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Short And Sweet Blog

 #भीड़भाड़

Dinesh Singh

जिंदगी के भीड़भाड़ से दूर कहीं #सस्पेंस

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Rajni kant dixit

इस भीड़भाड़ वाली दुनिया से मेरा गांव ही अच्छा है

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भीड़भाड़ वाली दुनिया से मेरा गांव ही अच्छा है
वो कच्ची गलियां मकान इस दुनिया से अच्छा है
लोग अपनों को समझते नहीं हमें कौन समझेगा
इस ना समझ दुनिया से मेरा गांव ही अच्छा है
                         
                   rajnikantdixit इस भीड़भाड़ वाली दुनिया से मेरा गांव ही अच्छा है

Mahesh Dubey

शहर की भीड़भाड़ से बाहर आ जा कभी गांव भी घुमा आ #village #लव

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Aghori amli

भीड़भाड़ में फंसे इस मस्तिष्क का इलाज एक चुस्की की चाय की, शीत लहर को काबू करती एक चुस्की चाय की, नुक्कड़ पर हमदर्द हमारी एक चुस्की चाय की, #Poetry #Tea #amliphilosphy

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भीड़भाड़ में फंसे इस मस्तिष्क का इलाज एक चुस्की की चाय की, शीत लहर को काबू करती एक चुस्की चाय की, नुक्कड़ पर हमदर्द हमारी एक चुस्की चाय की,

Ravendra

भीड़भाड़ वाले इलाके में पुलिस ने किया गस्त। बहराइच जनपद के रुपईडीहा थाना क्षेत्र अंतर्गत बाबागंज पुलिस चौकी इंचार्ज राम गोविंद वर्मा के नेतृ #न्यूज़

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राजा पत्रकार

#आपस में मिलजुल कर शांतिपूर्वक मनाएं त्यौहार -अपर #पुलिस #अधीक्षक संजय राय अम्बेडकरनगर।अपर पुलिस अधीक्षक संजय राय द्वारा शांति, सुरक्ष #न्यूज़

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Sunil itawadiya

कैप्शन 👉दो बुजुर्ग रास्ते से जा रहे थे एक ने कहा यार पीछे से कुछ आवाज आई क्या अगले ने कहा नहीं पहले वाले ने पीछे मुड़कर देखा तो किसी की जेब

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यही फर्क है धन में और मन में🙏🏼
एक बात पूरा कैप्शन जरूर पढ़ें
 🍫🍫💐🙏🏼👍 कैप्शन 👉दो बुजुर्ग रास्ते से जा रहे थे एक ने कहा यार पीछे से कुछ आवाज आई क्या अगले ने कहा नहीं पहले वाले ने पीछे मुड़कर देखा तो किसी की जेब

Drg

ज़माने में वो चंद लोग मिलें थे मुझे, समझने लगे थे वो मेरी चुप्पी को सहम के बैठी रहती थी, घर के किसी कमरे मे कभी, आज उन्हीं की बदौलत, मैं #yqbaba #yqdidi #विडंबना

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कभी रो देती, कभी हंसने लगती, विडंबना भरे हालातों पर, 
जिसे दुनिया समझा, वही दुनियादारी का पाठ पढ़ाने बैठ गया

(Read in caption) ज़माने में वो चंद लोग मिलें थे मुझे, 
समझने लगे थे वो मेरी चुप्पी को

सहम के बैठी रहती थी, घर के किसी कमरे मे कभी, 
आज उन्हीं की बदौलत, मैं

Shree

तुम वहीं ठहरे हो अकेले, तो मैं भी यहां अकेले, तुम बिन कुछ नहीं मैं, तुम से लगे हर एक पल मेले, हाथ मटमैले हैं, जो मैंने तुम्हारे हाथ को थाम

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तुम वहीं ठहरे हो अकेले, तो मैं भी यहां अकेले,
तुम बिन कुछ नहीं मैं, तुम से लगे हर एक पल मेले,
हाथ मटमैले हैं, जो मैंने तुम्हारे हाथ को थाम ना रोका,
जो थामते तो रास्ते कैसे आगे के लिए तय होता,
मेरे दरों-दीवार सूने से, यहां बस्ती भीड़भाड़ में सूनी,
तुम बिन कुछ नहीं, तुम अकेले तो धड़कनें यहां सूनी,

क्या चाहिए मुझे, बोलो क्या मांगते रहते हैं हमेशा तुमसे हम,
कुछ याद हो तो बता दो... पूछा हो जो साथ से ज्यादा कुछ!
बहुत वादें, इरादें वाले देखें, वक्त और लोग बदलते देखा,
तुमसा नहीं देखा, तुम बिन कुछ नहीं, तुम बिन कहां कुछ!
चाहत नहीं है कुछ, समझ नहीं है कुछ, बस ख़्वाब हैं थोड़े,
नींद में सहेजें, डर में नींद से ही दूर, कहीं उन्हें भी ना खो दें! तुम वहीं ठहरे हो अकेले, तो मैं भी यहां अकेले,
तुम बिन कुछ नहीं मैं, तुम से लगे हर एक पल मेले,

हाथ मटमैले हैं, जो मैंने तुम्हारे हाथ को थाम
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