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Karan Meda
कि मिले थे बचपन में एक स्कूल की क्लास में फिर स्कूल खत्म हुए बिछड़े थे हम 10वीं की क्लास में कुदरत की मेहरबानी हम फिर से मिले लवली ग्रुप में पर जाने क्यों अब फिर से ग्रुप से बिछड़ने लगे क्या रे ऊपर वाले आज लोग ग्रुप में बात भी नहीं करते ©Karan Meda मेरी दिल किं बात #brothersday
RRB_12
*तकदीर के खेल से* *नाराज नहीं होते* *जिंदगी में कभी* *उदास नहीं होते* *हाथों किं लक़ीरों पे*
Poet Shivam Singh Sisodiya
#OpenPoetry जयतु संस्कृतम् जयतु भारतम् 🚩 हस्तस्य भूषणं दानं सत्यं कण्ठस्य भूषणम् । श्रोत्रस्य भूषणं शास्त्रं भूषणैः किं प्रयोजनम् ॥ हाथ का भूषण दान है, कण्ठ का सत्य, और कान का भूषण
Kunal Thakur
जब भी कोई आपके इज्जत और प्रतिष्ठा पर चोट करें आप खामोश रहकर उसें बार - बार इस बात को दोहरानें का मौका कभी ना दें कदापि यें आपके जिंदगी किं सबसें बड़ी भूल हो सकती हैं Dil Se.........Written By Kunal........ ©Kunal Thakur जब भी कोई आपके इज्जत और प्रतिष्ठा पर चोट करें आप खामोश रहकर उसें बार - बार इस बात को दोहरानें का मौका कभी ना दें कदापि यें आपके जिंदगी किं
Ruchi Baria
महाद्रिपार्श्वे च तटे रमन्तं सम्पूज्यमानं सततं मुनीन्द्रैः। सुरासुरैर्यक्ष महोरगाढ्यैः केदारमीशं शिवमेकमीडे॥ ©Ruchi Baria महाद्रिपार्श्वे च तटे रमन्तं सम्पूज्यमानं सततं मुनीन्द्रैः। सुरासुरैर्यक्ष महोरगाढ्यैः केदारमीशं शिवमेकमीडे॥ अर्थ: – जो महागिरि हिमालयके प
Harshita Dawar
Written by Harshita Dawar ✍️✍️ #Jazzbaat# हारारात सी थी दिल में अपनी अदुरी सी हसरतो को गिनना शुरू कर दिया। महज भीड़ में दम घुटना लगा तो। मैंने फिर से उड़ना शुरू कर दिया। दर्द यादे आदुरि खवाइए सब साथ बस फिर किसी किं कमी है। #yaadein #challengecompleted #chahat #rishte #yqdidi Written by Harshita Dawar ✍️✍️ #Jazzbaat# हारारात सी थी दिल में अपनी अदुरी सी हसरतो क
Ruchi Baria
महाद्रिपार्श्वे च तटे रमन्तं सम्पूज्यमानं सततं मुनीन्द्रैः। सुरासुरैर्यक्षमहोरगाद्यै: केदारमीशं शिवमेकमीडे ॥ ©Ruchi Baria महाद्रिपार्श्वे च तटे रमन्तं सम्पूज्यमानं सततं मुनीन्द्रैः। सुरासुरैर्यक्षमहोरगाद्यै: केदारमीशं शिवमेकमीडे ॥ जो भगवान् शंकर पर्वतराज हिमाल
Ruchi Baria
महाद्रिपार्श्वे च तटे रमन्तं सम्पूज्यमानं सततं मुनीन्द्रैः। सुरासुरैर्यक्षमहोरगाद्यै: केदारमीशं शिवमेकमीडे ॥ ©Ruchi Baria महाद्रिपार्श्वे च तटे रमन्तं सम्पूज्यमानं सततं मुनीन्द्रैः। सुरासुरैर्यक्षमहोरगाद्यै: केदारमीशं शिवमेकमीडे ॥ जो भगवान् शंकर पर्वतराज हिमा