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Ashok Verma "Hamdard"
चीर हरण की चिंता नहीं चीर वस्त्र है पहनें, निर्लज्जता फैली चहुंओर पड़ रहे है सहनें ।। ©Ashok Verma "Hamdard" निर्लज्जता
Dileep Bhope
कुणाच्या हातात कुणाची नाडी नागडे झाले तरी चल खेळू फुगडी ©Dileep Bhope #निर्लज्जता
भारद्वाज
प्रेम में शुद्धता होनी चाहिए, निर्जलता नहीं।। ©भारद्वाज #प्रेम में शुद्धता होनी चाहिए, निर्लज्जता नहीं।।
SK Singhania
" दहेज " लेना कोई आसान काम नहीं है, इसके लिए इंसान के अंदर निर्लज्जता , भिखारीपन , लालची ... जैसे गुणों का होना आवश्यक है #दहेजप्रथा ©SK Singhania #crimestory " दहेज " लेना कोई आसान काम नहीं है इसके लिए इंसान के अंदर निर्लज्जता , भिखारीपन , लालची ... जैसे गुणों का होना आवश्यक है
kavi Shobharam Patel
"बाहरी रूप और रंग देखकर किसी के मीठी-मीठी बातों पर विश्वास कर लेना एक सच्चे ईमानदार व्यक्ति की पहचान हैं, पर एक रूप-रंग लेकर मीठी-मीठी बातें करने वाला जो सामने वाला व्यक्ति को मुर्ख बना रहा हैं असल में वही महामुर्ख हैं क्योंकि एक मुर्ख इंसान ही निर्लज्जता से मुर्खों वाली बातें करता हैं " ✍🏻✍🏻Kvशोभाराम (राम) पटेल✍🏻✍🏻 ©कविShobharam (Ram) Patel *"बाहरी रूप और रंग देखकर किसी के मीठी-मीठी बातों पर विश्वास कर लेना एक सच्चे ईमानदार व्यक्ति की पहचान हैं, पर एक रूप-रंग लेकर मीठी-मीठी बाते
Naresh Chandra
गतांक से आगे कृपया अवलोकन अवश्य करें 🙏🙏🙏 ©Naresh Chandra केदारनाथ में लगभग पच्चीस हजार श्रद्धालु मर गये थे* तीन दिन चली इस भीषण तबाही में कांग्रेस की सरकार ने केदारनाथ में फंसे श्रद्धालु भक्तों की
Author kunal
मेरी चेतना लकवाग्रस्त हो चुकी है और किसी भी परिस्थिति के प्रत्युत्तर में देने के लिए मुझमें केवल बस मुस्कुराहट शेष बची रह गई है जो मुझे किसी ब्लैकहोल की तरह निगलती जा रही निगलती जा रही । अर्थात जिस मुस्कुराहट को कुछ लोग मेरी विशेषता बता रहे दरअसल वो बस मजबूरी में चुना गया मेरे अपघटन का एक क्रिया है।। पूरी कविता अनुशीर्षक में पढ़े । मुझे जहाँ व्यवहारिक होना था मैं वहाँ हँसता हुआ पाया गया । मुझे जहाँ रोना चाहिए , चिखना चिल्लाना चाहिए था मैं वहाँ हँसता हुआ पाया गया मुझे
Poonam Suyal
औरत का चरित्र (अनुशीर्षक में पढ़ें) औरत का चरित्र औरत होना है इक संघर्ष ख़ुद में, ख़ुद ही ख़ुद को पड़ता है संभालना हर कदम पर करना पड़ता है उसे, चुनौतियों का सामना औरत अगर
Nakhat Praween Zeba
बिहार के सितारें (पूरी रचना अनुशिर्षक में पढ़े) ©नकहत प्रवीण ज़ेबा आज इतनी आसानी से बड़े बड़े हिसाब कर जाते हो, किया जिसने अविष्कार शून्य का, वो "आर्यभट्ट थे बिहारी".. आज जो 73 वर्षों से आज़ादी की जश्न मनाते आय
The unspoken words