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Divyanshu Pathak
चाँदनी आज रूठी है क्यों चाँद से ये अंधेरा फिज़ाओ में जोरों से है धड़कनें बढ़ रहीं नींद भी है नही ख्वाब भी रूठ बैठे मेरी आंख से ! कुछ तो हुआ इन हवाओं को भी रूठ कर के यहां आज बहने लगीं टूटकर शाख से कितने पत्ते गिरे ये पतझड़ है मुझसे यूं कहने लगी ! नफरतों का बबंडर भी मिट जाएगा ये पतझड़ भी जल्दी निपट जाएगा मुझको उम्मीद है तुम भरोसा रखो ऋतु बसंती में दामन लिपट जाएगा ! 🍁☕#good evening🌷😊 : विचारों की दुनियां के शानदार जीवात्माओं मेरा प्रणाम स्वीकार करो । 😀🙏🍁☕ गीतों की दुनियां में एक नया ट्रेंड चल रहा है जिसे
Kajalife....
न जानें क्यों आजकल दिल ये इकरार कर रहा है , ये मेरा जिंदगी का सफर तेरे साथ चल रहा है । कोई आ गया है यादो में मेरी , क्या ये दिल कोई चाल चल रहा है ? हो हकीकत तुम फिर भी तुमसे ख्यालों में मुलाकात कर रहा है । # न जाने क्यों
Mishkat Abidi
ना जाने क्यों लगा मुझको मेरी हर साँस तुमसे है खुशी का साज़ तुमसे है! न जाने क्यों लगा मुझको मैं तुम बिन जी न पाऊंगी गिरूंगी लङखङाउंगी, मुसीबत की सभी जंगे मै तुम बिन हार जाउंगी, ये सच है, तुम मेरी चाहत ये सच है, तुम मेरी आदत, मगर मैं सोचती थी जो कि तुम बिन कुछ नहीं हूं मै, मेरी नादां ख्याली थी, वो सोंचो की ग़ुलामी थी! किसी का साथ पा लेना महज़ इस दिल का धोका है । इन्हीं बातों ने अक्सर रास्ता चलने से रोका है! जो गिर के खुद ही संभला है, जो तन्हा मुस्कुराया है, जो अपने दर्द में हंस कर के नगमा गुनगुनाया है! यहां हर जीत उसकी है जिसे खुद पर भरोसा है ! मुझे खुद पर यक़ी है अब मेरी हर आस मुझसे है! न जाने क्यों लगा मुझको मेरी हर सांस तुमसे है। न जाने क्यों
Sunita Shanoo
चाहती हूं जिंदगी छोड़ दूं अब पर जिंदगी है कि छोड़ती नहीं न जाने क्यों
Dr.Dharmendra sharma
न जाने क्यों अब डर लगता है। तन्हा सा हर सफर लगता है।। जहर तो जहर है साहब, अब तो मिठी बातों मे भी जहर लगता है। सब है मग्न अपनी-अपनी दुनिया में, मतलबी इंसानों का शहर लगता है।। न जाने क्यों अब डर लगता है। तन्हा सा हर सफर लगता है।। ©Dr.Dharmendra sharma #न जाने क्यों
Sunita Shanoo
न जाने क्यों जाने क्यों उम्मीद जाग जाती है अंधेरे बंद कमरों में खुलेगा रोशनदान कोई चुपके से एक नन्ही सी किरण मुझसे लिपटेगी मेरे भीतर न जाने क्यों उमढता है नेह कि पथरीली दीवारों के भीतर भी कोई तड़प रहा होगा मिलन को मैं क्यूँ उम्मीद में बैठी हूँ कि कभी टूटेगा तिलिस्म उसकी आंखों का और वह पढ़ ही लेगा मेरे इंतजार को। न जाने क्यों