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विनय कुमार करुणे
धूप पड़ता है मुझ पर, तो वो छांव बन जाता है, बारिश के मौसम में कभी, वो बनता छाता है, खुद तो झेलता है दुःख, पर हमसे वो छुपाता है, वो कोई और नही है साहब, एक पिता है दूसरा माता है माँ बाप #nojotohindi #शायरी #कविता #मातापिता
Nikhil Thok
*मी पाहिलय बापाचं फाटक कापड* बाप आपल्या मुलांसाठी त्याचा जीव कायम वेशीवर टांगतो सुख येईल दुःख येईल तू लढत रहा लढता-लढता तू माणूस म्हणून घडत जा असं म्हणणारा माझा बाप आहे धन्य झालो बाबा तुमच्या पोटी जन्म घेऊन तुम्ही मला मोठं केलं चांगले संस्कार देऊन तुम्ही म्हणजे आयुष्य तुम्ही म्हणजे श्वास मनी आहे तुम्हाला सदैव आनंदी ठेवण्याची आस बाबांच्या फाटक्या कापडामध्ये मला दिसतय श्रीमंतीचं ताज आणि प्रेम खिशामध्ये एक आणा नसुदे पण जग तुला जिकंता आलं पाहिजे असं म्हणणारा माझा बाप सगळं काही करताना तू फक्त ठेव निती नीतीविना झाली येथे भल्याभल्यांची माती बाप हा बाप असतो तो गरीब असला तरी,वेडा असला तरी, भिकारी असला तरी तो बापच असतो शब्दात न मावणारा तो फक्त बापच असतो ✍🏻..nikhil thok🤡 😍मी लिहिलेली पहिली कविता बाप 😘
Advocate Sandeep Solanki
यह कविता उन औलादों के लिए जो माँ-बाप को बोझ समझते हैं। ज़िन्होने आज के दिखावे के ज़माने में अपने फ़र्ज को भूलकर माँ-बाप को अपने से दूर कर दिया हैं। इस कविता के माध्यम से मेंने बहुत ही सरल शब्दों में एक संदेश देने की कोशिश की हैं आशा करता हूँ ऐसे लोग कुछ समझेंगे। कविता अच्छी लगे तो शेयर ज़रूर करे। Written by Me (Sandeep Solanki) "आखिरी सफर" ये तो आसमां के सितारे हैं, न जाने कब टूट जाये, अभी तो हैं साथ-साथ , न जाने कब छूट जाये, तकती हैं आँखे,राहे,कही दूर,अपना नज़र आ जाये, क्यों नहीं हैं वक़्त इतना,दो पल मीठी बातें कर जाये, बचपन में रातों जागकर सपना बनाया जिसे,कही रात ही रात में बदल ना जाये, मिन्नतो से मांगा जिसे उपहार में,कहीं बीच मझधार छोड़ न जाये, रहती हैं उम्मीदे वफाई की,कहीं नस्ल बेवफाई न कर जाये, कैसे इन रोती आँखो को देखे,ये सहा न जाये, सहते हैं पीड़ा प्रीत की,पर किसी से कहा न जाये, दूर कर दिया जिसने,उसी की चिंता में मरे जाये, यही प्रार्थना हैं सबसे,ये वृद्ध इस उमर में घुट-घुट के कहीं मर न जाये, फर्ज हैं हम सबका,जीते जी हम इन्हे स्वर्ग दिखाये, ये तो आसमां के सितारे हैं,न जाने कब टूट जाये अभी तो हैं साथ-साथ , न जाने कब छूट जाये, ये तो आसमां के सितारे हैं,न जाने कब टूट जाये। मां बाप के लिए एक कविता #Stars&Me
Choudhary Raj Bhwar
सम्मान हमेशा घर मेरा एक बरगद है, मेरे पापा जिसकी जड़ हैं, घनी छाँव है मेरी माँ, यही है मेरा आसमान। ©Choudhary Raj Bhwar माँ बाप को समर्पित कविता love you maa baapu #PoetInYou