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अदनासा-
उन्हें देखने की आशा है जिन्हें मैंने नही देखा जिन्होंने मज़हब को तलाशा और तराशा था लेकिन मज़हब का तमाशा बनते देख रहा हूं और देखा है इंसानी हताशा में झूठी दिलासा ©अदनासा- #हिंदी #मज़हब #इंसानियत #हताशा #तलाशा #तराशा #तमाशा #Instagram #Facebook #अदनासा
BANDHETIYA OFFICIAL
तमाशा जिंदगी का जो, कहां वो तमाशबीन है ? तमाशाई फिर आप है, सामयीन,नाजरीन है। खड़ा पल-पल हो तमाशा, बढ़े मंजर बेतहाशा, मिटे फिर पलक झपकते ही, कहां तक,कबतक हसीन है। बुरा है, कहना बुरा भी, नजर ले खुद से चुरा भी, इसी को तो जिये हो जहीं, वरना क्या कि तू जहीन है ! ©BANDHETIYA OFFICIAL तमाशा,तमाशाई, तमाशबीन ! #VantinesDay
Hasanand Chhatwani
वो खुशियो का तमाशा था । जब तुझको , मैने तराशा था । वो खुशियो का तमाशा था । जब तुझको मैने तराशा था ।
अदनासा-
काफ़ी दिनों मैंने उसे तलाशा जिन्हें मेरे प्यार ने तराशा था अब वो याद आते रहे हमेशा जैसे तक़दीर का तमाशा था ©अदनासा- #हिंदी #तलाश #हमेशा #तमाशा #तराशा #प्यार #Instagram #Pinterest #Facebook #अदनासा
Ek villain
लोकनाट्य नौटंकी शब्द सुनते ही सबके मन में अपने अपने अनुभव के आधार पर कुछ अभी अंकित हो जाती हैं कभी ढोल नगाड़े के साथ मंच पर हो रही प्रस्तुति तो कभी बांसुरी की धुन के साथ यूं ही कुछ लोगों की भीड़ के बीच अपनी कला का प्रदर्शन करते लोगों की टोली नौटंकी कला को संगीत भी कहा जाता है जो कई रूपों में हमारे समाज का हिस्सा बन चुकी है मनुष्य अन्य सभी प्राणियों से अलग इसलिए है क्योंकि उसके अंदर भाव है और वह मनोरंजन चाहता है समय के साथ जैसे-जैसे मनोरंजन के साधन बढ़ते गए नौटंकी का प्रसार कम होता गया डॉ वीरेंद्र कुमार चंद्र सखी ने अपनी पुस्तक संगीत के विवाद आया में एक नौटंकी के विवाद रूपों को दर्शाया है अपने साधनों में इसकी अलग-अलग रूपों कोहबर गीत किया है इसमें संगीत की ऐतिहासिक को विश संप्राण स्थापित किया गया इसके अभाव और विकास क्रम को समझने में यह पुस्तक विशेष रूप से सहायक हो सकती है नौटंकी का नाट्यशास्त्र विवेचन इस पुस्तक की सबसे बड़ी सुदन सुदन सुदन स्वतंत्रता ऐसे लिखे पुस्तक क्योंकि जिस तरह से नौटंकी समाज को प्रतिनिधित्व करती है उसी तुलना में इसे इतना सम्मान नहीं मिला अभी जाता यह वर्ग में इस है रे दृष्टि से देखा बहुत विचारक इसे साहित्य की श्रेणी में रखने से कोई भी कर रहे हैं लेखक ने नौटंकी के काव्य सौष्ठव योजना और इसे देखने वाले सामाजिक प्रतिबिंब तक सभी व्यक्तियों को विस्तार से अपनी पुस्तक में समेटने का प्रयास किया ©Ek villain #लोकनाट्य की कला से परिचय #Love
Ankit Kumar
इक तमाशा ही तो अब बन गई है ये जिंदगी किसी के होने या ना होने से अब कोई फर्क नहीं पड़ता #तमाशा
Gaurav Baraniya
मदारी खुद है,खिलाड़ी खुद है,कहते हैं हमें तुमने तमाशा बना दिया । मासूम बनकर दिल से खेलना बखूबी आता है उन्हें ....... कहते हैं......कहतें है प्रेम का तुमने क्या सिला दिया ।। खुद जा डुबे है सागर में ।।। आवाज लगा के हमे भी प्रेम सागर में डुबा दिया ।।। वो ढुढ़ते है सागर में सीप और मोती ।।। मिट्टी में पडे हीरे को गवा दिया।। तमाशा