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Anuj Singh

हरिद्वार में 315 विवेकी एग्रीकल्चर लैंड प्राइस ₹2500000 #न्यूज़

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Mohmad Tanveer

संग संग

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संग संग चलना अधूरा रह गया इंतज़ार की आरज़ू अब खो गयी है,
खामोशियो की आदत हो गयी है,
न सीकवा रहा न शिकायत किसी से,
अगर है तो एक मोहब्बत,
जो इन तन्हाइयों से हो गई है..! संग संग

Navdeep Rawat पार्थ

जो लिखी थी गज़ल आधी
अब पूरी हो गयी है
साथ रहना भी जैसे 
अब दूरी हो गयी है

वो सपनों का मकान
अरमानों का महल
हकीकत में ढह गया
संग-संग चलना अधूरा रह गया

©Navdeep Rawat पार्थ #संग #संग

Nirankar Trivedi

तेरी यादों को भी संग लाया हू #

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इस जिंदगी के कारोबार में, कुछ दूर निकल आया हूँ |
मुझे आदत नहीं है भूलने की, तेरी यादों को भी संग लाया हू | तेरी यादों को भी संग लाया हू #

Ramvinay Prajapati

मेरे संग संग

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Raja Ajay JI

तेरे संग संग

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अगर तू चाहती है कि मैं तेरा पीछा ना करूं.....
तो प्लीज तू मेरे आगे आगे चल.....
R☆AJAY तेरे संग संग

DR. LAVKESH GANDHI

संग # संग संग चलते रहेंगे # yqhamsafaryqsang#

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हे प्रभु ! ईश्वर मेरी भी सुन ले... 
साथ चलें हैं अब तक साथ ही चलाते रहना 
प्रभु हमारी भी जोड़ी सदा ऐसी बनाये रखना 
    

 #संग #
#संग संग चलते रहेंगे #
#yqhamsafar#yqsang#

dil ke alfaaz

संग संग चल ना

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संग संग चलना अधूरा रह गया संग संग चलना अधूरा रह गया,
 जीवन का वह सफर पूरा ही रह गया,
 कारवां यू ही गुजरता रहा,
 अकेला था अकेला ही रह गया,
 क्या बताऊं मैं तुमसे बिछड़ कर,
 तन्हा था तन्हा ही रह गया,
 सारे रिश्ते टूटे मेरे प्यार के आकाश,
 आंखों में बस अंधेरा ही रह गया,
 चाहत थी जीवन साथी बनाने की तुम को
वह सपना अपना था सपना ही रह गया। संग संग चल ना

TAHIR CHAUHAN

#तेरे संग संग चलना

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संग संग चलना अधूरा रह गया मेरा ख्वाब था। 
तेरे संग जीने का।
जो रेत की तरह ।
समय की धारा में बह गया।
दो पल मिल कर दूर हो गए हम।
तेरे संग संग चलना अधूरा रह गया।
ताहिर।।। #तेरे संग संग चलना

Ramanuj Tiwari

यादों के संग-संग

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पुरानी बहुत बात है
कहानी की दिल से शुरुआत है।।

देखी थी मैंने एक तस्वीर
चांद सी दिखती थी तारों की जागीर।।

गज़ गामिन सी चाल थी
ओठ गुलाबी सी लाल थी।।

केशवों के भी अपने अंदाज़ थे
दरिया की लहरों से आगाज़ थे।।

पतली कमर बड़ी लचकदार थी
गोया सावन झूले की पेंग हर बार थी।।

वज़न जवानी का था बढ़ रहा
सूंदर काया का रंग था चढ़ रहा।।

कौमार्यता की खुमारी थी छायी
मानो घटाओं ने सूरज को है छुपायी।।

तन - बदन था महक रहा
जिसे पाने को दिल था तरस रहा।।

संदेह एक ही दिल में समायी थी
चाँद धरा पे कैसे उतर आयी थी।।

सफर जिंदगानी का यूं ही कटता नहीं
हमसफर हो कोई, असर पड़ता नहीं।।

नज़रे टिक गयी थी सूरत में
जो बदल रही थी प्यारी मूरत में।।

प्यार पटरी पर थी आ गयी
सूरत दिल में थी समा गयी।।

दिन में रूप का नज़ारा था
रात में ख्वाबों का सहारा था।।

मोहब्बत -ए-जिंदगी थी चलने लगी
उनकी यादों में थी शाम ढलने लगी।।

तभी वहां ज़हर भरी गाज़ एक आ गिरी
टूट गये सपने सभी तार-तार हुयी जिंदगी।।

महकती थी कलियां जिसके प्यार में
सूख गयी धरती, पानी के अभाव में।।

चाहा था मैंने जिसको टूट के
अब टूट जाऊंगा उनसे रूठ के।।

हर वक्त सताये ये गम
क्यूं टूट के चाहे थे हम।।

इन होंठों पे न मुस्कान आएगी 
दवा न ही कोई दुवा काम आएगी।।

जो मचल उठती थीं नदियां बारिश के फुहार में
सूख गयीं है अब उनकी इन्तज़ार में।।

दिल को तड़पाती है असफल प्यार की तीखी चुभन
चांदनी में कैसे निहारते थे चाँद तारों का गगन।। यादों के संग-संग
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