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Vijay Kumar उपनाम-"साखी"
वार्षिकोत्सव की आई पावन वेला गाओ रे सब गीत सुंदर अलबेला खुशियों का लगा देखो आज मेला सबके मन को भा रहा ये अम्ब्रेला बच्चों की मनभावन प्रस्तुतियां, सबका ही हर्षा रही आज जियां, वार्षिकोत्सव से हमे आज मिला, खुशियों का एक अनमोल थैला, सब लोगो के चेहरे आज खिले है भामाशाहों से स्कूल भी खिले है मिले कहीं संसाधन स्कूल को, साथ प्रतिभाओं को ईनाम मिले है सबके चेहरे आज के प्रोग्राम में, वार्षिकोत्सव से बड़े घुलमिलें है वार्षिकोत्सव से पुराने चेहरे भी, देखने को बड़ी मात्रा में मिले है वार्षिकोत्सव की आई पावन वेला सबके लिये लाई खुशियों का मेला अगले वर्ष फिर मिलेंगे,समापन के ये शब्द सुनकर सबका मन हिला है, पर इससे यह संदेश जरूर मिला है, सरकारी स्कूलें संस्कारों की विला है लोगो की ये गलत सोच है,साखी, प्राइवेट स्कूल से,सरकारी पिछड़ा है एकबार हमारे स्कूल तो आकर देखे, ये कौनसा सितारों से कम जिला है दिल से विजय वार्षिकोत्सव