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Chandu Karale
sandy
'माणूसकी' रात्रीचे नउ वाजलेले पाहून जफर भाई ने आपल्या पोराला,आसीफला, हाक दिली. ‘ओ आसीफ.. चल गाडीयां अंदर लगा’. आसीफ मित्रासोबत गप्पा मारत
Ombir Kajal
उम्र क्या कहूं काफी नादान है मेरी.. सबसे हसकर मिलना पहचान है मेरी.. दिल टूटा हो आपका तो मिलिए मुझसे.. दिलों को रिपेयर करने की दुकान है मेरी.. 😍😍😍 Ombir kajal दिलों की रिपेयर
lalitha sai
कुछ वक़्त.... हर वक़्त मेरी पसंद अलग रही है जब गुस्सा आता है तब अकेला रहना पसंद बाहर का खाना को ना कहकर घर के सांभर, राइस खाना पसंद दी हुई पैसो में मेरे लि
#maxicandragon
मै घर से निकला था एक दोस्त के साथ, काम था , उसका इलाज के लिए जा रहे थे Nagpur, दोपहर के १२ बज चुके थे , हम हॉस्पिटल में आ गए थे , टेस्ट से पहले काउंटर पर दोस्त ने ३०० रु जमा किया क्योकि बिना फीस के कोई टेस्ट या वक़्त देता नहीं लगभग १घन्टे में टेस्ट करवाके हम वापस हो रहे थे शहर से बहार निकलकर जब हम ४०-५० किमी आ गए रास्ते में अनजान आदमी अपनी मोपेड से गिरा हुआ , घायल स्थिति में पड़ा था उसका हेलमेट मोबाइल कुछ पेपर वगैरह बिखरे पड़े थे हाथ पैर कांप रहे थे वो सब स्थिति देख हमने अपनी गाडी तुरंत रोकी और पूछा क्या कैसे कब ये हुआ उसने बताया , एक फोरव्हीलर कट मार गया मैं शादी में जा रहा था मेरे मन में घमंचा हुआ सोचा इससे पुछू हेल्प करने के कितना देगा देगा तो हेल्प करूँगा वरना नहीं कोई अहसान थोड़ी है क्यों गाली निकल रही है न? मन कर रहा होगा कितना कमीना है ये आदमी! पर नहीं हमने ये बिना सोचे उसकी मदद की उसकी गाडी रिपेयर कर, अलाइमेंट ठीक करके , सब बिखरा सामान उसको देकर मैने उसकी मोपेड चलाई और उस घायल व्यक्ति को दोस्त क साथ बैठाकर १०किमी पास पहली क्लिनिक तक छोड़ा और गाडी साइड लगाकर अंदर तक पहुंचाया उसने धन्यवाद् कहा और हम घर वापस आ गए दोस्त खुद एक एमआर है और मेडिकल एक सेवा न की बिज़नेस सत्य घटना #Sadharanmanushya ©#maxicandragon मै घर से निकला था एक दोस्त के साथ, काम था , उसका इलाज के लिए जा रहे थे Nagpur, दोपहर के १२ बज चुके थे , हम हॉस्पिटल में आ गए थे , टेस्ट से प
pooja yadav
प्यार में कभी कभी ऐसा भी होता है..... full story in caption u must read🙏✍️🖤💔💯 ©pooja yadav #Tuaurmain मेरे लिए इश्क़ करना औऱ उसे निभाना कोई बड़ी बात नहीं जो न निभा सकूँ तो फिर कह सकते हो कि मुझमे कोई बात नहीं पर इश्क़ बहुत आसान है मे
दिनेश उपाध्याय
दोस्तों नमस्कार जैसा की आप लोग जानते है आज की इस माहौल मे सबकी इनकम बंद है और नौकरी के अलावा हर किसी के पास इनकम का कोइ रास्
Dakshina Devi Gajurel
एउटा मौका उ संग माग्थे ================ आज धेरै दिन भयो आमा, देब्रे पाटो दुखेको काहाकता दुखछ बेसरी - थाहा छइन पोहोरसालपनि एस्तो भएको थियोे। तर........! यतिसारौ पारेन दुखेको वेदनाले किनकि तिमि थिएउँनित आमा वीरको वारेमा छरेको तोरि पहिलात मैले टिपेर ल्याएको अनि किटको कराइमा तिमिले गदगद पकाएको स्वाद अझै आलोनै छ आमा वीरेलेेे पिसाएर ल्याएको त्यही तोरीको तेलले चपचिल्लेइ मालिस गरि दिएकी थिएँउ जिउभरि अंगेनाको छेउमा बसेर तिम्रा न्यानो हातले। कतै केहि लागेको पो हो कि ? आतिदै कति धाएउ धामि र जोखाना अचम्म लाग्द थियो तिम्रो माया देखि घर धन्दा सवेइ सकि इष्ट मित्र सवेइलाइ राखि कसरि गरदथिए्उ आमा एकछिन पनि न थाकि शुकवारे गइ रकति र भूडि हपतेइ खुवाउथैउ परपरि भूटि पईसा त आमा निकै नि पाउथेउ जागिर आखिर तिमि पनि गरथेउ सुन लाउने रहर कहिलेइ पोखिन्उ जै गर्ने मन छ गरदेइ जाउ छौरि संस्कार अर्ति कतिधेरै गरि सुटुक्क आफू किन गएउँ एसरि कर्तव्य मेरो गर्नुपर्ने थियो छाति तिम्रो दुखत सुमसुम्याउने अधिकार खौत दिएउ? एक्लै कतेइ नजाने तिमी त्यो घरलाई छोडी कसरि गएउ.!!! देब्रे पाटो दुख्यो, आसुँने झरो सम्झना तिम्रो कति धेरै आयो निदाउन खोज्दा छटपट भयो तस्विर आमा तिम्रोने आयो एकान्तमा सिरानी भिज्यो तोरीको तेलत आजपनि आयो काखको तातो हातको। न्यानो कता विलायो याद जब आउछ तस्वीर तिम्रो छाउँछ मुगुको रोग भित्र पालेर कसरि हासेर आमा, कसरि बसेउ? कहिल्यै केहिनभएझै निरोगी वनेर बिहानीपख दाहिने छाति दुःखत बाडुली मलाइ लागेन खोइ किन आमा? आमा कि आमा मपनि हुन्थे दुखको छाति मायाले चुम्थे के भन्ने थिए एकैपल्ट सुन्थे तोरि होइन तिलतेल लगाई मालिस म गर्थे मुखले तिमी लाई म स्वास दिनथै काललाई सायद विन्तनै गरथै एउटा मौका उसंग माग्थे आमा लाई अहिले नलौइजा भन्थे आखिर इच्छा जाहिर गर्दै, सायद तिमिलाई मईले फर्काएर ल्याउँथे दुखको पाटोमा तिम्रो स्पर्श पाउँथे सूपचौसुर हालि पकाएको पुबा तिम्रो हातले म आज खान्थे टाउको तिम्रो काखमा राखि ढुक्कले म कति निधाँउथे चोरि अम्लो समाति जाँ गएपनि संगेइ जान्थे, अरूले आरिस गर्ने गरि मैले माया कतिधेरै पाउथे एउटा मौका उ संग माग्थे । 2 दक्षिणा देवी गजुरेल, ठेलामारा । तेजपुर (असम) ====================== एउटा मौका उ संग माग्थे ================ आज धेरै दिन भयो आमा, देब्रे पाटो दुखेको काहाकता दुखछ बेसरी - थाहा छइन पोहोरसालपनि एस्तो भएको थियोे।