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Anu Aggarwal
जब तक यह संसार रहेगा इस खूनी खेल की यादें सिर्फ दीवारों पर नहीं लोगों के दिलों में मैं अमित छाप छोड़ गई नफरत गुस्सा आक्रोश ©Anu Aggarwal एक एक ऐसा खेल नफरत का जो युगो युगो तक याद किया जाएगाgh
Rajesh vyas kavi
श्रम के पसीने से _ क्या नहीं बनाया मैने। पूछता हूं आप सभी से क्या सही पाया मैने।। कुछ मिला न मिला _ छोड़ा नहीं श्रम कभी_ मैं परिश्रमी परिश्रम ही कमाया मैने।। © Rajesh vyas kavi श्रम दिवस _ #श्रम #परिश्रम #मेहनत #मजदूर #मजदूरी #कर्म
Aashutosh Aman.
# हिंदी साहित्य# _____&&&&&& शायद युग का है प्रभाव मानव के तुच्छ विचार हुए। अंतर्मन सद विचार हीन काया से वस्त्र उतार दिये।। शायद युग का ही है प्रभाव...... लाज का भाव प्रभाव हीन स्वाभिमान अहं की भेंट चढ़ा। नेत्र हुए लज्जा विहीन हृदय भीतर अभिमान बढ़ा।। तन वस्त्र हीन, मन दुर्भाबी व्यक्तित्व का कोई भान नहीं। धन के लालच और लोभ में तो अस्तित्व का भी संज्ञान नही।। संस्कार हुए दूषित इतने संबंधों पर भी वार किये। शायद युग ही है प्रभाव...... संबंध और संबोधन भी संस्कृति विमुख मन नंगा है। पावन और पवित्र नहीं ये तो पश्चिम की गंगा है।। जन्म दिवस बर्थडे हुआ अब और मैरिज होता। लाइक फॉलोअर चाह बड़ी दूरभाष यंत्र से प्यार हुआ। संतान पिता माता क्या अब भाई बहिन भी यार हुए। शायद युग का ही है प्रभाव. . . . . . . प्यार में पावनता कैसी गंगा जल से भी प्यार नहीं। हर ओर वासना घूम रही मद रहित कोई व्यवहार नहीं।। पश्चिम अनुसरण कर रहे हैं जो पश्चिम से सीखें कुछ। वो वेद पुराण पढ़ रहे हैं संस्कारों में व्यभिचार नहीं।। हमको पश्चिम से प्यार हुआ वह भारत पर दिल हार दिये। शायद युग का ही है प्रभाव. . . . . . . . यह देवभूमि पूजित वंदित जहां मंदिर और शिवालय हैं। हमको उनमें कुछ श्रेष्ठ नहीं हमको तो श्रेष्ठ मदिरालय हैं।। धर्म-कर्म मर्यादाएं यहा पग पग पर मिल जाती थीं। त्योहारों और उत्सवों में हर बस्ती दीप जलातीथी।। वो दीप प्रज्ज्वलित करते हैं अंधियारे तार दिये।। शायद युग का ही है प्रभाव मानव ने तुच्छ विचार दिए। अंतर्मन सद विचार हीन काया से वस्त्र उतार दिए।। शायद युग का ही है प्रभाव।। ।।आशुतोष अमन। 🙏🙏🙏🙏🙏🙏 ।।वंदे मातरम।।सुप्रभात।। ©Aashutosh Aman. युग का प्रभाव
✍️Neeteesh Kumar
आहट का कलम हू मैं जीवन के पन्ने पर चलता हूं मैं चलते चलते ठोकर लगी तो रुक जाता हूं मैं डर से वही खड़ी पाई बन जाता हूं मैं नई सोच से दुसरी लाइन बना लेता हूं मैं बदलती वक्त में सुख, दुःख लालच, क्लेश,घृणा प्यार मोहब्बत का बदलती पैराग्राफ हो जाता हूं मैं आखिरी सांस तक का एक कहानी बन जाता हूं मैं ©Neeteesh Kumar आहट का क्रम हूं मैं #allalone
DR. LAVKESH GANDHI
कर्म आपके कर्म ही आपकी दशा और दिशा तय करते हैं | #कर्म# #कर्म का फल # #yqbaba #yqdidi#