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Pallavi Goel
सुप्रभातम् मित्राणि प्राप्यापदं न व्यथते कदाचिदुद्योगमन्विच्छति चाप्रमत्त:। दु:खं च काले सहते महात्मा धुरन्धरस्तस्य जिता: सपत्ना:।। जो व्यक्ति मुसीबत के समय भी कभी विचलित नहीं होता, बल्कि सावधानी से अपने काम में लगा रहता है, विपरीत समय में दु:खों को हंसते-हंसते सह जाता है, उसके सामने शत्रु टिक ही नहीं सकते;वे तूफान में तिनकों के समान उड़कर छितर जाते हैं। संस्कृतं मम जीवनध्येयम् #संस्कृति #संस्कार #संस्कृत #सुप्रभात #AWritersStory Radhika sweety Krishna dwivedi
DANVEER SINGH DUNIYA
बेटियां एक ऐसा दिया होती हैं, जो कि अपने ज्ञान रूपी प्रकाश से कुल को ही नहीं बल्कि संसार को प्रकाशवान बना सकती हैं।प्रत्येक प्रकार के अंधकार को दूर कर सकती हैं। दीपावली की बहुत बहुत शुभकामनाएं।। शिक्षक दानवीर सिंह ©DANVEER SINGH DUNIYA संस्कृत संस्कृति और संस्कार ये तीनों जीवन ज्योति है #Diwali
Ankit Mishra
इश्क़ मुकाम तक पूरा पाते चाहे मीरा का जोग बताते या पग राधा कि धूल सर चढाते इश्क़ अधूरा भी चूम ही लेता सारे मायने बदल ही जाते ग़र यहॉ मुगल न आते संस्कार संस्कृति में ही था
DANVEER SINGH DUNIYA
Girl quotes in Hindi जो व्यक्ति बेटियों कि कदर नहीं करते हैं वो साले सात जातियों कि अकेली कमीन औलाद है। भगवान का साक्षात रूप ही बेटियां हैं। ©DANVEER SINGH DUNIYA संस्कृत, संस्कृति, संस्कार और सभ्यता बेटियों से ही जाग्रत होती है।
Pallavi Goel
यस्तु संचरते देशान्, यस्तु सेवेत पण्डितान् तस्य विस्तारिता बुद्धिस्तैलबिन्दुरिवाम्भसि।। भिन्न देशों में यात्रा करने वाले और विद्वानों के साथ संबंध रखने वाले व्यक्ति की बुद्धि उसी तरह बढ़ती है, जैसे तेल एक बूंद पानी में फैलती है। संस्कृतं मम जीवनध्येयम् #संस्कृत #संगीत #संघर्ष #संस्कृति
Anshu Kumari
भारत संस्कृत प्रधान देश है लेकिन आज किसी की जुबां पर संस्कृत नहीं। सभी अंग्रेजी के पीछे हाथ धोकर ऐसे पड़े हैं जैसे ये इन्ही की भाषा हो। किसी को ये याद नहीं कि इसी अंग्रेजी भाषा वालों ने हमें इतना प्रताड़ित किया कि आज भारत सोने की चिड़िया से मिट्टी की चिड़िया भी नहीं बची। लेकिन फिर भी सब उनकी भाषा को ऐसे अपना रहे जैसे ये इनकी मातृ भाषा हो। इन्हीं के कारण हमारी संस्कृति हमारा संस्कृत इतना पिछड़ गया है और अंग्रेजी सभी स्थानों पर अपनी जगह बनाए जा रही है। ©Anshu Kumari संस्कृत हमारी संस्कृति #Labourday
Vimal Pandey Jyotishi ji
न सख्यमजरं लोके हृदि तिष्ठति कस्यचित्। कालो ह्येनं विहरति क्रोधो वैनं हरत्युत॥ हमेशा किसी भी मनुष्यमे मित्रता नहीं बनी रहती है,मित्रता या तो समय के साथ कम हो जाती है, या तो क्रोधके कारण समाप्त हो जाती है.. (जिसमे ये दोनो नही होते वही सच्चे मित्र है)। ©Vimal Pandey Jyotishi ji #sanskrit #संस्कृत #संस्कृति #Thoughts