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कवि अजय जयहरि कीर्तिप्रद
#NationalYouthDay बाजुओं में दम कभी ! न , कुछ खोने का ; गम रहा फिर भी , बाजुओं में ; हमारे दम रहा उबल रहा , नसों का ; खून अब भी जोश बनके हमारा हौसला , कभी भी ; न किसी से कम रहा कवि अजय जयहरि कीर्तिप्रद बाजुओं में दम.....कीर्तिप्रद
Pravin Holkar
शीर्षक - "तुम कहाँ नहीं हो" मेरी सुबह में तुम हो, मेरी शाम में तुम हो, मेरे दिन में तुम हो, मेरी रात में तुम हो, ----- ----- (पूरी कविता नीचे कैप्शन में पढ़िए) मेरी सुबह में तुम हो, मेरी शाम में तुम हो, मेरे दिन में तुम हो, मेरी रात में तुम हो, मेरे अंदर तुम हो, मेरे बाहर तुम हो,
अंदाज़ ए बयाँ...
तुम मेरी चाहत हो, तुम ही आरज़ू हो, तुम मेरा जीवन, संसार तुम ही तुम हो. पलकें उठीं तो तुम, झुकी तो तुम हो, तुम मेरी आँखे, मेरे ख़्वाब तुम ही तुम हो. तुम हो तो मैं हूँ, मैं हूँ तेरा साया, तुम बिन मैं क्या हूँ, मुझमें तुम ही तुम हो. तुम मेरे दिल में, धड़कनों में तुम हो, तुम मेरी हर बात में, आवाज़ में तुम ही तुम हो. तुम हो मेरे दिन में, मेरी रात में तुम हो, तुम हो सुख दुःख में, हर जज़्बात में तुम ही तुम हो. तुम मेरे गीतों में, मेरे साज़ में तुम हो, तुम मेरे अंत में, आग़ाज़ में तुम ही तुम हो. तुम ही पुष्प पुजा के, तुम ही मेरी पुजा हो, तुम मेरी श्रद्धा, मेरे भगवान तुम ही तुम हो. रविकुमार... तुम मेरी चाहत हो, तुम ही आरज़ू हो, तुम मेरा जीवन, संसार तुम ही तुम हो. पलकें उठीं तो तुम, झुकी तो तुम हो, तुम मेरी आँखे, मेरे ख़्वाब तुम ही
Naveen
मेरे मन में तुम हो, मेरा दिल भी तुम हो , हर जगह तुम, मेरी शायरी में तुम ! एक चाय हों, तुम हो और साथ कुछ बाते , प्यार हो, सपने हो और सपनो में तुम हो ! फूल हो, खुसबू हो और खुसबू में तुम हो , दर्द हों, मलहम हों और मलहम मे तुम हों ! वायु हो साँस हो और साँसों में तुम हो , खेत हो फ़सल हो हर दाने में तुम हो ! मेरे खाने में तुम हो, मेरे खिलाने में तुम हो , जहां में देखू वहां तुम, जहान तुम हो ! मेरे मन में तुम हो मेरा दिल भी तुम हो , हर जगह तुम, मेरी शायरी में तुम ! ©Naveen Diariess मेरे मन में तुम हो, मेरा दिल भी तुम हो , हर जगह तुम, मेरी शायरी में तुम ! एक चाय हों, तुम हो और साथ कुछ बाते , प्यार हो, सपने हो और सपनो
Gopal Singh झिकराम
दिल के कोने से एक आवाज आती है हमें हर पल उसकी याद आती है दिल पूछता है बार-बार हमसे कि जितना हम याद करतें है उन्हें, क्या उन्हें भी हमारी याद आती है दिल में हो तुम
Roshni keshari
दिल में हो तुम यादों में हो तुम मेरे बीते हर ख्वाबों में हो तुम... तुझमें खो जाऊं तुझमें ही जियू क्योंकि मेरी हर सांसों में हो तुम... तुम मेरे अंदर गीत ग़ज़ल बंद रहते हो मेरी हर बीते एहसासों की कहानी हो तुम... हर पल हर क्षण मन के अंदर देखा करती हूं तुमको पलके झुकाऊ तो हर आंसू की तस्वीर में हो तुम... दिल की हर धड़कन तेरी खुशबू महसूस करती हैं दूर होकर भी बस नजदीक हो तुम... जिस्म भी तुम जान भी हो तुम मेरी जिंदगी की हर पहचान हो तुम... रोशनी केसरी असिस्टेंट प्रोफेसर मेवार यूनिवर्सिटी ©Roshni keshari दिल में हो तुम....
ankit saraswat
मेरी आत्मा बन जाओ। मैं इस दुनिया से खो जाऊँ, तुम मुझमें खो जाओ।। #अंकित सारस्वत # #दिल में हो तुम