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Rajni kant dixit
भीड़भाड़ वाली दुनिया से मेरा गांव ही अच्छा है वो कच्ची गलियां मकान इस दुनिया से अच्छा है लोग अपनों को समझते नहीं हमें कौन समझेगा इस ना समझ दुनिया से मेरा गांव ही अच्छा है rajnikantdixit इस भीड़भाड़ वाली दुनिया से मेरा गांव ही अच्छा है
Aghori amli
Ravendra
राजा पत्रकार
आपस में मिलजुल कर शांतिपूर्वक मनाएं त्यौहार -अपर पुलिस अधीक्षक संजय राय अम्बेडकरनगर।अपर पुलिस अधीक्षक संजय राय द्वारा शांति, सुरक्षा व कानून व्यवस्था के मद्देनजर रखते हुए पर्याप्त पुलिस बल के साथ थाना को0 अकबरपुर के क्षेत्र ग्राम लोरपुर ताजन में पैदल गस्त किया तथा लोगों से मिलकर कहा की शांतिपूर्वक मनाएं त्यौहार। अफवाहों पर ध्यान न देने की अपील की तथा भीड़भाड़ वाले स्थानों में भ्रमण करते हुए वहाँ पर मौजूद स्थानीय लोगों,व दुकानदारों सुरक्षा का एहसास भी कराया गया। ©राजा पत्रकार #आपस में मिलजुल कर शांतिपूर्वक मनाएं त्यौहार -अपर #पुलिस #अधीक्षक संजय राय अम्बेडकरनगर।अपर पुलिस अधीक्षक संजय राय द्वारा शांति, सुरक्ष
Sunil itawadiya
यही फर्क है धन में और मन में🙏🏼 एक बात पूरा कैप्शन जरूर पढ़ें 🍫🍫💐🙏🏼👍 कैप्शन 👉दो बुजुर्ग रास्ते से जा रहे थे एक ने कहा यार पीछे से कुछ आवाज आई क्या अगले ने कहा नहीं पहले वाले ने पीछे मुड़कर देखा तो किसी की जेब
Drg
कभी रो देती, कभी हंसने लगती, विडंबना भरे हालातों पर, जिसे दुनिया समझा, वही दुनियादारी का पाठ पढ़ाने बैठ गया (Read in caption) ज़माने में वो चंद लोग मिलें थे मुझे, समझने लगे थे वो मेरी चुप्पी को सहम के बैठी रहती थी, घर के किसी कमरे मे कभी, आज उन्हीं की बदौलत, मैं
Shree
तुम वहीं ठहरे हो अकेले, तो मैं भी यहां अकेले, तुम बिन कुछ नहीं मैं, तुम से लगे हर एक पल मेले, हाथ मटमैले हैं, जो मैंने तुम्हारे हाथ को थाम ना रोका, जो थामते तो रास्ते कैसे आगे के लिए तय होता, मेरे दरों-दीवार सूने से, यहां बस्ती भीड़भाड़ में सूनी, तुम बिन कुछ नहीं, तुम अकेले तो धड़कनें यहां सूनी, क्या चाहिए मुझे, बोलो क्या मांगते रहते हैं हमेशा तुमसे हम, कुछ याद हो तो बता दो... पूछा हो जो साथ से ज्यादा कुछ! बहुत वादें, इरादें वाले देखें, वक्त और लोग बदलते देखा, तुमसा नहीं देखा, तुम बिन कुछ नहीं, तुम बिन कहां कुछ! चाहत नहीं है कुछ, समझ नहीं है कुछ, बस ख़्वाब हैं थोड़े, नींद में सहेजें, डर में नींद से ही दूर, कहीं उन्हें भी ना खो दें! तुम वहीं ठहरे हो अकेले, तो मैं भी यहां अकेले, तुम बिन कुछ नहीं मैं, तुम से लगे हर एक पल मेले, हाथ मटमैले हैं, जो मैंने तुम्हारे हाथ को थाम