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3 Little Hearts
पतंग, डोर, चरखी सब-कुछ था, बस उसके घर की ओर हवा ही नहीं चली। ©Vishnuuu X #पतंग #डोर #चरखी #घर #हवा #patang #dor #Charkhi #hawa #kite
JASBIR BOXER
# musical life ( srivastava )
Nozoto परिवार के सभी सदस्यों को मकर संक्रांति की ढेर सारी शुभकामनायें 🙏 🪁🪁🪁🪁🪁 ©# musical life ( srivastava ) #makarsankranti 🪁🪁🪁🪁🪁 खेल खेल में जाने कब पीछे छुटा बचपन
CalmKazi
नाज़ुक हैं दिल के धागे, जाने कैसे पेंच लड़े ? #2LineStory Challenge by Jai Kumaar Theme - #Najuk #नाजुक मैं ये नहीं समझ पाता के ये पेंच लड़ते ही हैं तो कटना तो तय है । फिर विषाद भी पतंग
Ram babu Ray
आओ साथी हम पतंग उड़ाते है जयपुर का आसमान हम तुम्हें दिखाते है एक नही यहाँ हजार उड़ रहे चरखी मांझा संग पतंग खिल रहे हल्ला गुल्ला शोर मच रहा पतंग के पीछे होर मच रहा एक के पीछे एक दौड़ रहा एक पतंग पर हजार दौड़ रहा आज दीवानगी हद हो रही छत पर बूढ़े जवान हो रहे..!! ©Ram babu Ray आओ साथी हम पतंग उड़ाते है #जयपुर का आसमान हम तुम्हें दिखाते है एक नही यहाँ हजार उड़ रहे चरखी मांझा संग पतंग खिल रहे हल्ला गुल्ला शोर मच रह
Farhan Raza Khan
बहे जाऊं मै हवा में कटी पतंग सा फिर दौड़े कोई हमारे पीछे पीछे पकड़ने को हमारी डोर और फिर कोई तहे करले हमे अपनी चरखी में उम्र भर के लिए।। BAHE JAUN MAIN HAWA ME KATI PATANG SA PHIR DAUDE KOI HUMARE PEECHE PEECHE PAKADNE KO HUMARI DOR AUR PHIR KOI TAHE KARLE HUME APNI CHARKHI ME UMAR BHAR KE LIYE KOI... #NojotoQuote बहे जाऊं मै हवा में कटी पतंग सा फिर दौड़े कोई हमारे पीछे पीछे पकड़ने को हमारी डोर और फिर कोई तहे करले हमे अपनी चरखी में उम्र भर के लिए।। BA
RituRaj Gupta
ख़ुद में झांक कर देखा कभी, अतीत का भी अतीत मर गया, चरखी ने जो लपेटा यादों को, शराब के साथ मिलकर उड़ गया !! शराब : पतंग ख़ुद में झाँक के देखा कभी? ख़ुद में झांक कर देखा कभी, अतीत का भी अतीत मर गया, चरखी ने जो लपेटा तेरी यादों को, शराब
Divya Joshi
वो रेत, और सूखे पत्ते रेत पर बनते बिगड़ते , कदमो के निशान , गवाह हैं गुजरते हैं रोज़ वहां से कुछ "इंसान" सभी साफ़ स्वच्छ वस्त्रों में लिपटे मलिन नहीं। "मलिन" तो बस "वो"एक ही घूमता है, हर रोज उन्ही वस्त्रों में वो "छोटू"… आगे की कविता कैप्शन में पढ़ें ©Divya Joshi वो रेत, और सूखे पत्ते रेत पर बनते बिगड़ते , कदमो के निशान , गवाह हैं गुजरते हैं रोज़ वहां से कुछ
Jodhraj Bairwa