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Gourav Tiwari

सारा जगत बता रहे हैं इस कवीता  मे

सारा जगत बता रहे हैं इस कवीता मे #शायरी

27 Views

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Shubham Bhardwaj

जिंदगी से खूबसूरत, देखा तो कुछ नही पाया है।
सब कुछ जिंदा है जब तक यह तेरी काया है।।
नश्वरता कण कण में बसती है,यहाँ सबकुछ माया है।
हर दृश्य बदलता जायेगा, यह जगत तो बस साया है।।

©Shubham Bhardwaj
  #जिंदगी #से #खूबसूरत #जगत #माया #साया #काया #नही
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Sanjeev gupta

 सारा जग बेगाना

सारा जग बेगाना #nojotophoto #विचार

3 Love

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Prabuddh Kashyap

सारा जग तो हँस रहा,मुझ पर आज अंनत।
हँस लो जितना हँस सको,सबका होगा अंत।
,,,,प्रबुद्ध,,

©Prabuddh Kashyap
  सारा जग तो

सारा जग तो #कविता

11 Love

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Death_Lover

राम जब एक रहूँ इस जग में, तब तक बस सिमरू नाम तुम्हारा
जब न हो कृपा आपकी सब पर, तब मैं बन जाऊँ बस दास तुम्हारा
(मेरे राम)

©Himanshu Tomar
  #मेरे_राम #दास #जगत #जग #life #Love
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Rani battewad

आपल्या साठी जगा दुसरे तर चुका काढतात

आपल्या साठी जगा दुसरे तर चुका काढतात #शिक्षण

1,342 Views

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Archana pandey

पीर हमारी तुम क्या समझो
क्या समझो तुम प्रीत?
एक ही मन जो हारे तुझमें
भले गए जग जीत......
अर्चना'अनुपमक्रान्ति'

©Archana pandey जग जीत

#evening

जग जीत #evening #कविता

10 Love

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Jitendra KumarYadav ( jitu)

 देख चुका जग सारा,(कविता)

देख चुका जग सारा,(कविता) #nojotophoto

7 Love

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@thewriterVDS

"कबीर"

पानी केरा बुदबुदा, अस मानस की जात ।
देखत ही छुप जाएगा है, ज्यों सारा परभात ।


भावार्थ: कबीर दास जी कहते हैं कि इंसान की इच्छाएं एक पानी के बुलबुले के समान हैं जो पल भर में बनती हैं और पल भर में खत्म। जिस दिन आपको सच्चे गुरु के दर्शन होंगे उस दिन ये सब मोह माया और सारा अंधकार छिप जायेगा।










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©@thewriterVDS
  #पानी  #बुदबुदा #मानस #जात  #छुप #सारा #प्रभात 
#WoRaat
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Death_Lover

हे राम! यो जग मोहे समझ आवत नाही,
और एक आप हो जो ये सब समझावत क्यों नाही॥
॥मेरे राम॥

©Himanshu Tomar #मेरे_राम #जग #जगत #जीवन_सत्य #जीवन #disater #life #समझ 
#soulmate
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payal bejuban_girl

मन जीते जग जीत

मन जीते जग जीत #Quotes

3,504 Views

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Nitin Kr Harit

बंधने वाले बदले जाते, बदला कभी ना खूंटा,
धूं धूं जलती काया देखी, भ्रम फिर भी ना टूटा,
जिसको पाला वही जलाए, मोह कहां पर छूटा,
यत्न करो पर नहीं भरेगा, बर्तन तल से फूटा,
लिख लिख हारे लोग, सनातन सत्य अनूठा,
मैं झूठा, तू झूठ, जगत ये सारा झूठा. जगत ये सारा झूठा ।। नितिन कुमार हरित

#nitinkrharit #yqdidi #yqbaba #yqquotes #morningthoughts #life #yqhindi

जगत ये सारा झूठा ।। नितिन कुमार हरित #NitinKrHarit #yqdidi #yqbaba #yqquotes #MorningThoughts life #yqhindi

0 Love

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नई सोच नया भारत

बस, अपने आप से "वादा" करो की मुछे अच्छा बनना है! 
दुनियां को आजतक कोई नहीं बदल पाया ! हम बदले तो सारा जग बदला

हम बदले तो सारा जग बदला #विचार

12 Love

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Rohit Kumar

रंगो का जीवन ये जग सारा

रंगो का जीवन ये जग सारा #लव

47 Views

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S.Sangeeta

तू हँसता रहे....में देखती रहूँ !
तेरी मुस्कराहट पर यूँ खो जाऊं....
की सारा ग़म भूल जाऊं!!

तू बोलता रहे .....में सुनती रहूँ !
तेरे बातों में यूँ खो जाऊं...
कि खुद को भि भूल जाऊं !!

तू चलता रहे....में हाथ थामती रहूँ !
तेरे बाँहों में यूँ खो जाऊं....
की सारा जग भूल जाऊं!!

©S.Sangeeta 
  तेरे लिए सारा जग भूल जाऊं......

तेरे लिए सारा जग भूल जाऊं...... #लव

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Paresh Sane

तुझे दुःख मला देता आले नाही, 
माझे सुख तुला घेता आले नाही..... 
असे कसे गं फसवे प्रेम होते तुझे, 
मी तुझा असतानाही...!! 
तुला माझे होताचं आले नाही.

©Paresh Sane तुझ्याच साठी तुला सोडूनी निघून मी दूर जात आहे...

तुझ्याच साठी तुला सोडूनी निघून मी दूर जात आहे... #poem

6 Love

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Death_Lover

राम इस जगत में है माया का खेल,
जो छूट गयो सो छूट गयो, बाकी सबकी जेल
॥मेरे राम॥

©Himanshu Tomar #मेरे_राम #माया #जीवन #जगत #जग #जेल #money #life #जागो
#river
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raj pivhal

इंकलाब जिंदाबाद।
सूली पर थे,फिर आएंगे ए वतन 
तुझपे मरने को यही पहली ख्वाहिश
यही आखिरी फरीयाद।
इंकलाब जिंदाबाद।🇮🇳 भारत माता का भगत
फिर कभी कोई ऐसा नहीं
देख पाया यह जगत

भारत माता का भगत फिर कभी कोई ऐसा नहीं देख पाया यह जगत #बात

6 Love

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Sneh Prem Chand

जगत चेतना

जगत चेतना

27 Views

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Unfinished journey of life

 शायरी जगत

शायरी जगत #Shayari #nojotophoto

5 Love

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Unfinished journey of life

 शायरी जगत

शायरी जगत #Shayari #nojotophoto

7 Love

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विशाल सिंह जाट गोरा

सनी पाजी: जज साहब आप तारीख पर तारीख़ देते जा रहे हैं
और इसकी भैस मेरा पूरा चारा खा गयी।
आपको याद है-पिछली तारीख को चड्डा साहब ने अपनी भैस को बांधने को कहा था
अब अगर इसकी भैस मेरे खेत में आयी तो कसम है गया गंगा मैया की इनके घर में घुश कर इनकी सारी भैसो को निकाल ले जाऊंगा। फ़िल्मी जगत

फ़िल्मी जगत

4 Love

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NG India

जाँच कर लखना जगत असार ।।टेर।।
बिन गृहस्थ कस जग जाँचोगे । यह हैं कसौटी भार ।।
मीठे  संगी  बहुत  बनेंगे । अन्तर  ज़हर  अपार (1)
हाड़ पे मांस  गाँठ में पैसा । सभी करेंगे प्यार ।।
दोनों रहे  न  संग में तेरे । सब गह लेंगे किनार (2)
बड़े बतावें  ऊँचे  बैठावें । वाह  वाह  करे  पुकार ।।
जब स्वारथ की झलक मिटेगी । कहेंगे सब बेकार (3)
समय के सतगुरू को खोजो । कर लेना चरण आधार ।।
वे   होंगे   निःस्वार्थ   साथी । नेह   निभावन   हार (4)
राधास्वामी नाम के जाप में लगजा । अन्तर रखना  प्यार ।
वे  ही  है  इक  सच्चे  साथी । करेंगे  बेड़ा  पार (5)
                         *राधास्वामी*                       

राधास्वामी प्रीति बानी 2 -125 जगत असार ।

जगत असार ।

5 Love

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RSP पांडे

दो दिन का है मेला जग में
सब चला चली का खेला

आपका दिन शुभ हो

               रतन लाल✍️ जगत सुना

जगत सुना #विचार

7 Love

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Shivraj Anand

प्रेम-जगत १

       प्रेम जगत संसार का रंगमंच

 है  और  हम सभी  इस रंगमंच  के पात्र।)

विज्ञो का मत है की आदि मानव ने प्रेम की आदिम आग की उष्णता से सृस्टि  की रचना की 'आदम और हौवा या ,मनु और शतरूपा ने बाव संवेदन धड़कते प्रेम भावना के लिए स्वर्ग के संवेदन हित आनदं रस को नही अपितु जगत के कठोर जीवन को अपनाया |

      ओ- ढोलमारो , लैला  मजनू , रोमिओ -जुलियर ,हीर -राँझा , की प्रेम कथाये तो यही रेखांकित करती है की प्रेम ही जीवन का सार है, प्रेम विहीन जगत वीरान है| इसी प्रेम के वशीभूत (जगत बनाने वाले ) माता (प्रकृति) व पिता (पुरुष) जगत का निर्माण किया । अतः उन्हें मेरा सहस्त्रो बार प्रणाम ! 

परिवारिक सुख आकाश में घटाओ के सदृस होता है| सुख उत्पन्न होता है पर चिर कल तक स्थिर नही होता उन घटाओ के सदृश ही छिप  जाता है 

     'वर्षो से मेरे आँगन में एक अंगना नही जिससे मेरी आँगन  सुनी है । 'ऐसा ही विचार  कर 'मनीलाल  ' अपने पुत्र (मधुसूदन ) क विवाह कर रहे है । असलबात मधुसूदन जब १० वर्ष का था, तब उसकी 'जन्म जननी' दुनिया से चल बसी । वह माँ की ममता को न पा सका- माँ की ममता उसके लिए आसमान के कुसुम हो गई ।

'

  मनीलाल' मंजोलगढ़ के एक ईमानदार पुरुष है । वे सबको एक आँख से देखते है । पत्नी मृत्यु के बाद उनके आंखों से खून उतर आता - है बस याद आती ... कमर तोड़ जाती । बस उसी के याद को भुलाने और दुःख के आंसु को सुख में बदलने के लिए ही वे अपने पुत्र का विवाह कर रहे है ।

मधुसूदन का विवाह सुमन के साथ हो रहा है । 'सुमन' एक सजिली लड़की है । वह विदितनारायण की पुत्री है । 'विदित नारायण' भले व नेक इंसान है ।वे प्रेमगढ़ के सकुशल व्याक्ति हैं । आखिर एक दिन मधुसूदन की बारात प्रेमगढ़ के लिए निकल पड़ती है और लोगो की इंतजार की घड़िया ख़त्म हो जाती है ।

           प्रेमगढ़ एक  मनभावन नगर है। , किन्तु मधुसूदन की बारात ने उस नगर की ओर सजा  दिया है उस जन -संकुल नगर में अति चहल -पहल है । मधुसूदन के  माथ पर सुन्दर सेहरा है । जिससे मधुसूदन अति प्रसन्नचित है । वहां का विशद ए नूर अनुपम है । धरती के आसमा तक शहनाइओ  की ध्वनि गूंज रही है , तारे गण  आकाश में टिमटिमा रहे हैैं मानों सबके  खुशीयों में झूम रहे हों । (कुछ देर बाद)  पुरोहित द्वारा शिव ,गौरी व गणेश जी की पूजा कराइ जा रही है । वहीं सुहागिन स्त्रियों    मंगल गान गा  रही हैं । जिससे  आये सभी ऐ कुटुम्ब जन आनंदित हो रहे हैं। (धीरे- धीरे द्वार  चार  की रीति- रस्म पूर्ण हो जाती है) वही एक सुंदर जनवासा है जिसमे आये सभी बारातियों की मंडली क्रमशः बैठी है । उन सबकी नज़र (सामने) दूल्हे और दुल्हन पर एक टक लगी है । वे सब उनके मुस्कान भरे चेहरे को देखकर बरबस ही मोहित हो रहे हैं। ख़ैर सुंदरता  किसे नही मोहित कर लेती ।

         आज 'सुमन'   बारहों भूषणो से सजी है । उसके  पैरों में नुपुर के साथ किंकिनि है । उसके 



हाथों में कंगन के साथ चुड़िया  हैं। उसके गले में कण्ठश्री  है । बाहों में बसेर बिरिया के साथ बाजूबंद है ।  माथे  पर सुन्दर टिका के साथ शीस में शीस फूल है । उसे देख कर ऐसा लग रहा मानो 'सुमन' नंदन की परी हो..... जो श्रृंगार- रस और सौंदर्य का  मिलन हुआ है |

         अब प्रभात की सुमधुर बेल में सुमन व मधुसूदन सात फेरो के पवित्र बंधन में बध रहे हैैं ।उनके इस बंधन के साक्षी अग्निदेव है । वहीं अपने कुलानुसार लाई -परछन और नेक चार  का रीती रस्म पूर्ण होता है । हालाँकि  सुमन के अपने कोई भाई नहीं है तब भी मंगला नाम का ब्यक्ति अपने आप को सौभाग्य जान कर अपने हाथो से सुन्दर संबध जना रहा है । मानो सीता जी के लिए पृथ्वी  का पुत्र मंगल गृह आया हो। शनैः शनै विदाई की पुनीत घड़ी आन पड़ी है । जहा पूजनीय पिता विदित नारायण के पांव न उठ रहे है और न ही टस से मस हो रहे हैं । वहीं दूसरी ओर माँ सुनैना की ममता टूट कर बिखर पड़ी है । 

       प्रेम - जगत का प्रेम ही अजूबा है जब सुमन अपने पति के गले में वरमाला  डाल रही थी तब सब की आखे एक टक हो कर उसकी ओर देख रही थीं। परन्तु अब सबकी आखे नम है । किसी के मुख से कुछ भी शब्द निकलते  नहीं बनता मानो सौंदर्य ने श्रृंगार- रस छोड़ कर शांत_  रस को अपना लिया हो । जो सुमन कल तक अपने साथी  सहेलियों की प्रिया थी एक बाबुल की गुड़िया थी। . बाबुल की प्रीत रुपी बाहों में झूलकर कली से सुमन बनी आज वही सुमन बाबुल की प्रीत में मुरझाकर बिदा हो रही है । खैर सुमन को बगैर मुरझाये बहारों का सुख कहा मिलेगा ? जब तक इस जगत में प्रेम रहेगा... तब तक सुमन को बहारों का सुख मिलता रहेगा ।चंद लम्हों के बाद विदितनरायण अपने दिल के टूकड को बिदा कर देते है। सुमन आंखों ही आंखों में देखते - देखते प्रेमांगन से दूर चली जाती है ।

         प्रेम -जगत २

मनीलाल कृत- कृत्य हो गए , उनके जो वर्षो की सुनी आँगन में' सुमन 'का जो आगमन हुआ । इस जगत में प्रेम भी  अपने वेष को बदलता रहता है । जो मनीलाल कल तक लोगों की सलामती चाहते थे वही मनीलाल अनायास ही परलोक सिधार गए। सारा सुख दुःखों  में बदल गया जहा मधुसूदन की जिंदगी चांदनी रात के समान चमक रही थी अब वही  खौफनाक  अंधेरा सिर्फ अंधेरा …अब तो मधुसूदन के ऊपर पहाड़ सा टूट पड़ा। अगर उसके मन में खुशी होता तो रात अंधेरा भी दीप्त सा लहक पड़ता किन्तु  चांदनी रातों में दुखों का साया पड़ जाये तो उसे कौन रोशन करेगा ? वहीं मधुसूदन बिलख-बिलख कर रो रहा है। वहा आये सज्जन विमन है। उन्हें मधुसूदन का रोना अच्छा नही लगता तो वे कह उठते हैं - मत रो मधुसूदन ! मत रो जो होनहारी है सो तो होगा ही ... किसी का भी संयोग से मिलन होता है और बियोग से बिछड़ना। हां मधुसूदन ये जिंदगी रोने के लिए नही है ।जीवन का प्रवाह जैसा बहता है तूं बहनें दे ।किन्तु तू मत रो रोना जगत के लिए पाप है । मरना सौ जन्मों के बराबर है जो की अंतिम सच है । यह रोने की घड़ी नही है। तुमने  बाल्य काल में जिन कंधो को हाथी, घोडा और पालकी बना कर अपार आनद उठाया था न ,आज तुम्हें उन्हीं कंधो के मोल को अदा करना है इसलिए तुम भी अपने पिता (मनीलाल) को कन्धा दो ।

         मणिलाल  के परलोक सिधारते ही घर की आर्थिक स्थिति दुरुस्त नही  रही ।जहा मधुसूधन ऐसो आराम की जिंदगी जी रहा था अब वही  पहाड़ खोद  -खोद कर चुहिया निकालने लगा । जिससे प्रेम -जाल में बंधे पत्नी (सुमन) और पुत्र  का पेट पल सके । 

         आखिर एक दिन मधुसूदन घर की स्थिति को दुरुस्त करने के लिए घर से निकल गया बहुत दूर... ।वह जान से प्यारे पुत्र को ममत्व के छाव छोड़ गया जहाँ माँ( सुमन )की ममता आपार थी और पुनीत गोद विशाल ।'

ईश्वर की लीला बड़ी विचित्र है । जब मधुसूदन २ वर्ष तक घर नही आया तब सुमन नयन - जल लिए विलापती - ओह देव ! क्या ' मेरे पति देव जगत में कुशल भी है या उनसे मेरा नाता तोड़ दिया ? वह एक तरफ स्तम्भित हो कर भगवान को दोष देती वहीं दूसरी ओर अनुसूया जैसे पतिव्रता नारी धर्म का पालन भी करती।

पर उसे मालूम नही की इस संसार में कोई किसी को दुःख देने वाला नही है । सब अपने  ही  कर्मो का  फल है ।   

       सुमन  चार दिवारी के बाहर विवर्ण मुख निम्न मुख किये बैठी है । उसकी आंखें नम है व केस विच्छिन्न । जिससे फेस ढका है । सूर्य की लालिमा उसके तन पर पड़ रहे हैं तब भी वह दुखों की काली सागर में डूबी जा रही है मानो उस अबला के लिए तड़पना ही  उसका सफर बन गया हो। वह जैसे पति प्रतिक्षा में बिकल है वैसे ही प्रकृति भी अपने अनमोल छटा से विचल है । वह बारम बार विधाता को दोष देती और कहती - हाँ ,देव !  तूं सच-सच बता.. तूने मेरे ख्वाबों इरादों को पत्थर तो नही बना दिया ? क्या सूर्य के बिना दिन और चंदमा के बिना रात शोभा पा  सकते है ? नही न... फिर मै अपने पति के बिना कैसे शोभा पा सकती हूं ? क्या तुझे एक दूजे की जुदाई का तजुर्बा नही... अगर नही, तो इस  " प्रेम - जगत "में 'आ' और के  देख ... तेरे बनाये इस कठोर धरती पर तेरा ये मिट्टी का खिलौना (पुतला) एक प्रेम के लिए कितना अधीर है । कि  'कास हमें मुठ्ठी भर प्रेम मिल जाता तो हमारे इस मिटटी के खिलौने में जान आ जाता … । आगे  वह कहने लगी -'अब दिन फिरेंगे' तो जी भर के देखूँगी ।' हां देव !अब विलम्ब न कर ...उन्हें घर के चौखट तक ला दे । ये तुमसे मेरी आर्तनाद है और एक दुहाई भी।' हां लोगो को यह भ्रम है  कि मैंने अपने पति  (मधुसूदन )को घर से तू -तू ,मै -मै कर और मुह फुलाकर निकाल  दिया है।पर तुम तो सर्वज्ञ हो तुम्हें मालूम है कि "मै उन्हें सप्रेम गले मिलाकर  किस्मत बनाने और जिंदगी  सवारने के लिए भेजा है।

             अतः ये आखे उनकी प्रतीक्षा में कब से राह सजाये खड़ी है । अंततः एक दिन मधुसूदन बीते हुए मौसम की तरह अपने पत्नी सुमन के पास लौट आया  और पति से गले लगते ही  सुमन झूम उठी मानो बहारों के आने पर मुरझाई कली खिल रही हो ।

     मधुसूदन हंसते हुए पूछा- क्या हुआ सुमन ? तूम इतनी बेचैन क्यों हो ? क्या मै इस  प्रेम -जगत में आकर सचमुच खो गया था ? अगर हां मै खो गया  था तो क्या मेरा प्रेम भी इस जगत से खो गया था ? इन  सवालो के ज़वाब सुमन न दे सकी और अपने बहारों में महकने लगी ।

©Shivraj Anand प्रेम -जगत

प्रेम -जगत #लव

5 Love

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Sanjeev gupta

 जगत मुरारी

जगत मुरारी #Quote #nojotophoto

4 Love

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Praveen Jain "पल्लव"

पल्लव की डायरी
पाक साफ हो जग सारा 
इंसानियत का हर जगह बढे दायरा
तेरे रहमत की पड़े,सब पर छाया
नेक और मेहनत से,फिर हो नया सबेरा
रोजा इफ्तार से, दौलत ईमान की देना
चाँद जैसे चमके जमाना
ऐसी दुआ इस ईद पर कबूल करना
संसार के हर वन्दे को,सलीका जीने का देना
जो पनपे है गले शिकवे,मिल जुलकर
इस ईदी पर,दूर करना
                                    प्रवीण जैन पल्लव

©Praveen Jain "पल्लव" #MeriEid
पाक साफ हो जग सारा
#MeriEid

#MeriEid पाक साफ हो जग सारा #MeriEid #कविता

36 Love

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Bhramgyan Youtube Channel

दो घडी का जग देखना
बाकि सारा संसार खेल
जग को बनाने वाले तेरा 
ये माया का ही सारा खेल
जीवन आने जाने का ही है
ये सारा इश्वर का गजब खेल
-Dr. Anil Mistri

©Bhramgyan Youtube Channel जग सारा दो घडी का खेल

#sharadpurnima

जग सारा दो घडी का खेल #sharadpurnima #विचार

9 Love

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