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RituRaj Gupta
दफ़न कर दो मेरी ख्वाइशें, दफ़ना दो मेरे अरमान को, फ़िर भी चलती रहेगी मेरी कलम, मेरे शब्दों की माला बोलेंगी, लड़ेंगी समाज के अँधे लोगों से, ... ... Rest read in caption दफ़न कर दो मेरी ख्वाइशें, दफ़ना दो मेरे अरमान को, फ़िर भी चलती रहेगी मेरी कलम, मेरे शब्दों की माला बोलेंगी, लड़ेंगी समाज के अँधे लोगों से, पूछें
Aditya Kumar Bharti
सम्मान हमेशा तुम शहर मिटाने आये हो कभी नेताओं पर भी नज़र डालो। आम आदमी को मारने से फुर्सत मिल गई हो तो उनके लिए भी वक़्त निकालो।। ©Aditya Kumar Bharti #नेताओं के लिए
Masoom Barzish(Sheikh Sahab)
भुरा,हरा,नीला,पीला, गुलाबी सब रंग के धन आ गये पर ससुरा काला धन कहां रह गया पता नही केवल नेताओं के लिए
Ek villain
पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में सबसे ज्यादा निगा उत्तर प्रदेश से लगी हुई है जहां ना केवल मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के 57 कि 2024 के आम चुनाव में प्रधानमंत्री मोदी की तीसरे कार्यकाल की संभावना भी दांव पर है ममता बनर्जी की सफलता से उत्साहित होकर विपक्षी दल कुछ ऐसी वैसी पटकथा यूपी में तैयार करने में लगे हैं जैसे उन्होंने बंगाल में लिखी थी पहले मोदी और योगी के बीच मनमुटाव परियों की और केशव प्रसाद खाओ का टकराव उसके बाद भाजपा से ब्राह्मण की गति नाराजगी और भाजपा के पिछड़े दलित के बयान को उछाला जा रहा है लेकिन यह पटकथा चुनावी बक्सा ऑफिस पर हिट होगी या नहीं चुनाव के मौके पर स्वामी प्रसाद मौर्या धर्म सिंह सैनी द्वारा सिंह चौहान समेत करीब 10 भाजपा नेता सपा में चले गए इस भाजपा के विरोधी माहौल बना तो जरूरी लेकिन मतदाता जनता है कि ऐसे में दल बदल हो रही है आधार पर नहीं वरना निजी हित की आते क्या ऐसे नेताओं की परिवर्तन से समर्थ के लिए बदलते हैं आम चुनाव में सपा और बसपा का गठबंधन हुआ तब अखिलेश और मायावती भी अपने समर्थन को अपने साधना रखे थे तो छोटे नेताओं की क्या हैसियत पिछड़ी जातियों के प्रतिनिधियों का दावा करने वाले नेता भूल जाते हैं कि उन जातियों के युवाओं में भी राजनीति का महत्व की अपेक्षा है क्या केवल एक नेता के परिवार के लोग ही आगे बढ़ेंगे या उस समाज के सारे लोग आगे बढ़ेंगे क्या सकते नहीं है कि भाजपा छोड़ने वाले नेता अपने संबंधियों को टिकट न मिलने को लेकर आशंकित थे ©Ek villain # नेताओं के पलायन का सर #apart
Shivam Dwivedi
नेताओं के किस्से होते बड़े निराले। अपनी अपनी कुर्सी के चक्कर में सब फिरते लल्लू प्यारे जिसको देखा उसको झुककर कहते तुम हो हमारे नेताओं के किस्से होते बड़े निराले। जब आती चुनाव की बारी घर घर फिरते सारे ऐसा लगता इनसे बढ़कर कोई नही है प्यारे नेताओं के किस्से होते बड़े निराले। जब हो जाते है चुनाव ये छुपाते सारे प्यारे जब जनता जाती इनके घर कहते तुम कौन हमारे नेताओं के किस्से होते बड़े निराले। ©Shivam Dwivedi नेताओं के किस्से होते बड़े निराले #BookLife
SK Poetic
अगर इस देश की जनता कलम चलाना सीख गई, तो फिर सड़क पर रिक्शा कौन चलाएगा? कौन धोएगा उनके घर के गंदे बर्तन, उनके घर की ईटें कौन उठाएगा? कौन लगायेगा उनके रैलियों में नारे, इनके गुनगान कौन गायेगा, कौन करेगा इनके सरकारों की झूठी तारीफें, कौन लड़ेगा हिंदू -मुस्लिम के नाम पर, कौन लड़ेगा हिंदुस्तान और पाकिस्तान पर, कौन खाएगा इनके रैलियों में पुलिस के डंडे, अगर देश की जनता सीख गई कलम पकड़ना, तो इनकी रैलियां खाली रह जाएंगी, इनका हर एक झूठा वादा पकड़ाने लगेगा, जो इन्होंने किया था चुनावों में, इनकी हर व्यवस्था पर आवाजें उठने लगेंगी, देश की जनता स्वास्थ्य, शिक्षा, बिजली, सड़क खोजने लगेंगी, और इनके हर एक विकास का हिसाब मांगने लगेंगी...! ©S Talks with Shubham Kumar नेताओं की सोच जनता के प्रति #alone
Naresh Chandra
बेरोजगारी की समस्या न सुलझी सत्तर सालों मे युवावर्ग अब जाग चुका आयेगा न अब झांसे में इस मुद्दे पर बेवकूफ बनाया कांग्रेसी सरकारों ने खुद से पैदा कर लेगा रोजगार अपने ही देश में। सब्सिडी का प्रलोभन देकर लूटा है खुब देश को जनता को मुफ्त मिलेगा सब झांसा देते देश को किसानों को मिला अभी तक कोरा अश्वासन ही कर्जा माफ करेंगे खुद हमसे ही लेकर पैसों को। देश को पंगु बना रहे सोची समझी चालों से माल्या, नीरव को भी भगा दिया अपने देश से बांड्रा की जमीन का धंधा कैसे है फला फूला गुमराह कर रहे जनता को पोल खुलने केडर से। जय जयकार करते मिलकर अपने दुश्मन देश की भारत तेरे टुकड़े होगे साथ निभाते आतंकी गद्दारों की कैसे देश सौंप दे इनको जिनके मन बेईमानी भरी प्रधानमंत्री को गाली देते हया शरम् सब मर गई इनकी। ✍ लक्ष्मीनरेश ✍ आज के नेताओं का चरित्र चित्रण #दिल_की_आवाज़ #InspireThroughWriting
Amrita sahu
नेताओं की बात भी बड़ी निराली जनता को कठपुतली बना डाली जब आती चुनाव की बारी वोट मांगे हाथ फैलाके भारी बातें करते बड़ी - बड़ी शपथ भी लेते बड़ी - बड़ी हर कार्य में करते ये गड़बड़ी भ्रष्टाचार खुद फैलाते सदाचार का पाठ हमें पढ़ाते रिशवत खाते मोटी - मोटी जनता को मिलती सुखी रोटी पार्टी बनाते अलग - अलग दिखाते सब अपनी एक झलक प्रत्येक साल पांच साल में बदलती है सरकार प्रचार - प्रसार मे निकालते एक - दूसरे के ऊपर भड़ास - भरमार और सिखाते हमें एकता का पाठ खोलते एक - दूसरों के कार्यों की गाँठ आयकर के नाम पर लेते ये कट मनी और कहते है नहीं खाते हम जनता की मनी नेताओं के भाषण होते लंबे - चौड़े जिसमे वादे करते वे झूठे बड़े इसमें फँसती जनता ढेर नेताओं ने बना लिया राजनीति को एक खेल।।। अमृता साहू🖊🖊 ©Amrita sahu # नेताओं की बातें
Mani
एक नेता महज मात्र आदेश दे सकता है जान नहीं मर जाते हैं सेना देश पर नेताओं सी बिकती इमान नहीं #NojotoQuote नेताओं शर्म करो