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Ek villain
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान अक्सर बड़े गर्व से कहते हैं कि मध्य प्रदेश का आज का जितना माल वाला निमाड़ी आंचल सांता टापू है इधर उनकी इस खुश फहमी को शायद ही कोई बुरी नजर लग गई हो परदेश का यह अंचल पिछले लगभग 10 दिनों से गोरा शांति के पूर्वांचल में फंसा हुआ यह भी हिंदी से 90 कि कश्मीर घाटी के तर्ज पर इस आंचल के खरगोन जिला मुख्यालय पर रामनवमी की शव यात्रा पर धर्म स्थल से किए गए पथराव और हमले के बाद दंगाइयों ने दर्जन भर लूट लिया आग लगा दी वहां हिंदू परिवार को अपने घर घर छोड़कर चले जाने को विवश कर दिया दंगे के तमाम वीडियो इंटरनेट पर वायरल हो रहे हैं जिनमें कस्बे में ही रहने वाले सैकड़ों दे तलवार कट्टे लाठी-डंडे और हाथ गोली लिए लूटपाट और मारपीट करते सामने पहचाने जा सकते हैं ©Ek villain #शांति के टापू में 1990 वाले कश्मीर के हालात #shaadi
JALAJ KUMAR RATHOUR
प्रेम तुम्हारा सागर सा, मैं ठहरा एक टापू, हैं सब जलमग्न तुझमें, फिर मुझसे किनारा क्यूँ ... #जलज राठौर प्रेम तुम्हारा सागर सा, मैं ठहरा एक टापू, हैं सब जलमग्न तुझमें, फिर मुझसे किनारा क्यूँ ... #जलज राठौर
Shivam Gupta
एक बड़े से सागर को बहुत कम समय में तैरकर पार करना है बीच में यदि टापू में नारियल के पेड़ के नीचे आराम करने लगेंगे तो सागर को कैसे पार करेंगे शिवभक्त शिवम एक बड़े से सागर को बहुत कम समय में तैरकर पार करना है बीच में यदि टापू में नारियल के पेड़ के नीचे आराम करने लगेंगे तो कैसे सागर को पार करें
OMG INDIA WORLD
Contd.........Story ©OMG INDIA WORLD #OMGINDIAWORLD .. ︵︷︵︷︵︷︵︷︵︷︵ ✧ ~ पिता और पुत्र ~ ✧ ︶︸︶︸︶︸︶︸︶︸︶ एक बार पिता और पुत्र जलमार्ग से यात्रा
रजनीश "स्वच्छंद"
मर्यादा टापूं।। तुम आज कहो तो मैं ये छापूं, थोड़ी मर्यादा मैं अपनी टापूं। जो देख देख भी दिखा नहीं, जो ज्ञान की मंडी बिका नहीं। जो गाये गए ना भाए गए, बस पांव तले ही पाए गए। जीवन जिनका फुटपाथी रहा, कपड़े के नाम बस गांती रहा। एक लँगोटी जिन्हें नसीब नहीं, थाली भी जिनके करीब नहीं। रक्त शरीर दूध छाती सूखा, नवजात पड़ा रोता है भूखा। भविष्य कहां वर्तमान नहीं, जिनका जग में स्थान नहीं। जमीं बिछा आसमां ओढ़कर, सड़क पे सोया पैर मोड़कर। नाक से नेटा मुंह से लार, मिट्टी बालू जिनका श्रृंगार। चलो आज उनकी कुछ कह दूं, एक गीत उनपे भी गह दूँ। चौपाई छंद दोहा या श्लोक, लिख डालूं जरा उनका वियोग। जो कलम पड़ी थी व्यग्र बड़ी, कण कण पीड़ा थी समग्र खड़ी। भार बहुत रहा इन शब्दों का, किस कंधे लाश उठे प्रारबधों का। आंसू रोकूँ या रोकूँ शब्दधार को, किस कवच मैं सह लूं इस प्रहार को। जाने किस पर मैं क्रोध करूँ, हूँ मनुज क्या इतना बोध करूँ। क्या बचा है जो मैं शेष लिखूं, किन कर्मों का कहो अवशेष लिखूं। मैं नीति नियंता विधाता नहीं, मैं एक यंत्र हुआ निर्माता नहीं। पर कहीं कलेजा जलता है, जब लहु हृदय में चलता है। मैं उद्धरित नहीं उद्धार करूँ क्या, कुंठित मन से उपकार करूँ क्या। मुझपे मानो ये सृष्टि रोयी है, मनुज की जात भी मैंने खोयी है। मैं रहा जगा गतिमान रहा, पर हाय, आत्मा सोयी है। हाँ हाँ आत्मा सोयी है। सच है आत्मा सोयी है। ©रजनीश "स्वछंद" मर्यादा टापूं।। तुम आज कहो तो मैं ये छापूं, थोड़ी मर्यादा मैं अपनी टापूं। जो देख देख भी दिखा नहीं, जो ज्ञान की मंडी बिका नहीं। जो गाये गए ना
DrLalit Singh Rajpurohit
Abhay Bhadouriya
पाब्लो नेरुदा की कविता 'इफ यू फॉरगेट मी' का अनुवाद गर तुम मुझे भुला बैठो- इक बात कहना चाहता हूं तुमसे तुम्हें पता है कैसे हैं हालात:
JALAJ KUMAR RATHOUR
मैंने पहली बार इस प्रकार के व्यंजन का नाम सुना था।फिर मैंने उसका नाम पूछा तो वो बोली तुम्हारे लिए "ठेकुआ वाली"।क्लास खत्म होने की बेल बजी और सब लोग दूसरे क्लास लेने को चल दिए। मैं वहीं ठहरा था जैसे किसी बहते समंदर में कोई टापू। ©JALAJ KUMAR RATHOUR *ठेकुआ वाली का क्राइम पार्टनर** दिवाली की छुट्टियों के बाद जब कॉलेज दोबारा गए तो क्लास लेने का मन ही नहीं करता था।कुछ दिन बाद क्लास को को-ए
Harshul Pandey
Vedantika
कहते है जिसे नगर कृष्ण का, आज रहस्य बना है। द्वारका तो है इस धरा पर, द्वारकाधीश कहाँ हैं? मानव मन के विश्वास में हुई हैं उसकी प्राण प्रतिष्ठा, न कोई भय रहा उसको कृष्ण करें जिसकी रक्षा। जबसे मानव जीवन का आरंभ हुआ है तबसे ईश्वर के प्रति आस्था और अनास्था को लेकर बहस का अस्तित्व भी उत्पन्न हो गया। यह एक ऐसा विवाद है जहाँ कितने