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shayarana andaz hai
व्यंगात्मक लेखन - सोच का तराजू....! (Read caption) _dabbi🌼 Shayarana andaz hai व्यंगात्मक लेखन - सोच का तराज़ू ...। लड़की ने छोटे कपड़े पहने हैं ? या आपकी सोच दूर तक विद्यमान है ? क्या ? क्या कहा ? आप ही सही हैं ? अच्छ
Vikas Sharma Shivaaya'
पतिबरता मैली भली-गले कांच की पोत । सब सखियन मे यो दीपै-ज्यो रवि शीश की जोत ।। संत कबीर जी कहते है कि यदि कोई स्त्री पति व्रता है - तो फिर चाहे उसके गले में सुहाग के नाम पर सिर्फ धागे की एक माला हो या वो तन से मैली भी है, फिर भी वो अपने सभी सखी सहेलियो में सूर्य के किरण सामान चमकती है अथार्त जो स्त्री पतिव्रता है उसे सुन्दर दिखने के लिए किसी भी गहने या बाहरी श्रृंगार की आवश्कता नहीं है। 🙏 बोलो मेरे सतगुरु श्री बाबा लाल दयाल जी महाराज की जय 🌹 ©Vikas Sharma Shivaaya' पतिव्रता
shishpal rajpurohit
तू अपना काम करता चल, 90% पुरुष ठंडा टिफिन खाते है सिर्फ इसलिए ताकि उनका परिवार गर्म खाना खा सके। पुरुष
Geeta Sharma pranay
Expression Depression एक बात पुछनी थी मुझे अपने ही पुरूष-प्रधान देश के पुरुषों से... क्या स्त्री सिर्फ उपभोग की वस्तु हैं, उसकी कोई भावना की कदर ही नहीं,, क्या स्त्री के हृदय -हृदय नहीं, सिर्फ एक माटी का खिलौना हैं जो कोई भी उसके साथ कुछ भी कर सकता हैं,,, पर! किसी के ह्रदय के साथ खेलना , ये कहाँ का पुरुषत्व हैं? यहीं हमारा पुरूष-प्रधान देश है, जो अब स्त्री की रक्षा सिर्फ उसके तन तक ही सीमित है , एक स्त्री सिर्फ उस पुरूष के लिए , उसका प्रेम प्राप्त करने के लिए कुछ भी बन जाती हैं,,, क्या वास्तव में पुरूष का ह्रदय सिर्फ स्त्री के तन को मैला करने के लिए होता हैं, क्या समाज में आज भी हर दायरा सिर्फ स्त्री के लिए हैं,, पुरूष स्त्री के साथ कभी भी कैसा भी व्यवहार कर सकता हैं, उसकी भावनाओं के साथ खिलवाड़ कर सकता हैं, बस! उसका प्रेम स्त्री का प्रेम वासनायुक्त प्रेम हैं, उसके हिरदय में कभी पवित्र प्रेम जन्म नही लेता हैं??? पुरुष
गजेन्द्र द्विवेदी गिरीश
#तुम_पुरुष_हो सुनो, तुम पुरुष हो! तो तुम्हे केवल कर्तव्य निभाने है, घर से लेकर दुनियादारी तक! भीड़ से लेकर चारदीवारी तक!! तुमने जहां बात की अधिकारों की, तो तुम धारा के विपरीत होगे, सामाजिक ताने बाने को तोड़ रहे होगे! सबके तंज का रुख अपनी ओर मोड़ रहे होगे!! तुम कठोर हो तुम सह जाओगे, यही तुम सीखोगे, आगे सिखाओगे, टूटना नहीं है तुम्हे दायरे में रहना है! मान्यताओं के विपरीत नहीं संग रहना है!! कहते हों लोग कि तुमसे प्यार है, तुम्हे ही समाज के सारे अधिकार है, पर इस बहाने बोझ तुम पर ही डाला गया है! अधिकारों के बहाने कर्तव्यों से छला गया है!! पर फिर भी तुम खुश रहते हो, अपने अन्दर ही कहीं गुम रहते हो, छोड़ देते हो कहीं दूर तकलीफों की बातें। कैसे गुजारते हो दिन, कैसे बीतती तुम्हारी रातें।। तुम अपने खोल में ही खुश रहते हो, ऐसे ही दूसरों से खुद को अलग करते हो, अलहदा है यही पहचान तुम्हारी सबसे। ऐसे ही रहो तुम हरदम दुआ है रब से।। ऐसे ही रहो तुम हरदम दुआ है रब से।। पुरुष दिवस की सभी मित्रों को बधाई।। 19.11.2018 पुरुष
Ankit yaduvanshi
असीमित दर्द , सूखी आंखें अनगिनत जिम्मेदारियां पारिवारिक अपेक्षाओं का बोझ दिल में नमी , होठों पर मुस्कान विभिन्न किरदारों में ढल जाता हूं हां , मैं पुरुष कहलाता हूं..! ©Ankit yaduvanshi #पुरुष