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Dr Jayanti Pandey
सब याद रखा जाएगा जो कुछ कहा,किया,गढ़ा देश के अपमान को पैरों तले रौंदा गया तिरंगे की आन को सब याद रखा जाएगा...... (कृपया अनुशीर्षक में पढ़ें) कल किसानों के नाम पर दिल्ली ने जो भी देखा , सहा और जान की कीमत पर संयम रखा वो सब याद रखा जाना चाहिए। बिके हुए पत्रकारों, दो कौड़ी के नेताओ न
saurabh
उसका चिंता हो जाना हर बार मेरी नादानी पर जैसे मेघ स्वयं कहता हो नजर न डालो पानी पर जिसने अब तक स्वयं प्रेम को पूजा ,वह भी कहता है प्रणय नाट्य में किरदारों का क्या अधिकार कहानी पर.! जब आपसे प्रेम करने वाला ही आपको समझाये की प्रणय यज्ञ की आहुतियों में सब भस्म हो जाता है। तो ऐसा प्रतीत होता है प्रणय जिसे अब तक पूजा वह था क
Nisheeth pandey
#FourLinePoetry आकाश से ईटो का डगमगाना और हवा का चीखना केवल चीखना..... ऊंची दिशाओं में विकृत आकृतियों के चड़मराते हुए खण्डहर बिलख रहे हैं..…. फूल का रंग रोग से पीला, कमजोर और हल्का पड़ गया है..... रक्त में सना हवा का बहना और मासूमियत लुटी पत्तियों का हिलना निशीथ समझ में नहीं आता कौन सा राग गाऊं....? 🤔#निशीथ🤔 ©Nisheeth pandey आकाश से ईटो का डगमगाना और हवा का चीखना केवल चीखना..... ऊंची दिशाओं में विकृत आकृतियों के चड़मराते हुए खण्डहर बिलख रहे हैं..…. फूल का रं
Sunita D Prasad
अपना पहला, प्रेम-पत्र लिखते समय.. मैं....अंजुलि भर शब्दों में बाँध लेना चाहती थी- हवा, पानी, मिट्टी और दिन के.. आठों पहर । मैं लिखना चाहती थी- जंगलों से उठती मिश्रित सुवास को और बाढ़ से अनियंत्रित हो आई नदी को। मैं लिखना चाहती थी- समंदर किनारे.. नन्हीं-नन्हीं हथेलियों से बनी उन रेत की आकृतियों को और फिर..एक तेज़ लहर पर उन आकृतियों के बह जाने पर बच्चों की..रेत से सनी परंतु.. रिक्त हथेलियों को..। मैं लिखना चाहती थी- आँधियों के पहले.. और बाद के मौन को..। पर मेरा, वह पहला 'प्रेम पत्र' आज भी अधूरा ही है। शायद ..इन्हें, लिखने के लिए शब्द पर्याप्त ही नहीं थे या फिर..तुम्हें, कुछ कहने/लिखने के लिए शब्दों की कभी कोई.. आवश्यकता ही नहीं थी..!! --सुनीता डी प्रसाद 💐💐 #अपना पहला, प्रेम-पत्र.... अपना पहला, प्रेम-पत्र लिखते समय.. मैं, अंजुलि भर शब्दों में बाँध लेना चाहती थी- हवा, पानी, मिट्टी और दिन के..
Vandana
...... सर्द हवाओं के झोंकों ने गुनगुनी धूप की छुअन ने तसल्ली भरी सांसो ने कुछ पल फुर्सत में महसूस जीवन के हर पहलू को सुनाई देती है दिल की धड़कनें
Harbans Singh
Broken_Feather
कमरे में दूर बनी वो परछाई एक बना रही है तस्वीरें अनेक कभी कोई खुशी में झूमता शख़्स लगता है तो कभी कोई तन्हा बैठा हुआ आज ले रहीं कल्पनाएं जन्म अनेक हैं बन रहीं हैं इस एक से तस्वीरें अनेक हैं पढ़ के देखिएगा जरूर....।।। अकेले कमरे में जब कभी अचानक कहीं नजर पड़ती है किसी चमक से बनी परछाई पर तो ढेरों आकृतियाँ रूप ले लेती हैं हमारी कल्प
अम्बुज बाजपेई"शिवम्"
पहले एक हथिनी,फिर गाय को बारुद खिला रहे हो, इंसानियत को मार कर क्या से क्या बनते जा रहे हो? जहां आदर है पत्थरों में उकेरी आकृतियों का भी, वहां जिंदा जीवों मारते ही जा रहे हो। क्या हासिल कर लोगे इतना विस्फोटक जमा कर के? इक दिन खुद ही जल जाओगे धूं-धूं कर के। न दया,न धर्म,न ही करुणा का अंश बचा है, ईश्वर भी शर्मिंदा हैं कि मानव के वेश में दानव रचा है। यूं जो शव के सौदागर बन मृत्यु बेचते जा रहे हो, यकीं मानों अपने ही ताबूत में कील ठोकते जा रहे हो। प्रलय के ढेर बैठ कर मानवता को मारते जा रहे हो, तुम अपने ही भविष्य की कब्र खोदते जा रहे हो। ये कैसा विकास हुआ है मानव में, जो पूर्ण परिवर्तित हो गया दानव में.... पहले एक हथिनी,फिर गाय को बारुद खिला रहे हो, इंसानियत को मार कर क्या से क्या बनते जा रहे हो? जहां आदर है पत्थरों में उकेरी आकृतियों का भी, वह
Vikas Sharma Shivaaya'
*ॐ नमों भगवते सुदर्शन वासुदेवाय , धन्वंतराय अमृतकलश हस्ताय , सकला भय विनाशाय , सर्व रोग निवारणाय , त्रिलोक पठाय, त्रिलोक लोकनिथाये , ॐ श्री महाविष्णु स्वरूपा, ॐ श्री श्रीॐ औषधा चक्र नारायण स्वहा !!* देव गुरु बृहस्पति गायत्री मंत्र: -ॐ गुरुदेवाय विद्महे परब्रह्माय धीमहि तन्नो गुरु: प्रचोदयात || -ॐ वृषभध्वजाय विद्महे करुनीहस्ताय धीमहि तन्नो गुरु: प्रचोदयात || -ॐ अन्गिर्साय विद्महे दिव्यदेहाय धीमहि तन्नो जीव: प्रचोदयात् || विष्णु सहस्रनाम(एक हजार नाम) -प्रतिदिन11 नाम -आज-1 से 11:- 1 विश्वम् : जो स्वयं में ब्रह्मांड हो जो हर जगह विद्यमान हो 2 विष्णुः जो हर जगह विद्यमान हो 3 वषट्कारः जिसका यज्ञ और आहुतियों के समय आवाहन किया जाता हो 4 भूतभव्यभवत्प्रभुः भूत, वर्तमान और भविष्य का स्वामी 5 भूतकृत् : सब जीवों का निर्माता 6 भूतभृत् : सब जीवों का पालनकर्ता 7 भावः भावना 8 भूतात्मा: सब जीवों का परमात्मा 9 भूतभावनःसब जीवों उत्पत्ति और पालना का आधार 10 पूतात्मा: अत्यंत पवित्र सुगंधियों वाला 11 परमात्मा: परम आत्मा 🙏बोलो मेरे सतगुरु श्री बाबा लाल दयाल जी महाराज की जय🌹 ©Vikas Sharma Shivaaya' *ॐ नमों भगवते सुदर्शन वासुदेवाय , धन्वंतराय अमृतकलश हस्ताय , सकला भय विनाशाय , सर्व रोग निवारणाय , त्रिलोक पठाय, त्रिलोक लोकनिथाये , ॐ श्र