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Amit Singhal "Aseemit"
हम करेंगे ज़बरदस्त शुरुआत जनवरी के साथ, सबके लिए ढेरों दुआओं में उठेंगे दोनों हाथ। पिछले साथ की कड़ी मेहनत होगी अब सफल, इस साल सारी परेशानियों का मिलेगा हल। ©Amit Singhal "Aseemit" #जनवरी
Amit Singhal "Aseemit"
पहली जनवरी को लुढ़क कर पारा आ गया दस डिग्री पर। मगर नववर्ष का स्वागत हमने पूरे उत्साह से किया स्वेटर पहनकर। ©Amit Singhal "Aseemit" #जनवरी
Rajendra Kumar Ratnesh
बौद्ध , महावीर , अशोक की धरा पर , नालंदा , विक्रमशिला , राजगीर सा उपहार मिलेगा । गंगा , कोशी , कमला , सोन तट पर , भ्रमण को पूरा बिहार मिलेगा ।। कुंवर , राजेन्द्र , दिनकर की मिट्टी में, एक सभ्य व्यवहार मिलेगा । मधुर भाषा , वैदिक गाथा , गाते पूरा बिहार मिलेगा ।। खेतों में सोना , बागों में बिछौना , अन्न , पुष्प फलों का बौछार मिलेगा । पर्व त्योहारों में पकवान , मिष्ठान खाने को पूरा बिहार मिलेगा। पक्षियों का कलरव , चरवाहे सर्व , ललित गोधुली का बहार मिलेगा । पकड़ते मछुआरे , मछली सवेरे , डूबे - उफनते बाढ़ में बिहार मिलेगा। दर - दर भटकते , ठोकरें खाते , गरीब , युवा , बेरोजगार मिलेगा । अवसरों की आकांक्षा लिये , मुकाम पाने को पूरा बिहार मिलेगा। झुग्गी - झोपरियों में , शहर के गलियों में । भूखे , नशेड़ी , बिमार मिलेगा । चाह लिए जो आये मानवता की , जरुर उसे पूरा बिहार मिलेगा ।। -राजेंद्र कुमार मंडल रामविशनपुर , सुपौल, बिहार ©Rajendra Kumar Ratnesh बिहार
Rajendra Kumar Ratnesh
बौद्ध , महावीर , अशोक की धरा पर , नालंदा , विक्रमशिला , राजगीर सा उपहार मिलेगा । गंगा , कोशी , कमला , सोन तट पर , भ्रमण को पूरा बिहार मिलेगा ।। कुंवर , राजेन्द्र , दिनकर की मिट्टी में, एक सभ्य व्यवहार मिलेगा । मधुर भाषा , वैदिक गाथा , गाते पूरा बिहार मिलेगा ।। खेतों में सोना , बागों में बिछौना , अन्न , पुष्प फलों का बौछार मिलेगा । पर्व त्योहारों में पकवान , मिष्ठान खाने को पूरा बिहार मिलेगा। पक्षियों का कलरव , चरवाहे सर्व , ललित गोधुली का बहार मिलेगा । पकड़ते मछुआरे , मछली सवेरे , डूबे - उफनते बाढ़ में बिहार मिलेगा। दर - दर भटकते , ठोकरें खाते , गरीब , युवा , बेरोजगार मिलेगा । अवसरों की आकांक्षा लिये , मुकाम पाने को पूरा बिहार मिलेगा। झुग्गी - झोपरियों में , शहर के गलियों में । भूखे , नशेड़ी , बिमार मिलेगा । चाह लिए जो आये मानवता की , जरुर उसे पूरा बिहार मिलेगा ।। --राजेंद्र कुमार मंडल रामविशनपुर , सुपौल, बिहार ©Rajendra Kumar Ratnesh बिहार
मिहिर
जिसने तलवार के नोक से अपना भविष्य लिखा था जिसके क्रोध और नफरत से दुनिया डरी थी जिसे भारतवर्ष के इतिहास का कुशल योद्धा कहा गया उसने एक दिन अपना नजर और नजरिया दोनो बदला और अपनी तलवार तोड़ दी अपनी सारी ज़िद छोड़ दी उसने दुनिया से कहा था जीत से कही ज्यादा जरूरी है शांति क्रोध और घृणा से ज्यादा जरूरी है प्रेम जहां से शुरू हुआ बुद्धत्व जहा का वैभव है करुणा प्रेम और आत्मसम्मान फिर बिहारी लाचार क्यों फिर बिहार बीमार क्यों जहां से नजर और नजरिया लेकर दुनिया समृद्ध हुई उस बिहार को भी, बिहारियों को भी बदलना होगा नजर भी नजरिया भी ©मिहिर बिहार