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vivek singh
साहब! ये रोटी ही तो थी, जिसने हमें घर से दूर भेजा था, सोचा था कुछ कमाकर, ज़िन्दगी पटरी पर लाऊंगा, ज़िन्दगी तो पटरी पर नहीं आई😢 पर पटरी में ही ज़िन्दगी चली गई 😢😢😭 - राहुल #औरंगाबाद
Vijay Kumar उपनाम-"साखी"
"जेल" हकीकत में जेल कहां होती है? जहां मन की शांति नही होती है स्वर्ण पिंजरा भी किस काम का, जिसमे गुलामी की बू होती है सच में जेल विचारों की होती है जैसे विचार वैसी खुशियां होती है हमारी अच्छी-बुरी सोच से ही, जिंदगी हंसीन-गमगीन होती है अच्छी विचार रखने से ही साखी, नर्क में जन्नत की तस्वीर होती है आज सोच का दायरा बदल गया है, आधुनिकता से आदमी छल गया है, अपूर्ण चीजों में हंसी कहां होती है सच्ची खुशी तो परिवार में होती है मन की जेल यहां सबसे बुरी होती है इसमें जिंदगी मौत से बदतर होती है जिस जगह विचारों की स्वतंत्रता, वो जगह ही सच मे जिंदा होती है बाकी सब जगह तो जग में साखी, मुर्दाघर की ही पहचान होती है दिल से विजय जेल
Umesh
छोटी सी उम्मीद के लंबे सफ़र को नींद चुपके से खा गई, ज़िंदगी पटरी पर आने से पहले मौत पटरी पर आ गई। #औरंगाबाद रेल हादसा# औरंगाबाद रेल हादसा...
Rajinder Raina
घर भी अब तो जेल लगे है, खत्म सारा ही खेल लगे है। तंगी उदासी ने आ घेरा है, मेल भी अब बेमेल लगे है। कैसे करलूं कोई भी वादा, इन तिलों में न तेल लगे है। तंग जूती है चलना मुश्किल, ओर पैरों में कील लगे है। रैना"कैसे तय करे रस्ता, दूरी कई सौ मील लगे है। ........रैना ©Rajinder Raina जेल #Hope
Deepa Didi Prajapati
जेल,मंदिर से पवित्र वह स्थान है जहां कुछ कसूरवारों के बीच कुछ बेकसूर बिलखकर परमात्मा को पुकारते हैं ©Deepa Didi Prajapati #जेल#बेकसूर
Dr-Bilal_Faizan
موت جب آکر زبردستی گلے پڑ ہی گئ تب کہیں جا کر مرے ہاتھوں سے چھوٹی روٹیاں मौत जब आकर ज़बरदस्ती गले पड़ ही गई तब कहीं जाकर मेरे हाथों से छूटी रोटियां Dr.Bilal Faizan औरंगाबाद ट्रेन हादसा
Rajesh Khanna
अभी नया नया आया हूं इस शहर में प्यारा तो लगेगा ना जब आयेगी मुझे मां की याद तब ये VIP HOTEL भी जेल नजर आने लगेगी ©Rajesh Khanna #City जेल
Sarwar Majra
देख लो आफ़त का खेल अपना घर भी लगता जेल बस बदला भी कुछ नही घर पहले जैसा ही है वो रौनक लौट नही आई जो अपने घर को घर करती है ©लेखक सरवर अली माजरा घर भी जेल