऐसी अवस्था जिसमें केवल और केवल हम समर्पण भाव में आ जाते हैं , स्थिर भाव और पवित्र ह्रदय के साथ अपने आराध्य की उपासना करने लगते हैं, बिना
मुंशी पवन कुमार साव "शत्यागाशि"
मनुज की अभिलाषा ~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~ नहीं चाहिए निधि एक भी, सिद्धियों को भी रहने दो। ~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~ ÷÷÷÷÷÷÷ ÷÷÷ ÷ 👇 ( Full in Caption ) #desires #freedom #aazadi #shatyagashi मनुज की अभिलाषा ~~~~~~~~~~~ बांध दो तन को मेरे, पर मन आज़ाद रहने दो। मैं भी इंसा हूँ शायद दिल की बातो
Vedantika
हक़ीर नहीं कोई ज़िंदगी खुदा की इस दुनिया में नज़र का फेर है और नीयत की बद गुमानी है ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ आज का शब्द है "हक़ीर" "haqiir" जिसका हिन्दी में अर्थ होता है तुच्छ, क्षुद्र, कमीना, अत्यल्प, बहु
Shravan Goud
जो रिश्तेदार बार बार आकर लड़ने के लिए उकसाता है वह हकीर है। ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ आज का शब्द है "हक़ीर" "haqiir" जिसका हिन्दी में अर्थ होता है तुच्छ, क्षुद्र, कमीना, अत्यल्प, बहु
Dr Upama Singh
जिसे हमने मोहब्बत का सच्चा साथी समझा वो वास्तव में हक़ीर निकला ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ आज का शब्द है "हक़ीर" "haqiir" जिसका हिन्दी में अर्थ होता है तुच्छ, क्षुद्र, कमीना, अत्यल्प, बहु