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KP EDUCATION HD
KP NEWS for the same for me to get the same ©कंवरपाल प्रजापति टेलर आवेदन पत्र को सबमिट करने की अंतिम तिथि 22 सितंबर है। इच्छुक और योग्य उम्मीदवार आने वाली 23 अगस्त से आधिकारिक वेबसाइट - rpsc.rajasthan.gov.in
पत्रकार रमेश सोनी Soni
Manoj dev
कभी न खत्म होने वाला तिलिस्म है आरक्षण मेरी कलम से---- आरक्षण दिवस पर विशेष----- हमारे संविधान निर्माताओं ने संविधान में आरक्षण का प्रावधान इसलिए रखा की सदियों से शोषित एवं पीड़ित
skumar
अगले जनम का तो पता नहीं, पर इस जनम में तुम्हे भूलना चाहते है ।। 😊 ©skumar पिछला जनम , भूलना , बिछड़ना
Himanshoo Khosla
फासलें ऐसे भी होंगे, सोचा ना था, सामने बैठा था मेरे, पर वो, मेरा न था! ©Himanshoo Khosla #relations #relationship #breakup #बिछड़ा #बिछड़ना #दोस्ती #love #differences Gurvansh Singh Gattu Baba पुष्प" Tulsi
lines
कभी, कभी ये मुझे हसाये ... कभी, कभी ये रुलाए .... फकत मेरे दिल से उतर जायेगा बिछड़ना मुबारक, बिछड़ जायेगा ..... 💔 ©Aliz bhadauria✔︎ बिछड़ना मुबारक , बिछड़ जायेगा। #Love #Broken #Heart #Moon
गीता गुप्ता 'मन'
वर्ष छंद वर्णिक छंद-9 वर्ण मात्राभार-222221121 #छंदज्ञान #मन_इक_एहसास
Subodh Kumar
मध्यमवर्गीय लड़कियाँ हमारे यहाँ लड़कियाँ , प्रेम कहाँ करती है? वो कर बैठती है गुनाह। एक ऐसा गुनाह जो हर चलते-फिरते,उठते-बैठते को, धंस जाता है बनके फांस, चुभता-खटकता है आंखों में, बन कांच की किरकिरी। आस-पड़ौस,गली-मोहल्ले, रिश्तेदारी की ब्रेकिंग न्यूज़। चिपका आतीं है अपने कान, उनके घर की दीवारों पर, आस पास की महिलाएं । हरेक घर,बन जाता है कोर्ट, और हर घर का प्रत्येक सदस्य, बन बैठता है कुशल वकील। हर रोज, परोसे जाते है, खाने के टेबल पर अचार के , साथ साथ, उन लड़कियों के, चटपटे कहानी किस्से। रोज होती है सबके घर, "डिनर पे चर्चा" उनकी। उन लड़कियों के घर का प्रत्येक सदस्य, किया जाता है खड़ा बारी बारी , से कटघरे में। लगाए जाते है तमाम संगीन इल्जाम उन पर तथाकथित वकीलों द्वारा, साबित किए जाते हैं कारक, लालनपालन में खोट, अत्यधिक छूट का परिणाम, पैतृक कुसंस्कार। उधेड़ा और खंगाला जाता है, इन कुशल वकीलों द्वारा, लड़की के घर का, संदेहास्पद इतिहास । गुजरते है उनके अभिवावक गली-कूचों से नजरें झुकाये-चुराए कि जैसे हों कोई चोर,मुजरिम। मारता है छोटा-बड़ा हर कोई, पत्थर,व्यंग और तानों के, खींच खींच के,कि हों जैसे, पत्थरबाज कश्मीर के। ठीक सेना कि भांति, बच-बच निकलते है ऐसी , लड़कियों के अन्य भाई-बहन। करीबी रिश्तेदार बन जाते है जज और सुना डालते है तालिबानी फरमान कि"होती गर जो उनकी बेटी तो घोंट देते गला ,अपने इन हाथों से।" इसलिये तो ज्यादार लड़कियाँ हार , कर लेती हैं स्वीकार, अपना अपराध , और करती है प्रायश्चित। झोंक देती हैं अपनी शिक्षा, ज्ञान,विज्ञान,कैरियर, थोपे गए अपराध बोध को, मिथ्या आदर्शवाद के चूल्हे में। लगा अपना भविष्य दाव पर, कर लेती है ब्याह,अनजाने, अनदेखे,बिना जांचे, योग्यता युवक की। खेल जाती है जुआ खुद ही खुद, के साथ समाज के इस ढोंगी चौसर पर। साबित करती है खरा खुद को, समाज की कसौटी पर, कहलाने के लिये आदर्श संस्कारी पुत्री । सचमुच लड़कियां हमारे, यहाँ प्रेम कहाँ करती है , वो करती हैं गुनाह। मध्यम वर्ग