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Söuvick Mukherjee
किसी ने एक दिन उस पेड़ से कहा- तू इन पर्वतों को देखकर सीख ले। किसी भी परिस्थिति में वह झुकते नहीं है जबकि एक हवा का झोंका भी तुझे झुका देता है। यह सुन पेड़ ने मुस्कुरा कर कहा मैं पर्वत सा बेजान नहीं जो एक जैसा रहूंगा। मुझ में जान है इसीलिए झुकने की क्षमता है। तू इसे मेरी कमजोरी ना समझ। हवा के झोंकों से मैं झुकता जरूर हूं पर टूटता नहीं। ©Söuvick Mukherjee पेड़ - एक कविता #hindi_poetry
Sunil Kumar Maurya Bekhud
खड़े हैं पंक्तिबध्द हो प्रक्रिति के अनुशासन में एकाग्रचित मुद्रा है ऐसी हैं किसी योगासन में कर रहे कोई तपस्या ध्यान में यूँ लीन हैं सिर के ऊपर नृत्य करती उड़ रही शाहीन है विचारते हैं मृग अनेको पशु पक्षी भी आंगन में इन्द्र ने भेजा पवन को और भेजा अग्नि को तोड़ दो इनकी तपस्या डाल कर हर विघ्न को मेघ का गर्जन हुआ बिजली गिरी है दामन में पर कभी ना वो डिगें हैं भूलकर भी लक्ष्य से जगत का कल्याण हो उद्देश्य उनके यज्ञ के हो किसी का अहित यह सोचा कभी ना जीवन में ©Sunil Kumar Maurya Bekhud #पेड़ #कविता #हिन्दी #सुनील कुमार मौर्य बेखुद
Rkm
पतझड़ हुए बिना पेड़ पर नए पत्ते नहीं आते ठीक उसी तरह परेशानी और कठिनाई सहे बिना इंसान के अच्छे दिन नहीं आते । ━━━━✧❂✧━━━━ ©Rkm #पतझड़ हुए बिना पेड़ पर
Arun Yadav
मैं हूँ पेड़ मुझे मत काटो टुकड़ों टुकड़ों में मुझे मत बाँटो दद्र मुझे भी होता है ••• मन मेरा भी रोता है / ©Arun Yadav #बहुत अछ्छा कविता है मैं पेड़ हूँ #Arun_Yadav
prachi dixit
भटकता रहेगा तू मुसाफिर की तरह यहाँ बस विरान सा हो जाऐगा धीरे -धीरे सारा जहाँ। # पेड़ लगाओ पेड़ बचाओ