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Sonal Panwar
ईश्वर ने जब सृष्टि की रचना की तब जाति, धर्म, ऊंच-नीच इन सबसे परे उस ईश्वर ने एक मनुष्य को उसका अस्तित्त्व दिया ! ये जाति, धर्म सब कुछ हमने बनाये है ! इसलिए मेरा ये मानना है कि केवल जप, चिंतन, ध्यान या साधना से ज्ञानोदय सम्भव नहीं है ! सही मायने में हमें ज्ञानोदय की प्राप्ति तभी हो सकती है जब हम आपस के राग-द्वेष, भेदभाव आदि को भूलकर ‘हम’ की भावना के साथ आगे बढ़े और एक सच्चे इंसान होने का आत्मबोध हमें सही राह दिखाएं ! तभी उस ईश्वर के आशीष से हमारा ज्ञानोदय सम्भव है ! यही मेरी इस कविता का आशय है ! ” ज्ञानोदय “ जब आशा के दीप-सा प्रज्ज्वलित हो नया सवेरा , आतंक की काली छाया का न हो अनमिट अँधेरा , जीवन में हो सुख-दुःख के संगम का बसेरा , यहाँ मानव का मानव के प्रति प्यार हो गहरा , भ्रष्टाचार की नीति का अंत हो घनेरा , राग-द्वेष से उन्मुक्त हो मन और झूठ से चेहरा , बुराई पर हो अच्छाई की जीत का सेहरा , क्रिसमस, ईद, होली हो या हो दशहरा , हर त्यौहार में हो चारों तरफ खुशियों का डेरा , इंसानियत की यहाँ बहती हो निर्मल धारा , इस आत्मबोध से प्रकाशित हो जन संसार ये सारा , तब होगा सच्चा ज्ञानोदय , और मिलेगा ईश्वर का सानिध्य गहरा , उदीयमान होगा ये जीवन प्रखर ज्योति पुंज-सा , और बनेगा ये कल स्वर्णिम सुनहरा ! – सोनल पंवार ©Sonal Panwar " ज्ञानोदय " #MereKhayaal
VINOD VANDEMATRAM
राजस्थान पत्रिका में बधाई संदेश, शोक, व्यावसायिक सहित सभी प्रकार के विज्ञापनों के लिए संपर्क करें: विनोद त्रिवेदी निखार पब्लिसिटी पालोदा। मो: 9929794894 ©VINOD VANDEMATRAM #vTp राजस्थान पत्रिका
Aaradhana Anand
चित् तरंगिणी पत्रिका दिव्य शब्द संग्रह खाली है सडक लेकिन ,मोड बहुत है । दिखती है साफ सुथरी लेकिन , जोड बहुत है ।। चित् तरंगिणी पत्रिका
Aaradhana Anand
“भारतस्य प्रतिष्ठे द्वे संस्कृतं संस्कृतिस्तथा” यानी भारत की दो प्रतिष्ठायें हैं पहली संस्कृत व दूसरी संस्कृति..... “संस्कृताश्रिता संस्कृति:” यानि भारत की संस्कृति संस्कृतभाषा पर ही आश्रित है। चित् तरंगिणी पत्रिका
Aaradhana Anand
करके साधु की हत्या , मिला कौन सा मान । कुकर्मो से मानव न सुधरे , कैसे बसा ये अभिमान ।। नमन करो तो ज्ञान मिले , मिले धर्म का ध्यान । साधु की हत्या करे जो, न हो कभी कल्याण ।। मानव की बुद्धि भ्रष्ट हुई , यहां पापी बने महान । दुनिया मे हाहाकार मचा , ये ही कर्मो का परिणाम ।। चित् तरंगिणी पत्रिका
Aaradhana Anand
"कीमती है सिक्के, ईमान सस्ता है.. यहां रिश्तों का मतलब ही मतलब का रिश्ता है...!!! चित् तरंगिणी पत्रिका