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Ek villain
पशु शब्द तो मनुष्य पशुओं के सर्वाधिक निकट का प्राणी है कहा भी गया है कि साहित्य संगीत कला से वहीं व्यक्ति पशु के समान है इसी तरह नारी शब्द का शरीर की नस नाड़ियों से समझना चाहिए ब्रह्म मुहूर्त में जागने का आशय यही है आलस्य को दूर करना इसलिए रामचरितमानस की चौपाई की गहराई में जाने की जरूरत है शिव की जटा से निकली गंगा और तुलसीदास के मानस से निकली रामचरितमानस रूपी गंगा को समुंदर मानकर जीवन जीने पर हर प्रकार के नकारात्मक रावण के वध के लिए सेतु बनाया जाएगा ©Ek villain #CoupleGoals रामचरितमानस की इस चौपाई की गहराई में जाने की जरूरत है
Mantra Mahima Neeraj Shukla
Rimpi chaube
Mujhe toh taraz aata hai inpar aur in jaisoon par सपा नेता मौर्य:-मानस की कुछ चौपाइयों स्त्री विरोधी हैं, इसलिए इन चौपाइयों को हटा दिया जाए! मैं:- . ©Rimpi chaube #रामचरितमानस
Kaushal Kumar
तुलसीदास जी 15वीं शताब्दी में थे। यानी आज से करीब 700 वर्ष पूर्व। तुलसीदास जी ने रामचरितमानस लिखा। इन बीते हुए 700 वर्षों में। न जाने कितने विद्वान, आलोचक, प्रशंसक पैदा हुए। परंतु किसी ने भी रामचरितमानस वैसे नही पढ़ा। जैसे कि आज के राजनीतिज्ञ इसे पढ़ रहे हैं। ऐसा इसलिए है। क्यों कि आज के राजनीतिज्ञ, पढ़ते बहुत हैं। और सब इसे खूब पढ़ रहे हैं। ......कौशल तिवारी . . . ©Kaushal Kumar #रामचरितमानस
Kaushal Kumar
तुलसीदास जी 15वीं शताब्दी में थे। यानी आज से करीब 450 वर्ष पूर्व। तुलसीदास जी ने रामचरितमानस लिखा। इन बीते हुए 450 वर्षों में। न जाने कितने विद्वान, आलोचक, प्रशंसक पैदा हुए। परंतु किसी ने भी रामचरितमानस वैसे नही पढ़ा। जैसे कि आज के राजनीतिज्ञ इसे पढ़ रहे हैं। ऐसा इसलिए है। क्यों कि आज के राजनीतिज्ञ, पढ़ते बहुत हैं। सब इसे खूब पढ़ रहे हैं। ...........कौशल तिवारी . . . ©Kaushal Kumar #रामचरितमानस
Kaushal Kumar
तुलसीदास जी 15वीं शताब्दी में थे। यानी आज से करीब 450 वर्ष पूर्व। तुलसीदास जी ने रामचरितमानस लिखा। इन बीते हुए 450 वर्षों में। न जाने कितने विद्वान, आलोचक, प्रशंसक पैदा हुए। परंतु किसी ने भी रामचरितमानस वैसे नही पढ़ा। जैसे कि आज के राजनीतिज्ञ इसे पढ़ रहे हैं। ऐसा इसलिए है। क्यों कि आज के राजनीतिज्ञ, पढ़ते बहुत हैं। सब इसे खूब पढ़ रहे हैं। ...........कौशल तिवारी . . . ©Kaushal Kumar #रामचरितमानस