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Savita Suman
#MessageOfTheDay #अरूणिमा भोर ने दस्तक दीअरूणिमा की बेला आई खिलने को कुसुम तरू पर नव चेतना भर लाई कलरव से पंछियों की होती सुबह की है आभास मन उमंग से भर उठा जब फैला अवनि पर प्रकाश ©Savita Suman #Messageoftheday #अरुणिमा
Prashant Deep Srivastava
प्रात:काल की यह अरुणिमा, आज रंग नया लाई है, लाई है यह एक नई सुबह, जीवन में , संदेशा नया लाई है। प्रात: काल की यह अरुणिमा जीवन में, एक नयी चेतना लाई है।। खिल रही हैं नयी कलियां, और चुराने को मधुरस जिनसे मधुघट उनपर आई हैं। प्रात: काल की यह अरुणिमा आज संदेशा नया कुछ लाई है।। झूम रहे हैं भंवरे, और नाच रही चिड़ियां प्रेम का संगीत ऐसा वनप्रिय आज लाई है। प्रात: काल की यह अरुणिमा आज हृदय को मेरे भाई है।। प्रशान्त प्रातः काल की अरुणिमा
Alok Vishwakarma "आर्ष"
प्रात क्षितिज की विभा अरुणिमा, संसृत कृत दिप शिखा अरुणिमा । रात्रि नयन शय सार अरुणिमा, मनु अस्ति आभार अरुणिमा ।। सुप्रभात Everybody #अरुणिमा #मनु #कृतिकीकविता #alokstates #essentiallydeep #रात्रि #yqdidi #कविता
Usha Dravid Bhatt
चहक उठी संध्या की बांसुरी गगन छूती डालियों से रागिनी गा उठी वियोगिनी झूलों मे लहरा उठी लालिमा सिमट कर सांवली हो गयी खग फुदक चहक कदम्ब में जा छिपे कहा वृक्ष ने तुम कहां छिप गये क्यों बोलते फुदकते तुम सो गये सांझ की प्यास से क्यों दूर होने लगे, मेरे मन की व्यथा बावली हो गयी मन का उद्वेग तिलमिलाने लगा बूंद - बूंद चांदनी को मेघ ढकने लगे सांझ की अरुणिमा की चमक निष्प्रणा हो गयी । ©Usha Dravid Bhatt जब सांझ की अरुणिमा प्रतीक्षारत् मन को विचलित कर देती है । #river
vasundhara pandey
सबका मानना है, अंधेरा आया है| मैं जानती हूँ,अरुण अपना रथ हाँक चुका है || अरुणिमा आती होगी, करने स्वागत प्रभात का मैं क्यूँ ना दीप बुझा दूँ, अंदेशा रात का
Prashant Deep Srivastava
प्रात:काल की यह अरुणिमा, आज रंग नया एक लाई है, लाई है यह एक नई सुबह, जीवन में , संदेशा नया एक लाई है। प्रात: काल की यह अरुणिमा जीवन में, एक नयी चेतना लाई है।। खिल रही हैं नयी कलियां, और चुराने को मधुरस जिनसे मधुघट उनपर आई हैं। प्रात: काल की यह अरुणिमा आज संदेशा नया कुछ लाई है।। झूम रहे हैं भंवरे, और नाच रही चिड़ियां प्रेम का संगीत ऐसा वनप्रिय आज लाई है। प्रात: काल की यह अरुणिमा आज हृदय को मेरे भाई है।। प्रशान्त प्रातः काल की अरुणिमा #a poem on sun rising which brings a new thought in our life and brings a change....
ओम भक्त "मोहन" (कलम मेवाड़ री)
ओम भक्त "मोहन" (कलम मेवाड़ री)
धरती और चंद्रमा के बीच दुरियाँ भी मिट जाती है,,जब इंसान ठान लेता है,! एवरेस्ट भी फतह हो जाती है ,जब इंसान ठान लेता है! जब इंसान ठानने लगता ह