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Deepak Sharma

जो देकर चले गये अपनी दुनियाँ आपको
आज उनको थोड़ा समय अपना दे दो!
उनको भोग देकर जल पीला दो
और उनसे अपने सुखी जीवन का वरदान ले लो!!

© Deepak Sharma #पित्तर

Anu Mittal

अनु मित्तल ' इंदु '

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आख़िरिश हमको घर से निकलना  पड़ा 
 वक्त  बदला तो  हमको   बदलना  पड़ा 

जिस गली में न  जाने  की खाई  कसम 
उस गली से भी आख़िर गुज़रना   पड़ा 

हमकदम न मिला हमसफर   न   मिला 
भीड़  में  हमको तन्हा  ही चलना पड़ा 

चलते चलते जहां पे  कदम  रुक  गये 
हादसों को  भी  रस्ता   बदलना  पड़ा 

आदतन  शमा महफ़िल  में रौशन हुई
फितरतन  परवानों  को जलना  पड़ा 
अनु "इंदु " अनु मित्तल ' इंदु '

Anu Mittal

हसरतें अनु मित्तल ' इंदु '

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रात को रोक लिया, दिन को भी ढलने न  दिया 
आतिशे इश्क़ ने कभी दिल को संभलने न दिया 

अपने दुश्मन तो हमीं ख़ुद हैँ,गिला किससे करें 
हम तो रुसवा भी  हुये जाम छलकने  न  दिया 

हमने धड़कन को भी सीने में छुपा कर रखा 
हद के अंदर भी अरमां को मचलने न दिया 

जी में आया कि नईं दुनियां बसा लें लेकिन 
हसरते  दीद ने  वादों से  मुकरने  न  दिया 

आतिशे इश्क़ ने झुलसा के रख दिया हमको 
राख होने न दिया,  हमको सुलगने न दिया 

किसी  मुफलिस की पूंजी  की तरह रखा  है 
खत जलाये थे मगर यादों को जलने न दिया
अनु 'इंदु' हसरतें 

अनु मित्तल ' इंदु '

अमनदीप मित्तल

अमनदीप मित्तल #Flute #कविता

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Rajni Bansal

#बाबा_बुल्ले_शाह जी को समर्पित कुछ पंक्तियाँ🖤 दान वी जता के दित्ता,ते की दित्ता इश्क़ वी बताके कित्ता,ते कि कित्ता, ओए बुलया,मुफ़्त दी चीज़ लई #nojotophoto

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 #बाबा_बुल्ले_शाह जी को समर्पित कुछ पंक्तियाँ🖤

दान वी जता के दित्ता,ते की दित्ता
इश्क़ वी बताके कित्ता,ते कि कित्ता,
ओए बुलया,मुफ़्त दी चीज़ लई

Anu Mittal

हसरतें ....यादें अनु मित्तल 'इंदु '

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तेरे आने की ख़बर अब कहाँ चमन से मिलती है 
 कि यह महक भी मुझे अपने बदन से मिलती है 

सकूं भी  मिलता है  मुझको तेरे  क़रीब आ  कर 
और इक कसक  सी भी तेरी  छुअन से मिलती है 

चैन भी  पाया  है  मैंने  तुम्हारी  उल्फत  में 
और बेचैनी  भी दिल की चुभन से मिलती है 

झुलसा  दिया है  मुझे  दिल की  इस लगी  ने  मगर 
मुझ  को राहत भी अब दिल की जलन से मिलती है 
अनु "इंदु " हसरतें ....यादें 
अनु मित्तल 'इंदु '

Anu Mittal

हसरतें ....यादें अनु मित्तल ' इंदु '

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यह कैसी कशमकश दिल में मेरे हर बार  चलती है 
किसी से क्या मेरी खुद से सदा तकरार चलती है 

यह बाज़ी जीत भी जाऊँ , मुझे कुछ फर्क नहीं पड़ता 
मेरी हर जीत के आगे हमेशा हार चलती है 

कोई साया सा मेरे हमकदम चलता ही रहता है
कहीं जाऊँ , मेरे हमराह इक दीवार चलती है 

कोई भी ख़्वाब ठहरे तो , ज़रा सी देर आंखों में , 
मेरी नीँदों के पहलू में नदी की धार चलती है 

नईं दुनियाँ बसाने का मैं सोचूँ भी तो क्या हासिल 
किसी की आरज़ू संग संग दीवाना वार चलती है 
अनु "इंदु" हसरतें ....यादें 

अनु मित्तल ' इंदु '

Anu Mittal

अनु मित्तल इंदु हसरतें .....यादें

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किसी की  बेवफ़ाई  का , कोई   अंजाम  लगती  हैं 
जो बातें ख़ास लगती थीं, वो कितनी आम लगती हैं 

तेरी जुल्फें , तेरी  आँखें ,तेरे रूख्सार पे यह  तिल 
इनमें  खास  भी क्या था ,बहुत  ही  आम लगती हैं 

मेरे   हालात  ने  देखो , मुझे  कितना बदल .डाला 
किसी की दिल्लगी भी अब ,कोई इल्जाम लगती हैं 

कुछ ऐसी बेदिली आकर ,है ठहरी इन फिजाओं में 
अज़ब इस दिल का मौसम है ,सुबहें भी शाम लगती हैं 

कभी जो  गुदगुदाती   थीं ,वही मुझको  रूलाती हैं
तारीफें  तंज़  लगती  हैं , कोई   इल्जाम   लगती हैं 

वही सुबहें , वही  शामें , वही  रातें  हैं ,  ये   ' इंदु ' 
न जाने क्यूँ ,नहीं भातीं , बहुत  बदनाम  लगती हैं 
अनु "इंदु " अनु मित्तल इंदु 
हसरतें .....यादें

Anu Mittal

हसरतें ...यादें अनु मित्तल' इंदु '

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इक आह भर के  हम तो गुनहगार हो  गये 
उनकी  निगाहे -नाज़ पर  निसार  हो  गये 

शीरीं हैं उनके लब मगर अब हमको इससे क्या 
जब हम हलाक-ए-तल्ख़ी-ए-गुफ्तार हो गये 

उसने जफ़ा निभाई है कितनी वफ़ा के साथ 
हम तो वफ़ा  की  राह  में  ही  ख्वार हो  गये 

जिस दर्द को समझे थे अपने पे करम  हम 
उस दर्द  के भी लाखों  तलबगार  हो  गये 

गर  धूप में रहते  तो पनप जाते हम  मगर 
मुरझा  गये  जो साया -ए -दीवार  हो  गये 

अंधे  ही रहते इश्क़ में तो फिर भी ठीक था 
अच्छा नहीं  हुआ  जो  ख़बरदार   हो  गये 
अनु इंदु हसरतें ...यादें 
अनु मित्तल'  इंदु '

Anu Mittal

हसरतें यादें अनु मित्तल ' इंदु '

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यह तमाशा चलो खत्म तो  हुआ 
उनका मुझपे ज़रा करम तो हुआ 

दिल को  आखिर तो  टूटना ही  था 
शोरिशे- दिल ज़रा सा कम तो हुआ 

ज़हे -किस्मत  कि  मेरे  अश्कों  से 
उनका दामन ज़रा सा नम तो हुआ 

वो  जो   दुश्मन  था  इक  ज़माने  से 
वो भी आख़िर शरीक़-ए-ग़म तो हुआ 

ऊँगलियां हमको कलम  करनी पड़ीं 
पर यह हर्फ़- ए -हुनर कलम तो हुआ 
अनु "इंदु " हसरतें     यादें 
अनु मित्तल ' इंदु '
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