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गजेन्द्र सिंह गज्जी
दो महीने से खडी है तकनीकी खराबी ठीक ही नही हो पा रही है लालबहादुर शास्त्री अंतरास्ट्रीय एयरपोर्ट बाबतपुर पर 27 अप्रैल को गो फर्स्ट का विमान इंजन में आई तकनीकी खराबी के चलते ग्राउंड कर दिया गया था। यह विमान दिल्ली से वाराणसी आ रहा था तभी पायलट को विमान में तकनीकी खराबी की जानकारी हुई। पायलट ने किसी तरह विमान की सुरक्षित लैंडिंग वाराणसी एयरपोर्ट पर की। दूसरे दिन दिल्ली से आई तकनीकी विशेषज्ञों की टीम ने विमान को ठीक करने का प्रयास किया, लेकिन तकनीकी खराबी दूर नही हो पाई, और विमान को एप्रन पर ग्राउंड कर दिया गया। ©गजेन्द्र सिंह गज्जी दो महीने से खडी है तकनीकी खराबी ठीक ही नही हो पा रही है लालबहादुर शास्त्री अंतरास्ट्रीय एयरपोर्ट बाबतपुर पर 27 अप्रैल को गो फर्स्ट का विमान
Shayar
Mother's Day Mother’s Day 2020 : 10 मई को 'मदर्स डे' है। इसे मनाने का मुख्य उद्देश्य मां की निःस्वार्थ सेवा और प्यार के बदले उन्हें सम्मान और धन्यवाद देन
Ravendra
kaushik
महरौली लौह स्तंभ ( विष्णु स्तंभ या गरुड़ स्तंभ भी कहा गया है) माना जाता है कि इस लौह स्तंभ का निर्माण राजा चंद्रगुप्त विक्रमादित्य (राज 375-412) ने कराया है और इसका पता उसपर लिखे लेख से चलता है, जो गुप्
Shubham Anand Manmeet
मैंने लिखना चुना क्योंकि प्रेम और पीड़ा को मौखिक अभिव्यक्ति देना दुष्कर था मेरे लिए और इसलिए भी कि मुझ हेतु प्रेम और पीड़ा दोनों ही सदैव एकांत और गोपनीयता का विषय रहे । हाँलांकि प्रेम और मनोविज्ञान विशेषज्ञों को मेरे इस वक्तव्य से ख़ासी आपत्ति हो सकती है सो यह भी कह दूँ कि यह व्यक्तिगत सहजता का विषय भी है और मेरे लिए सहज था लिखना । इतना सहज कि मैंने प्रेम में संवाद के लिए भी लिखना चुना परंतु दुर्भाग्यवश तुम्हें संवाद पढ़ने से ज़्यादा संवाद सुनने में रुचि थी सो अनुत्तरित लौट आए मेरे संदेश और उपेक्षित रह गया प्रेम उपेक्षित प्रेम एक दमघोंटू स्थिति है । असंख्य लाल चींटियाँ देह में दिन रात रेंगती हैं जब-तब जहाँ-तहाँ काटते हुए यह पीड़ाओं के लौटने का समय है पीड़ाएं लौटने लगी हैं हृदय की ओर मस्तिष्क से नाभि के सीधे परिपथ में अविराम वृत्तीय यात्रा के बाद और पीड़ाओं की मौखिक अभिव्यक्ति में सदैव ही मेरी राह रोकी है आँसुओं और कँपकपाती आवाज़ ने कितनी ही बार भावनाओं ने हृदय से निकलकर गले में ऐसा चक्का जाम किया है कि कुछ कहते नहीं बना सो मैंने फिर से लिखना चुना है परन्तु इस बार प्रेम को नहीं स्वयं को बचाने हेतु। ©Shubham Anand Manmeet मैंने लिखना चुना क्योंकि प्रेम और पीड़ा को मौखिक अभिव्यक्ति देना दुष्कर था मेरे लिए और इसलिए भी कि मुझ हेतु प्रेम और पीड़ा दोनों ही सदैव एका
ÅJÎT KÙMÅR
for any covid-19 patient can registered on this link and it give 100% free consultancy .I am the best example for here if you have any viral flu disease then you registered here . Thanks to all and. Jay Hind Vande Mataram. Website link is given below... and my own experience is written in description.. https://biswaroop.com/nice/ मैं अजीत कुमार पिछले 3 दिनों से बीमार था आप सोचेंगे कि मैं इस बात को सोशल मीडिया पर क्यों रखने जा रहा हूं! पहले दिन में रात लगभग 1:00 बजे मे
Sunil itawadiya
😷😷😷🤧🤒 कोरोना के बारे में एक और खास बात कैप्शन पूरा पढ़े हैं और भी नए लक्षण आए हैं सामने 🙄🙄 Korona vayrsh दुनियाभर के लिए जानलेवा साबित हुआ है। इसने 180 से भी ज्यादा देशों को अपनी चपेट में ले लिया है। इस महामारी की वजह से अब तक छह ल
@escriptor_trodde
बचपन की वो नादानियां आज भी जारी हैं । [ अनुशीर्षक पढ़े] © शताक्षी अक्सर हमारे माता पिता, हमें बताते हैं कि बचपन में जिस काम के लिए हमें सबसे ज़्यादा मना किया जाता था, अक्सर हम वही काम सबसे ज़्यादा रुचि से क
N S Yadav GoldMine
आज हम इसका पता लगायेंगे कि आखिर क्यों जगन्नाथ मंदिर में आधी अधूरी मूर्तियों की पूजा की जाती हैं !! 🌿 🌿{Bolo Ji Radhey Radhey} जगन्नाथ की मूर्तियों के हाथ :- 💠 भगवान जगन्नाथ का मंदिर अनंत रहस्यों से जुड़ा हुआ हैं तथा सबसे बड़ा रहस्य हैं मंदिर में रखी भगवान जगन्नाथ, बलभद्र तथा सुभद्रा की मूर्तियाँ जिनके हाथ आधे बने हुए हैं तथा पैर नही है । कहते हैं कि यह मूर्तियाँ भगवान श्रीकृष्ण की मृत्यु के पश्चात उनके हृदय से बनी है। आज हम इसी कथा के बारे में जानेंगे तथा इसका पता लगायेंगे कि आखिर क्यों जगन्नाथ मंदिर में आधी अधूरी मूर्तियों की पूजा की जाती हैं। भगवान श्रीकृष्ण के हृदय का पुरी पहुंचना :- 💠 जब भगवान श्रीकृष्ण की मृत्यु हो गयी तब अर्जुन के द्वारा उनका अंतिम संस्कार किया गया। कई दिन बीत जाने के पश्चात भी जब उनका हृदय जलता रहा तो अर्जुन ने भगवान श्रीकृष्ण के आदेश पर उनका हृदय लकड़ी समेत समुंद्र में बहा दिया। यही हृदय समुंद्र में बहता हुआ पश्चिमी छोर से पूर्वी छोर तक पुरी नगरी पहुंचा। राजा इंद्रद्युम्न को मिला भगवान श्रीकृष्ण का हृदय :- 💠 मालवा के राजा इंद्रद्युम्न जो भगवान श्रीकृष्ण के बहुत बड़े भक्त थे, एक दिन उन्हें भगवान जगन्नाथ ने स्वप्न में दर्शन देकर समुंद्र तट से वह लकड़ी का लट्ठा लेकर उससे मूर्ति बनवाकर एक विशाल मंदिर में स्थापित करने को कहा। राजा इंद्रद्युम्न ने भगवान के आदेश पर एक विशाल मंदिर का निर्माण करवाया तथा वह लकड़ी का लट्ठा लेकर मंदिर में आ गए। उस लट्ठे से मूर्तियाँ बनवाने के लिए राजा ने अपने नगर के सभी महान शिल्पकारों तथा विशेषज्ञों को बुलाया लेकिन कोई भी सफल नही हो पाया। जैसे ही वे उस लट्ठे से मूर्ति बनाने के लिए उस पर हथोड़ा इत्यादि मारने का प्रयास करते तो वह टूट जाता। यह देखकर राजा बहुत निराश हो गए। शिल्पकार विश्वकर्मा आये मूर्ति बनाने :- 💠 तब सृष्टि के महान शिल्पकार तथा भगवान विश्वकर्मा एक वृद्ध कारीगर के रूप में राजा के पास आये तथा उनसे कहा कि वे उस लट्ठे से मूर्ति का निर्माण कर देंगे जिसमें उन्हें लगभग 21 दिन का समय लगेगा। साथ ही उन्होंने यह पाबंदी रखी कि इस दौरान वे एक दम अकेले रहेंगे और मंदिर के कपाट बंद रहेंगे तथा कोई भी अंदर नही आएगा। राजा ने उनकी यह शर्त मान ली तथा उन्हें मूर्ति बनाने का कार्य दे दिया। भगवान जगन्नाथ की बनी आधी अधूरी मूर्तियाँ :- 💠 भगवान श्रीकृष्ण का आदेश था कि उस लट्ठे से चार मूर्तियाँ बनाई जाए जिसमे एक उनकी मूर्ति हो तथा अन्य तीन उनके बड़े भाई बलराम (बलभद्र), बहन सुभद्रा तथा सुदर्शन चक्र की हो। विश्वकर्मा कई दिनों तक मंदिर के अंदर उस लट्ठे से मूर्तियों का निर्माण कर रहे थे तथा बाहर हथोड़ा इत्यादि चलने की ध्वनि आती रहती थी। एक दिन राजा इंद्रद्युम्न की पत्नी ने मंदिर के बाहर से कान लगाकर सुनने का प्रयास किया तो अंदर से कोई आवाज़ नही आयी। यह देखकर रानी को भय हो गया तथा उसे लगा कि कही वह वृद्ध व्यक्ति अंदर मर ना गया हो। उसने यह सूचना राजा इंद्रद्युम्न को दी। राजा को भी भय हुआ तथा वे अपने सैनिकों के साथ मंदिर पहुंचे। 💠 वहां पहुंचकर उन्होंने मंदिर के द्वार खुलवाए तो वहां से वह वृद्ध कारीगर विलुप्त हो चुका था। उन्होंने मूर्तियों को देखा तो वह आधी अधूरी पड़ी थी जिसमे तीनों के पैर नही थे तथा भगवान जगन्नाथ तथा बलभद्र के आधे हाथ ही बने थे जबकि सुभद्रा के हाथ भी नही बने थे। यह देखकर राजा निराश हुए तथा उन्हें समय से पहले मंदिर में आ जाने का दुःख हुआ किंतु भगवान जगन्नाथ ने उन्हें फिर से स्वप्न में दर्शन देकर कहा कि यही नीति थी तथा वह उन अधूरी मूर्तियों को ही मंदिर में स्थापित कर पूजा अर्चना करे। तब से भगवान जगन्नाथ, बलभद्र तथा सुभद्रा की आधी अधूरी मूर्तियाँ उस मंदिर में स्थापित हैं जिनकी भक्त पूजा करते हैं। ©N S Yadav GoldMine #MainAurChaand आज हम इसका पता लगायेंगे कि आखिर क्यों जगन्नाथ मंदिर में आधी अधूरी मूर्तियों की पूजा की जाती हैं !! 🌿 🌿{Bolo Ji Radhey Radhey}
Vibha Katare
" सर्वनाम का अत्याधिक प्रयोग व्यर्थ भ्रम की उत्पत्ति का कारक होता है । जहाँ संज्ञा आवश्यक है वहाँ सर्वनाम को आराम ही करने दीजिये । " - सर्वनामों से त्रस्त एक संज्ञा सर्वनाम की सम्पूर्ण व्यथा और कथा अनुशीर्षक में पढ़िए। संभवतः आदिकाल में जब प्रकृति विभिन्न स्तरों पर सृजनरत थी, तब भाव और संवादों की नवकोपल भी भाषा रूपी तरु के उद्भव की ओर अग्रसर रही होंगी और सं