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Krishna Rai
Gufran jameel
#insan #zindagi इन्सान की ज़िन्दगी एक ख़ाली पड़ी ज़मीन की तरह है। या तो आप इस ज़मीन पर नैक आमाल की फ़सल उगाने के लिए भरपूर मेहनत और उसकी निग
Kajal The Poetry Writer
प्रेम, परवरिश और परवाह ये तीनों ऐसे शब्द हैं,, जो इंसान के जीवन को रातरानी सा महका सकते हैं।। या फिर नागफनी सा कांटेदार।। जो देखने में कितने भी खूबसूरत हो। पर उनका स्पर्श उनकी वास्तविकता को जगजाहिर कर देता हैं। क्योंकि परिवार से सीखी प्रेम की भावना व्यक्ति को सराहना दिलाती हैं। बचपन में माता –पिता से मिली परवरिश उसे जीवन के हर मोड़ पर मिलने वाले राहगीर का सम्मान करना सीखा देती हैं।।।और परवाह,, इंसान को ऐसा व्यक्तित्व बनाती हैं,, जो आपनो की जान,, बड़ो का मान। हर किसी के दिल पर राज करने के योग्य बना देती हैं।। ©KAJAL The poetry writer प्रेम, परवरिश और परवाह ये तीनों ऐसे शब्द हैं,, जो इंसान के जीवन को रातरानी सा महका सकते हैं।। या फिर नागफनी सा कांटेदार।। जो देखने में कि
Pushpvritiya
बदला तो ज्यादा कुछ नहीं था, हाँ.......कुछ सड़कें पक्की हो गई थी, "फूस" की जगह छप्परों पर "खपरैल" आ गए थे..... नाशपाती के बागानों के "बाड़" ऊंचे हो गए थे और महाशय की "आई बी" जीर्ण शीर्ण मिली..... अरे हां और वो काका काकी..जो लकड़ी के चुल्हे पर की दाल पकाकर ला दिया करते थे, समय चक्र ने उन्हें लील लिया था.... एक और बात गौरतलब थी.. .बंदरों की "संतति" आशातीत बढ़ी थी...और व्यवहार "मानवीय" लग रहे थे.... बच्चों का "उत्साह" वैसा ही जैसा "तेरह वर्ष" पहले मेरे भीतर था..... नेतरहाट की "यात्रा".... "महाशय" के साथ.... "बाइक" पर.... "हमारा बजाज" के ऐड पर "अभिनय" करते हुए........ वही जंगलों-पहाड़ों के मध्य से गुज़रते रास्ते.... वही "सुकून" की हवा....वही "शांति" की अनुभूति....वही "सूर्यास्त"...कुछ सिखाता हुआ....वही "सूर्योदय".....कुछ जगाता हुआ.... "नेतरहाट....एक संस्मरण" वर्षों पूर्व लिखने की "सोची" थी...उस सोच को "शब्द" मिले "कच्चे-पक्के" से...... कुछ "भुल" गई.... कुछ "याद" रहा...कुछ "समेट" लाई...कुछ "छूट" गया........ @पुष्पवृतियां . . ©Pushpvritiya बदला तो ज्यादा कुछ नहीं था, हाँ.......कुछ सड़कें पक्की हो गई थी, "फूस" की जगह छप्परों पर "खप
Pramod Kumar
Sudha Tripathi
छठ पूजा कार्तिक शुक्ल पक्ष षष्ठी तिथि को मनाया जाता है निर्जला व्रत किया जाता है ,प्रसाद रखने के लिए बांस की बड़ी टोकरियाँ बांस या फिर पीतल का सूप दूध अर्घ् के लिये गन्ने शकरकन्द पान, सुपारी,हल्दी मूली, अदरक का हरा पौधा बड़ा मीठा नींबू शरीफा, केला और नाशपाती पानी वाला नारियल मिठाई गुड़ गेंहू चावल और आटे से बना ठेकुआ चावल ,सिंदूर ,दीपक ,शहद और धूप नए वस्त्र जैसे धोती या साड़ी उपयोग में लाए जाते हैं चार दिन तक चलने वाले इस महापर्व की शुरुवात नहाय खाय से होती है इस दिन व्रती स्नान कर नए वस्त्र धारण कर पूजा के बाद चना दाल,कद्दू की सब्जी और चावल को प्रसाद के तौर पर ग्रहण करते हैं व्रती के भोजन करने के बाद परिवार के सभी सदस्य भोजन ग्रहण करते हैं ,छठ पूजा के दूसरे दिन खरना के नाम से जाना जाता है जिस दिन पूरे दिन निर्जला व्रत होता है और शाम के समय लकड़ी के चूल्हे पर गुड़ का खीर बनाकर उसे प्रसाद के तौर पर खाती हैं महिलाओं का 36 घण्टे का निर्जला उपवास शुरू हो जाता है पौराणिक कथाओं के अनुसार मान्यता है कि खरना पूजा के बाद ही छठी मैया का घर मे आगमन होता है ,छठ पूजा के तीसरे दिन तक व्रती निर्जला उपवास रखते हैं साथ ही छठ पूजा का प्रसाद तैयार करते हैं ,शाम के समय नए वस्त्र धारण कर परिवार संग किसी नदी या तालाब पर पानी मे खड़े होकर डूबते हुए सूरज को अर्ध्य देते हैं तीसरे दिन का निर्जला उपवास रात भर जारी रहता है . छठ पूजा के चौथे दिन पानी मे खड़े होकर उगते यानि उदयमान सूर्य को अर्ध्य दिया जाता है.इसे उषा अर्ध्य या पारण दिवस भी कहा जाता है अर्ध्य देने के बाद व्रती एक दूसरे को प्रसाद देकर व्रत खोलते है .36 घण्टे का व्रत सूर्य को अर्ध्य देने के बाद तोड़ा जाता है इस व्रत की समाप्ति सुबह के अर्ध्य यानि दूसरे और अंतिम अर्ध्य को देने के बाद होती हैं इस व्रत मे पवित्रता का विशेष ध्यान रखा जाता है हमारे लिए सबसे बड़ा त्योहार है छठ महापर्व 🙏🙏🙏🙏🙏🙏 ©Sudha Tripathi छठ पूजा कार्तिक शुक्ल पक्ष षष्ठी तिथि को मनाया जाता है निर्जला व्रत किया जाता है ,प्रसाद रखने के लिए बांस की बड़ी टोकरियाँ बांस या फिर पीतल
Sudha Tripathi
छठ पूजा कार्तिक शुक्ल पक्ष षष्ठी तिथि को मनाया जाता है निर्जला व्रत किया जाता है ,प्रसाद रखने के लिए बांस की बड़ी टोकरियाँ बांस या फिर पीतल का सूप दूध अर्घ् के लिये गन्ने शकरकन्द पान, सुपारी,हल्दी मूली, अदरक का हरा पौधा बड़ा मीठा नींबू शरीफा, केला और नाशपाती पानी वाला नारियल मिठाई गुड़ गेंहू चावल और आटे से बना ठेकुआ चावल ,सिंदूर ,दीपक ,शहद और धूप नए वस्त्र जैसे धोती या साड़ी उपयोग में लाए जाते हैं चार दिन तक चलने वाले इस महापर्व की शुरुवात नहाय खाय से होती है इस दिन व्रती स्नान कर नए वस्त्र धारण कर पूजा के बाद चना दाल,कद्दू की सब्जी और चावल को प्रसाद के तौर पर ग्रहण करते हैं व्रती के भोजन करने के बाद परिवार के सभी सदस्य भोजन ग्रहण करते हैं ,छठ पूजा के दूसरे दिन खरना के नाम से जाना जाता है जिस दिन पूरे दिन निर्जला व्रत होता है और शाम के समय लकड़ी के चूल्हे पर गुड़ का खीर बनाकर उसे प्रसाद के तौर पर खाती हैं महिलाओं का 36 घण्टे का निर्जला उपवास शुरू हो जाता है पौराणिक कथाओं के अनुसार मान्यता है कि खरना पूजा के बाद ही छठी मैया का घर मे आगमन होता है ,छठ पूजा के तीसरे दिन तक व्रती निर्जला उपवास रखते हैं साथ ही छठ पूजा का प्रसाद तैयार करते हैं ,शाम के समय नए वस्त्र धारण कर परिवार संग किसी नदी या तालाब पर पानी मे खड़े होकर डूबते हुए सूरज को अर्ध्य देते हैं तीसरे दिन का निर्जला उपवास रात भर जारी रहता है . छठ पूजा के चौथे दिन पानी मे खड़े होकर उगते यानि उदयमान सूर्य को अर्ध्य दिया जाता है.इसे उषा अर्ध्य या पारण दिवस भी कहा जाता है अर्ध्य देने के बाद व्रती एक दूसरे को प्रसाद देकर व्रत खोलते है .36 घण्टे का व्रत सूर्य को अर्ध्य देने के बाद तोड़ा जाता है इस व्रत की समाप्ति सुबह के अर्ध्य यानि दूसरे और अंतिम अर्ध्य को देने के बाद होती हैं इस व्रत मे पवित्रता का विशेष ध्यान रखा जाता है हमारे लिए सबसे बड़ा त्योहार है छठ महापर्व 🙏🙏🙏🙏🙏🙏 छठ पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं ©Sudha Tripathi छठ पूजा कार्तिक शुक्ल पक्ष षष्ठी तिथि को मनाया जाता है निर्जला व्रत किया जाता है ,प्रसाद रखने के लिए बांस की बड़ी टोकरियाँ बांस या फिर पीतल
अशेष_शून्य
// मेरा क्या ? // ~© अंजली राय आज बरसों से जिस कमरे में रह रही हूं उसकी दीवारों पर खींची एक एक लकीर पूछ रही है कि ये सब तुम्हारा है क्या । ये दरीचे ये खिड़कियों के किवा
Pratik Patil Patu
कलियुग के सागर में, चली मेरी नैया ! Part 1 to 5 Story in caption मैं राजीव शर्मा बचपन में मुझे सब मिस्टर साइंटिफिक बुलाते थे, हर चीज के पीछे का कारण जानने में मुझे बहुत जिज्ञासा थी l इसीलिए, मैं बहुत सवाल