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Himmat Singh
काश वो भी होती मेरी तरह ही बेसमझ इश्क़ में उसके समझदार होने की वजह से तो मैंने सजा पाई रे। हिम्मत सिंह writing# thinking #Punjabi poetry #Hindi poetry# Urdu poetry# काश वो भी होती मेरी तरह ही बेसमझ इश्क़ में उसके समझदार होने की वजह से तो मैंन
Himmat Singh
हूं तो मैं आशिक़ ही पर कुछ और बेहतरीन मुझे नाम तो दीजिए। अदब की शोहरत मेरी समझ से बाहर है बेसमझी का कोई मुझे काम तो दीजिए। हिम्मत सिंह writing #thinking# Punjabi poetry# Hindi poetry# Urdu poetry# हूं तो मैं आशिक़ ही पर कुछ और बेहतरीन नाम तो दीजिए। अदब की शोहरत मेरी समझ से
Sarbjit sangrurvi
बेसमझ, शरारती जान बुझ कर, सिखों का मज़ाक उड़ाते। ख़ुश होते हैं ऐसी बातें कर, उन्हें बहुत सताते, तड़पाते हैं। मुर्ख, अनजान इतिहास से, ताली पे ताली ठोकते हैं। कुछ लोग मिल जाते साथ इनके, ना इनको कभी रोकते, कोसते हैं। ©Sarbjit sangrurvi बेसमझ, शरारती जान बुझ कर, सिखों का मज़ाक उड़ाते। ख़ुश होते हैं ऐसी बातें कर, उन्हें बहुत सताते, तड़पाते हैं। मुर्ख, अनजान इतिहास से, ताली प
Arsh Deep(੧੩ਸਾਇਰ)
अब बी पास लगते है दूर रहने वाले।। बेसमज होते देखे है आशिक़ खुद को समजदार कहने वाले।। १३ शायर दीप बेसमज
Vishal Vaid
मौसम सब बदल गए है शहर के एक तेरे जाने के बाद शहर भी अब लगता है सूना जो था कभी तुझ से आबाद इश्क नही बरसता है अब सावन में नहीँ उगती तेरी चाहत अब आंगन में न वो ठिठुरती सर्दी है,न पहले सा घना कोहरा है, न तेरी काफ़ी का जायका, न तेरा अक्स सुनहरा है न वो तपिश अलाव की, न वो तेरे हाथो की गर्मी, न वो उगते सूरज की लाली,न तेरे चेहरे की नरमी उतर सा गया है रंग तुम्हारे बुने मफलर का मैयार कम हो गया ,स्लेटी गहरे समुन्दर का बहार अब आती नही दरख्त भी बेसमर हो गए है जो ताबीज़ दिए थे मौलवी ने सारे बेअसर हो गए है वो तुम्हारी पहली चिट्ठी का धुंधला पड़ गया है मतला सारा, जो पहले लगता था पानी मीठा अब लगता है बिल्कुल खारा । एक तुम्हारे जाने से देखो सब बेतरतीब हो गया है। जो था नसीब वाला कल तक ,अब बदनसीब हो गया है। #मौसम #जुदाई मेयर = स्टैंडर्ड ,लेवल बेसमर। fruitless
Vishal Vaid
तेरे बिना बहार अब आती नही दरख्त भी बेसमर हो गए है जो ताबीज़ दिए थे मौलवी ने सारे बेअसर हो गए है बेसमर = fruitless #तेरेबिन #तेरेबिना #ताबीज़ #उदासी #उर्दूशायरी #yqdidi #yqbaba #yqquotes
Arsh
इस रचना को आप कैप्शन में पढ़ सकते हैं। 111R डैडी क्यों मेरी लाड़ो, पापा से छादी क्यों नहीं कलनी? मुदे नई पता, आप बहोत दंदे हो पापा, पिथली बाल तहा था तौफी लेने दा लहा हूँ, इत्ते दि