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Hitesh Pandey
सत्ता में सभी हैं नागराज, बने फिर रहे हैं धर्मराज, वादे किए थे की लायेंगे रामराज, अभी 'मन की बात' करने में व्यस्त हैं देश के महाराज, चुनाव के समय याद आते हैं इन्हें याद काशी, प्रयागराज, सत्ता में सभी हैं नागराज। ©Hitesh Pandey सत्ता में सभी हैं नागराज। #कविता
Versha Kashyap
तुम प्यारे हो;बहुत कम लोग जानते हैं... तुम न्यारे हो; बहुत कम लोग जानते हैं। तुम्हें पाने के लिए बहुत लोग दुआ करते हैं... तुम हमारे हो;बहुत कम लोग जानते हैं। ©Versha Kashyap #VershaKashyap : : : Niaa_choubey नागराज भईया जी Priyanshu Sharma M.R sukoon
Versha Kashyap
तेरी मेरी दोस्ती अजीब नहीं है? हम पास होकर भी क़रीब नहीं है। नहीं यार तू ज्यादा सोच रहा है। तू कहीं दोस्ती में दूसरा रिश्ता ख़ोज रहा है। दोस्ती अजीब नहीं है... हां पर तू उतने करीब नहीं है। वहीं तो मैं कह रहा हूं.. तू सुनती ही नही है। मेरे अलावा क्यों किसी और को चुनती नहीं है? मैं चुन तो लूं पर डर जाती हूं... अक्सर प्यार में पड़ जाती हूं। फिर सामने वाले को फ़र्क नही पड़ता... फिर वो रिश्ते के लिए नहीं लड़ता। तू ऐसा सोचती ही क्यों है? प्यार को समझ तो सही। माना कई बार पता नहीं चलता... क्या गलत है और क्या सही? अब मैं दोस्ती में दूसरा रिश्ता खोज रहा हूं... इसलिए मैं कुछ ज्यादा ही सोच रहा हूं। पर तू बता तुझे क्या हुआ है?? मैं नही जानती... पर प्यार नहीं करना मुझे। फिर से खुद से नहीं डरना मुझे। दोस्ती अजीब नहीं है... हां पर तू उतने करीब नहीं है। दोस्ती अजीब नही हैं।। ©Versha Kashyap #VershaKashyap :: :: :: ========================
Hemant Dhawal
नागराज और मिश्र का फराहो तुतेन खामेंन नागराज राज कॉमिक्स का फेमस चरित्र है, मेरा भी फेवरेट सुपर हीरो है। दॉस्तो मेने अपनी चित्रकारी की श
Rakesh frnds4ever
उलझन इस बात की है कि हमें .......उलझन किस बात की है अपनों से दूरी की या फिर किसी मज़बूरी की खुद की नाकामी की या किसी परेशानी की दुनिया के झमेले की या मन के अकेले की पैसों की तंगी की या जीवन कि बेढंगी की रिश्तों में कटाक्ष की या फिर किसी बकवास की दुनिया की वीरानी की या फिर किसी तनहाई की अपनी व्यर्थता की या ज़िन्दगी की विवशता की खुद के भोलेपन की या फिर लोगो की चालाकी की अपनी खुद की खुशी की या दूसरों की चिंता की खुद की संतुष्टि की या फिर दूसरों से ईर्ष्या की खुद की भलाई की या फिर दूसरों की बुराई की धरती के संरक्षण की या फिर इसके विनाश की मनुष्य की कष्टता की या धरती मां की नष्टता की मानव की मानवता की या फिर इसकी हैवानियत की बच्चो के अपहरण की या बच्चियों के अंग हरण की प्यार की या नफरत की ,,जीने की या मरने कि,,, विश्वाश की या धोखे की,, प्रयास की या मौके की बदले की या परोपकार की,,, अहसान की या उपकार की ,,,,,,ओर ना जाने किन किन सुलझनों या उलझनों या उनके समस्याओं या समाधानों या उनके बीच की स्थिति या अहसासों की हमें उलझन है,,, की हम किस बात की उलझन है..==........... rkysky frnds4ever #उलझन इस बात की है कि,,, हमें ...... उलझन किस बात की है अपनों से दूरी की या फिर किसी #मज़बूरी की खुद की नाकामी की या किसी परेशानी की #दुनि
आलोक कुमार
बस यूँ ही चलते-चलते ......... जरा सोचिए कि आजकल हमलोग खुद को बेहतर बनाने के लिए कौन-कौन से गलत/अभद्र नुस्खें अपनाते जा रहे हैं. ना ही उस नुस्खें के चरित्र, प्रकरण एवं उसके कारण दूसरे मनुष्य, आसपास, समाज, देश व आगामी पीढ़ी पर असर का ख्याल रख रहें हैं, न ही ख़यालों को किसी को समझने का मौक़ा दे रहे हैं. बस अपने ही धुन में उल्टी सीढ़ी के माध्यम से अपने आप को आगे समझते हुए सचमुच में बारम्बार नीचे ही चलते जा रहे है. तो जरा एक बार फिर सोचिए कि उल्टी सीढ़ी उतरने और सीधी सीढ़ी चढ़ने में क्रमशः कितनी ऊर्जा, शक्ति और समय लगती होगी. यह भी पता चलता है कि आज की पीढ़ी की ऊर्जा और शक्ति का किस दिशा में उपयोग हो रहा है और शायद यही कारण है कि आज का "गंगु तेली" तो "राजा भोज" बन गया और "राजा भोज", "गंगु तेली" बन कर सब गुणों से सक्षम रहने के बावज़ूद नारकीय जीवन जीने को मजबूर है. यही हकीकत है हम अधिकतर भारतवासियों का...... आगे का पता नहीं क्या होगा. शायद भगवान को एक नए रूप में अवतरित होना होगा. आज की पीढ़ी की सच्चरित्र की हक़ीक़त