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R} Pandhare

मेरी चौथी कविता 
} हातोकि लकिरे {

मेरी चौथी कविता } हातोकि लकिरे { #nojotovideo

42 Views

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स्त्री 
मैं एक 
बेटी एक नारी 
सभी किरदारों का समावेश 
हूँ मैं,हिदायतें मिलती है बहुत 
मुझे बेशुमार हद में रहना बखूबी जानती 
हूँ मैं,जगत-जाग्रत संदेश समाज में "सम्मान 
नारी को मिलता है समान"जानती हूँ मैं भरपूर 
कितना मिलता सम्मान जीती जागती कठपुतली हूँ मैं,
 चौथी रचना 
स्त्री 
त्रिभुजाकार कविता

#जन्मदिनकोराकाग़ज़ #KKजन्मदिनमहाप्रतियोगिता #KKजन्मदिन #KKजन्मदिन_4 #KKHBD2022 #collabwithकोराकाग़ज़ #
ae8f07a280fbe81e0679388ff6dbbacf

अमित शर्मा

कॉलेज_की_यादें..चौथी किश्त

कॉलेज_की_यादें..चौथी किश्त

2.49 Lac Views

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Ajay Kumar

माननीय प्रधानमंत्री जी के विचार व्यवहार पर कविता नंबर चौथा।

माननीय प्रधानमंत्री जी के विचार व्यवहार पर कविता नंबर चौथा।

50 Views

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unknown writer

"सूरज"

सूरज करता सर पर चम चम सबसे नजदीक सितारा है
सारी दुनिया पीछे रह जाती, इसका साया निराला है
भोर भोर मेरे पास ये आके, सबसे पहले गले लगाता है
अपने गरम गरम बाजुओं से, झकझोर मुझे उठाता है
यह साथी सिर्फ मेरा ही नहीं, सारी दुनिया में बोलबाला है
 सभी जीव जंतु दोस्त हैं इसके, पेड़ पौधों का भी रखवाला है

©Ashvam "सूरज" कविता की यह चोथी पंक्ति आपके समक्ष प्रस्तुत है

"सूरज" कविता की यह चोथी पंक्ति आपके समक्ष प्रस्तुत है #ज़िन्दगी

60 Love

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hariom trivedi

 "मधुशाला"की चौथी रचना

"मधुशाला"की चौथी रचना #nojotophoto

10 Love

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SANDIP GARKAR

पाठ 1 इयत्ता चौथी

पाठ 1 इयत्ता चौथी

30 Views

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Ek villain

कोविड-19 री लहर की तेजी से कम होने के साथ-साथ चौथी लहर के कयास भी लगाए जाने लग रहे हैं लेकिन बड़े भगवान व टीकाकरण और तीसरी लहर के दुनिया के अन्य देशों के मुकाबले भारत में कम प्रभाव के कारण स्वास्थ्य मंत्रालय इसको लेकर आना निश्चित नजर आ रहे हैं मंत्रालय के लिए शीर्ष अधिकारी ने इस सवाल संबंध में पूछा गया तो उनकी चुटकी लेते हुए कहा कि यदि सरकार चार विशेषज्ञ को टीवी चैनलों पर खुलेआम बोलने की अनुमति दे दी थी यार तत्काल आ जाएगी दरअसल उनका इन विशेषज्ञों की ओर से हर दिन दिए जाने वाले अलग-अलग बयानों की ओर जिसने दूसरी लहर के दौरान लोगों को आश्वस्त करने के लिए बजाए अफरा-तफरी का माहौल बनाने में योगदान दिया इसके सबक लेते ही फिशरीज लहर के दौरान में हिंद विशेषज्ञों के बयानबाजी करने पर टीवी पर बहस में जाने के रोक दिया गया वरिष्ठ अधिकारी का कहना था कि इसकी वजह से तीसरे लहर के दौरान देश में कहीं भी अफरा-तफरी का माहौल देखने को नहीं मिला उनका आशीष साहब द कि चैनलों की टीआरपी की आधी दौड़ में सरकार एवं देने वालों को काबू में रखने की महत्वपूर्ण योजना उठा रही है

©Ek villain #चौथी लहर कब

#Nofear

#चौथी लहर कब #Nofear #Society

9 Love

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river_of_thoughts

Life is too short.. चल पड़ूं यूं ही
या दिल-वो-कदम रहूं थाम 
कि होगी बहुत जल्दबाजी अभी
या दम-ए-बाद-ए-सबा 
है बाक़ी अब भी ... ?

साया-ए-जिस्म ही जानता है
साया-ए-जिस्म को ही है खबर
जेहन-वो-जिगर में मेरे
बसा तू किस कदर।
@manas_pratyay #Life@shadow #कविताई #कविता #कवितांश

Life@shadow कविताई कविता कवितांश

6 Love

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river_of_thoughts

Standing near the window, I saw कुछ भी ठीक नहीं, पर
इतना है जरूर
जीवन गतिमान,.बहा जा रहा
अनवरत...
स्तब्ध खड़ा मूकदर्शक मैं,
देख रहा प्रश्नगत...!
               @manas_pratyay देख_रहा_प्रश्नगत
#कविताई #कविता
@manas_pratyay©ratan_kumar

देख_रहा_प्रश्नगत कविताई कविता @manas_pratyay©ratan_kumar

7 Love

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river_of_thoughts

 #तज़ाद
#कविताई #कविता
@manas_pratyay©gulam_yazdani

तज़ाद कविताई कविता @manas_pratyay©gulam_yazdani

4 Love

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river_of_thoughts

Trust me  HER STEP

भरोसा -जो एक बार टूटे तो, दुबारा नहीं होता। 
फिर भी, भरोसा करना पड़ता है- 
मजबूरी है या, इसे समझौता कह लो!
और, समझौता ज़िन्दगी है।
 
फिर कमिटमेंट से आदमी का विचलन!... 
आदमी का स्वभाव।

 दोनों, एक-दूसरे से जुड़े हैं।



                                  @manas_pratyay #Life @commitment_n_compromise #कविताई #कविता 
©ratan_kumar

#Life @commitment_n_compromise #कविताई #कविता ©ratan_kumar

7 Love

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river_of_thoughts

#break_up @gulmohar
ढूंढते किसी गुल मोहम्मद का अकाउंट
सर्चलिस्ट में व्हाट्सऐप के 
निकल आए इमेज वो सारे 
फूल- अमलतास, गुलमोहर के!
इनके संग ही, बह निकली- 
सौंधी-सुखन तेरी यादों की महक से सराबोर हवा भी 
फिज़ाओं में हर्षों, गूंजती वो बात-सी -
गुलमोहर तुम्हें अच्छे लगते!
हां, तुमने ही चाहा था
रोप सको इक पौध गुलमोहर का...
पर, बताओ तो, पौध वो गुलमोहर का
क्या हो पाया दरख्त...?        @manas_pratyay #BreakUp@gulmohar #कविताई #कविता
©ratan_kumar

BreakUp@gulmohar कविताई कविता ©ratan_kumar

14 Love

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river_of_thoughts

#कविताई #कविता #कभी_वो_बदल_जाता_है_दिल
@manas_pratyay©jockey

कविताई कविता कभी_वो_बदल_जाता_है_दिल @manas_pratyay©jockey

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river_of_thoughts

Under the sky फिर ठिठक दोनों, यूँ ही, अचानक!
देखते रहे...
अनंत संभावना-समन्दर और
निस्सार-प्रतिफलन-आकाश
मिलते थे वहाँ 
निर्वात वह "यूटोपिया" है, जगत में, और
स्वपन-आभास हकीकत नहीं, 
सहमत हुए दोस्त।
                 @manas_pratyay #Sky@nissaar_pratifalan #कविताई #कविता
©ratan_kumar

Sky@nissaar_pratifalan कविताई कविता ©ratan_kumar

8 Love

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river_of_thoughts

I feel loved when अक्सरहां, एन०एच० किनारे, 
दरख़्त-टहनियों पर प्रच्छन्न
गुलमोहर-रंगी छांव के नीचे
यादों की क्या, इसी दरिया में
तिरता ही रहता है 
कभी खींचा गया वो सेल्फी भी मेरा, 
गुलमोहरिया ही बैकग्राउंड वाला...?

               @manas_pratyay #Love@gulmohar #कविताई #कविता
©ratan_kumar

Love@gulmohar कविताई कविता ©ratan_kumar

6 Love

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river_of_thoughts

Feelings never ends but, मैं रहूँ ना रहूँ
मेरी मौज़ूदगी जेहन से हटा नहीं पाओगे-
जब कभी तुम
रहो नीरव अकेले
या भड़ी भीड़ हो जाओ ग़ुम
धड़कनों की धक़-ध़क में तब
मुझे ही तो पाओगे

@manas_pratyay #feelings #कविताई #कविता 
@manas_pratyay©ratan_kumar

feelings कविताई कविता @manas_pratyay©ratan_kumar

5 Love

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Jitendra Kumar Som

चौथी पुतली कामकंदला की कहानी

चौथे दिन जैसे ही राजा सिंहासन पर चढ़ने को उद्यत हुए पुतली कामकंदला बोल पड़ी, रूकिए राजन, आप इस सिंहासन पर कैसे बैठ सकते हैं? यह सिंहासन दानवीर राजा विक्रमादित्य का है। क्या आप में है उनकी तरह विशेष गुण और त्याग की भावना? 

राजा ने कहा- हे सुंदरी, तुम भी विक्रमादित्य की ऐसी कथा सुनाओ जिससे उनकी विलक्षणता का पता चले। 

पुतली बोली, सुनो राजन, एक दिन राजा विक्रमादित्य दरबार को संबोधित कर रहे थे, तभी किसी ने सूचना दी कि एक ब्राह्मण उनसे मिलना चाहता है। विक्रमादित्य ने कहा कि ब्राह्मण को अंदर लाया जाए। विक्रमादित्य ने उसके आने का प्रयोजन पूछा।
ब्राह्मण ने कहा कि वह किसी दान की इच्छा से नहीं आया है, बल्कि उन्हें कुछ बताने आया है। उसने बताया कि मानसरोवर में सूर्योदय होते ही एक खंभा प्रकट होता है जो सूर्य का प्रकाश ज्यों-ज्यों फैलता है ऊपर उठता चला जाता है और जब सूर्य की गर्मी अपनी पराकाष्ठा पर होती है तो वह साक्षात सूर्य को स्पर्श करता है। ज्यों-ज्यों सूर्य की गर्मी घटती है, छोटा होता जाता है तथा सूर्यास्त होते ही जल में विलीन हो जाता है। 

विक्रमादित्य के मन में जिज्ञासा हुई कि आखिर वह कौन है। ब्राह्मण ने बताया कि वह भगवान इन्द्र का दूत बनकर आया है। देवराज इन्द्र का आपके प्रति जो विश्वास है आपको उसकी रक्षा करनी होगी। 

आगे उसने कहा कि सूर्य देवता को घमंड है कि समुद्र देवता को छोड़कर पूरे ब्रह्मांड में कोई भी उनकी गर्मी को सहन नहीं कर सकता। देवराज इन्द्र उनकी इस बात से सहमत नहीं हैं। उनका मानना है कि उनकी अनुकम्पा प्राप्त मृत्युलोक का एक राजा सूर्य की गर्मी की परवाह न करके उनके निकट जा सकता है। वह राजा आप हैं।
राजा विक्रमादित्य को अब सारी बात समझ में आ गई। उन्होंने सोच लिया कि प्राणोत्सर्ग करके भी सूर्य भगवान को समीप से जाकर नमस्कार करेंगे तथा देवराज के उनके प्रति विश्वास की रक्षा करेंगे। 

उन्होंने ब्राह्मण को समुचित दान-दक्षिणा देकर विदा किया तथा अपनी योजना को कार्य-रूप देने का उपाय सोचने लगे। भोर होने पर दूसरे दिन वे अपना राज्य छोड़कर चल पड़े। एकांत में उन्होंने मां काली द्वारा प्रदत्त दोनों बेतालों का स्मरण किया। दोनों बेताल तत्क्षण उपस्थित हो गए। 

विक्रम को दोनों बेताल ने बताया कि उन्हें उस खंभे के बारे में सब कुछ पता है। दोनों बेताल उन्हें मानसरोवर के तट पर लाए। रात उन्होंने हरियाली से भरी जगह पर काटी और भोर होते ही उस जगह पर नजर टिका दी, जहां से खंभा प्रकट होता। सूर्य की किरणों ने जैसे ही मानसरोवर के जल को छुआ, एक खंभा प्रकट हुआ।
विक्रमादित्य तुरंत तैरकर उस खंभे तक पहुंचे। खंभे पर जैसे विक्रमादित्य चढ़े जल में हलचल हुई और लहरें उठकर विक्रम के पैर छूने लगीं। ज्यों-ज्यों सूर्य की गर्मी बढी़, खंभा बढ़ता रहा। दोपहर आते-आते खंभा सूर्य के बिल्कुल करीब आ गया। तब तक विक्रम का शरीर जलकर बिलकुल राख हो गया था। सूर्य भगवान ने जब खंभे पर एक मानव को जला हुआ पाया, तो उन्हें समझते देर नहीं लगी कि विक्रम को छोड़कर कोई दूसरा नहीं होगा। उन्होंने भगवान इन्द्र के दावे को बिल्कुल सच पाया। 

उन्होंने अमृत की बूंदों से विक्रम को जीवित किया तथा अपने स्वर्णकुंडल उतारकर भेंट कर दिए। उन कुंडलों की यह विशेषता थी कि कोई भी इच्छित वस्तु वे कभी भी प्रदान कर देते। सूर्य देव ने अपना रथ अस्ताचल की दिशा में बढ़ाया तो खंभा घटने लगा। 

सूर्यास्त होते ही खंभा पूरी तरह घट गया और विक्रम जल पर तैरने लगे। तैरकर सरोवर के किनारे आए और दोनों बेतालों का स्मरण किया। बेताल उन्हें फिर उसी जगह लाए जहां से उन्हें सरोवर ले गए थे।
विक्रम पैदल अपने महल की दिशा में चल पड़े। कुछ ही दूर पर एक ब्राह्मण मिला जिसने बातों-बातों में कुण्डल मांग लिए। विक्रम ने बिना एक पलकी देरी किए बेहिचक उसे दोनों कुंडल दे दिए। 

पुतली बोली- बोलो राजन, क्या तुम में है वह पराक्रम कि सूर्य के नजदीक जाने की हिम्मत कर सको? और अगर चले जाओ तो देवों के देव सूर्यदेव के स्वर्णकुंडल किसी साधारण ब्राह्मण को दे सको? अगर हां तो इस सिंहासन पर तुम्हारा स्वागत है। 

राजा पेशोपेश में पड़ गया और इस तरह चौथा दिन भी चला गया। पांचवे दिन पांचवी पुतली लीलावती ने सुनाई विक्रमादित्य के शौर्य की गाथा।

©Jitendra Kumar Som
  #holihai चौथी पुतली कामकंदला की कहानी

#holihai चौथी पुतली कामकंदला की कहानी #पौराणिककथा

47 Views

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Rakesh Sonker

जिंदगी (Life)....

जिसको चाहा उसको पा ना सके 
जो मिला उसको हम सहेज ना सके..!
जिंदगी का फलसफा ही कुछ और है दोस्तो मांगो कुछ और मिलता कुछ और....!!

जिंदगी में कई लोग मुझे नीचा दिखाने के मकसद से आए..!
इसलिए वो आज तक मेरे दिल में जगह ना बना पाए..!!
                  #मेरी कलम से 🖋️❣️ #NojotoQuote मेरी चौथी स्वरचित पंक्तियां ❣️🖋️

मेरी चौथी स्वरचित पंक्तियां ❣️🖋️

7 Love

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Jitendra Kumar Som

चौथी पुतली कामकंदला की कहानी

चौथे दिन जैसे ही राजा सिंहासन पर चढ़ने को उद्यत हुए पुतली कामकंदला बोल पड़ी, रूकिए राजन, आप इस सिंहासन पर कैसे बैठ सकते हैं? यह सिंहासन दानवीर राजा विक्रमादित्य का है। क्या आप में है उनकी तरह विशेष गुण और त्याग की भावना? 

राजा ने कहा- हे सुंदरी, तुम भी विक्रमादित्य की ऐसी कथा सुनाओ जिससे उनकी विलक्षणता का पता चले। 

पुतली बोली, सुनो राजन, एक दिन राजा विक्रमादित्य दरबार को संबोधित कर रहे थे, तभी किसी ने सूचना दी कि एक ब्राह्मण उनसे मिलना चाहता है। विक्रमादित्य ने कहा कि ब्राह्मण को अंदर लाया जाए। विक्रमादित्य ने उसके आने का प्रयोजन पूछा।
ब्राह्मण ने कहा कि वह किसी दान की इच्छा से नहीं आया है, बल्कि उन्हें कुछ बताने आया है। उसने बताया कि मानसरोवर में सूर्योदय होते ही एक खंभा प्रकट होता है जो सूर्य का प्रकाश ज्यों-ज्यों फैलता है ऊपर उठता चला जाता है और जब सूर्य की गर्मी अपनी पराकाष्ठा पर होती है तो वह साक्षात सूर्य को स्पर्श करता है। ज्यों-ज्यों सूर्य की गर्मी घटती है, छोटा होता जाता है तथा सूर्यास्त होते ही जल में विलीन हो जाता है। 

विक्रमादित्य के मन में जिज्ञासा हुई कि आखिर वह कौन है। ब्राह्मण ने बताया कि वह भगवान इन्द्र का दूत बनकर आया है। देवराज इन्द्र का आपके प्रति जो विश्वास है आपको उसकी रक्षा करनी होगी। 

आगे उसने कहा कि सूर्य देवता को घमंड है कि समुद्र देवता को छोड़कर पूरे ब्रह्मांड में कोई भी उनकी गर्मी को सहन नहीं कर सकता। देवराज इन्द्र उनकी इस बात से सहमत नहीं हैं। उनका मानना है कि उनकी अनुकम्पा प्राप्त मृत्युलोक का एक राजा सूर्य की गर्मी की परवाह न करके उनके निकट जा सकता है। वह राजा आप हैं।
राजा विक्रमादित्य को अब सारी बात समझ में आ गई। उन्होंने सोच लिया कि प्राणोत्सर्ग करके भी सूर्य भगवान को समीप से जाकर नमस्कार करेंगे तथा देवराज के उनके प्रति विश्वास की रक्षा करेंगे। 

उन्होंने ब्राह्मण को समुचित दान-दक्षिणा देकर विदा किया तथा अपनी योजना को कार्य-रूप देने का उपाय सोचने लगे। भोर होने पर दूसरे दिन वे अपना राज्य छोड़कर चल पड़े। एकांत में उन्होंने मां काली द्वारा प्रदत्त दोनों बेतालों का स्मरण किया। दोनों बेताल तत्क्षण उपस्थित हो गए। 

विक्रम को दोनों बेताल ने बताया कि उन्हें उस खंभे के बारे में सब कुछ पता है। दोनों बेताल उन्हें मानसरोवर के तट पर लाए। रात उन्होंने हरियाली से भरी जगह पर काटी और भोर होते ही उस जगह पर नजर टिका दी, जहां से खंभा प्रकट होता। सूर्य की किरणों ने जैसे ही मानसरोवर के जल को छुआ, एक खंभा प्रकट हुआ।
विक्रमादित्य तुरंत तैरकर उस खंभे तक पहुंचे। खंभे पर जैसे विक्रमादित्य चढ़े जल में हलचल हुई और लहरें उठकर विक्रम के पैर छूने लगीं। ज्यों-ज्यों सूर्य की गर्मी बढी़, खंभा बढ़ता रहा। दोपहर आते-आते खंभा सूर्य के बिल्कुल करीब आ गया। तब तक विक्रम का शरीर जलकर बिलकुल राख हो गया था। सूर्य भगवान ने जब खंभे पर एक मानव को जला हुआ पाया, तो उन्हें समझते देर नहीं लगी कि विक्रम को छोड़कर कोई दूसरा नहीं होगा। उन्होंने भगवान इन्द्र के दावे को बिल्कुल सच पाया। 

उन्होंने अमृत की बूंदों से विक्रम को जीवित किया तथा अपने स्वर्णकुंडल उतारकर भेंट कर दिए। उन कुंडलों की यह विशेषता थी कि कोई भी इच्छित वस्तु वे कभी भी प्रदान कर देते। सूर्य देव ने अपना रथ अस्ताचल की दिशा में बढ़ाया तो खंभा घटने लगा। 

सूर्यास्त होते ही खंभा पूरी तरह घट गया और विक्रम जल पर तैरने लगे। तैरकर सरोवर के किनारे आए और दोनों बेतालों का स्मरण किया। बेताल उन्हें फिर उसी जगह लाए जहां से उन्हें सरोवर ले गए थे।
विक्रम पैदल अपने महल की दिशा में चल पड़े। कुछ ही दूर पर एक ब्राह्मण मिला जिसने बातों-बातों में कुण्डल मांग लिए। विक्रम ने बिना एक पलकी देरी किए बेहिचक उसे दोनों कुंडल दे दिए। 

पुतली बोली- बोलो राजन, क्या तुम में है वह पराक्रम कि सूर्य के नजदीक जाने की हिम्मत कर सको? और अगर चले जाओ तो देवों के देव सूर्यदेव के स्वर्णकुंडल किसी साधारण ब्राह्मण को दे सको? अगर हां तो इस सिंहासन पर तुम्हारा स्वागत है। 

राजा पेशोपेश में पड़ गया और इस तरह चौथा दिन भी चला गया। पांचवे दिन पांचवी पुतली लीलावती ने सुनाई विक्रमादित्य के शौर्य की गाथा।

©Jitendra Kumar Som
  #me चौथी पुतली कामकंदला की कहानी

#me चौथी पुतली कामकंदला की कहानी #पौराणिककथा

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river_of_thoughts

Feelings never ends but,  वह दिन 'अक्तूबर बाईस' 
किस तरह ब्लैक होल-सा 
सदियों, सालों, शब-ओ-रोजों, 
बीते वक्त के सभी स्याह-चमकीले रंगों को 
कर गया समाहित 
उस एक पल में,
उस एक शब्द-बीज में...
चला गया तू, निकल आया मैं, 
बस,रह गया -
घुप्प अंधेरा सघन
और अब निश्शब्द ...खामोशी...!!
@manas_pratyay अहसास_खत्म_नहीं_होते_कभी_फिर_भी
#कविताई #कविता
#खामोशी
@manas_pratyay©ratan_kumar

अहसास_खत्म_नहीं_होते_कभी_फिर_भी #कविताई #कविता #खामोशी @manas_pratyay©ratan_kumar

5 Love

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river_of_thoughts

To be with you  वो कहते हैं 
होंगी मुकम्मल 
तेरी तमाम ख्वाहिशें...
बताना तुम, गर लाज़िमी लगे
क्योंकर मैं नहीं वहाँ कि जहाँ तू है-
यही खलिश-ए-जिगर, 
लेकर हासिल
जिन्दगी अब किस मंजर पर ठहरे?
पथराई आँखें हैं 
इन्तज़ार में...
@manas_pratyay #Love@shadow #कविताई #कविता #कवितांश 
© ratan_kumar

Love@shadow कविताई कविता कवितांश © ratan_kumar

13 Love

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river_of_thoughts

Let me love you हां, दिखला सकता तुझे 
वो अलहदा दुनिया जहां -
लेकर तेरा साथ और बेफिक्र आवारगी
निकल सकता मैं कहीं भी
तुझे बिठाकर उस तख़्त-वो-ताज पर
बिछा सकता हृदय अपना
सिर्फ... तुम्हारे लिए।
अगर तू करे हां तो करूं वादा
न रहने दूं कभी भी तुझे तन्हा !


@manas_pratyay #Love@shadow #कविताई #कविता #कवितांश
© ratan_kumar

Love@shadow कविताई कविता कवितांश © ratan_kumar

4 Love

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river_of_thoughts

चलें हम सब भी उसके साथ !

नहीं रोको कोई उसे / जाने दो,
नहीं छीनों उससे मशाल।
और दियासलाई की तीली -
तय मानो कि वह
नहीं लगाएगा आग
किसी झोपड़ी... या /किसी के पेट में -
इसीलिए दोस्तों!
नहीं रोको कोई उसे /जाने दो -
अंधकार के खिलाफ
लड़ना है तो 
चलें हम सब भी /उसके साथ
लेकर
एक एक मशाल /अपने अपने
हाथों में -
              - यमुना प्रसाद बसाक #JusticeAndRevenge #कविताई #कविता #चलें_हम_सब_भी_उसके_साथ 
@manas_pratyay©yamuna_prasad_basak

JusticeAndRevenge कविताई कविता चलें_हम_सब_भी_उसके_साथ @manas_pratyay©yamuna_prasad_basak

7 Love

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river_of_thoughts

Be natural because शेड्स कई
रंगों के बदल-बदल
चलता हुआ चेहरा
ठहरता है जब
अपना असल चेहरा तब
अपना-सा रहता नहीं
चेहरे पर
जमाने के रंगों का असर
है कुछ इस तरह -
@manas_pratyay #natural 
#कविताई #कविता
#चलता_हुआ_चेहरा
@manas_pratyay©ratan_kumar

natural कविताई कविता चलता_हुआ_चेहरा @manas_pratyay©ratan_kumar

15 Love

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ashok polake

या महिन्यात कोरोनाची चौथी लाट येणारच नाही

या महिन्यात कोरोनाची चौथी लाट येणारच नाही #शिक्षण

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 करवा चौथ
********* 
परंपरानुसार बढ़ाकर आगे रिवाजों से 
विभूषित पवित्र पर्व को एक नारी धर्म 
अपना युगो-युगो से निभाती आई,
करके साज श्रृंगार सज संवर कर रहती 
नारी लेकर निर्जल व्रत का प्रण अपने 
जीवन साथी की रक्षा हेतु कामना करती 
आई,सौलह श्रृंगार करके अर्पित माँ गौरी 
को प्रसन्न कर पूजन वो करती आई, 
कष्ट सहकर वो नारी अन्न जल त्याग कर 
उपवास नियम निभाती आई, 
करती इंतजार चंद्र छवि का ढ़के बादलों 
की चादर में उत्सुकता से भरपूर वो नारी,
करके छलनी से चंद्र दर्शन जीवन साथी
की सलामती की कामना करते हुए अरख 
वो चंद्र देव को चढ़ाती करके ग्रहण जल 
उपवास का परायण करती वो नारी,
यूँ नहीं आज भी वो नारी सती सावित्री
की मूरत कहलाती,
 आप सभी को करवा चौथ की हार्दिक शुभकामनाये 🙏😊
पहली रचना 
करवा चौथ 
कविता
#जन्मदिनकोराकाग़ज़ #KKजन्मदिनमहाप्रतियोगिता #KKजन्मदिन #KKजन्मदिन_1 #

आप सभी को करवा चौथ की हार्दिक शुभकामनाये 🙏😊 पहली रचना करवा चौथ कविता #जन्मदिनकोराकाग़ज़ #KKजन्मदिनमहाप्रतियोगिता #KKजन्मदिन #KKजन्मदिन_1 # #कोराकाग़ज़ #collabwithकोराकाग़ज़ #KKHBD2022

9 Love

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