Find the Latest Status about लगाते थे from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos about, लगाते थे.
Subhi Singh
गले से लगाते थे, जो आज दूर से ही हाथ जोड़ देते हैं। ©Ayush Yadav गले से लगाते थे, जो आज दूर से ही हाथ जोड़ देते हैं। गले से लगाते थे, जो आज दूर से ही हाथ जोड़ देते हैं।
sunny saini
यूं भी कभी तेरे शहर में आया करेंगे जब कभी दिल से मुझे बुलाया करेंगे वो बात और है क पहले गले लगाते थे अब तो बस हाथ ही मिलाया करेंगे ©Audio Tales Magic ♡ Writer Sunny Saini यूं भी कभी तेरे शहर में आया करेंगे जब कभी दिल से मुझे बुलाया करेंगे वो बात और है क पहले गले लगाते थे अब तो बस हाथ ही मिलाया करेंगे
डॉ.मंजू यादव
इल्जाम तो वो मुझ पर, सरेआम लगाते थे। इस कदर हम गुनाहगार हुए, हर बार उनकी नजर में हम बदनाम नजर आते थे।। इल्जाम तो वो मुझ पर, सरेआम लगाते थे। इस कदर हम गुनाहगार हुए, हर बार उनकी नजर में हम बदनाम नजर आते थे।।
डॉ.मंजू यादव
इल्जाम तो वो मुझ पर, सरेआम लगाते थे। इस कदर हम गुनाहगार हुए, हर बार उनकी नजर में हम बदनाम नजर आते थे।। इल्जाम तो वो मुझ पर, सरेआम लगाते थे। इस कदर हम गुनाहगार हुए, हर बार उनकी नजर में हम बदनाम नजर आते थे।।
शुभी
दौर गज़ब था जब उनको सताते थे, गोद लिया है, ताना हर बार सुनाते थे. (check caption) बचपन में अपने भाई बहन के साथ लगभग सभी लोग झगड़े होंगे, उन्हे सताया होगा. बस ये रचना उसी से प्रेरित है. जुड़ें तो सूचित करें. -------------
vishwadeepak
चला है महफ़िल लूट के कोई, इस तरह, कि ग़मगीन है हर शख्स, मेरी तरह, कल तक जो शान बढ़ाते थे, चार चांद लगाते थे, आज वो अंधेरा करके, जीवन में हमारे, खाक में मिल गए हैं, कुछ इस तरह, ........ ©vishwadeepak #emptiness #चला है महफ़िल लूट के कोई, इस तरह, कि ग़मगीन है हर शख्स, मेरी तरह, कल तक जो शान बढ़ाते थे, चार चांद लगाते थे, आज वो अंधेरा करके,
mukesh6chaudhari12
#5LinePoetry पुराने ज़माने में पत्थर एक दूसरे पर गिस कर आग लगाते थे , अब के जमाने में तो एक दूसरे की बातों से ही आग लग जाती है . ©mukesh chaudhari पुराने #ज़माने में #पत्थर एक दूसरे पर गिस कर आग लगाते थे , अब के जमाने में तो एक दूसरे की बातों से ही #आग लग जाती है .
Atif Mast
बड़ा सुकूं मिलता था,उनकी बाहों में मुझको शायद जिस्म की रूह से मुलाक़ात हो जाती थी कुछ गलत करने का कभी कोई इरादा न रहा मेरा बस रूह को जिस्म से मिलाने को गले लगाते थे बड़ा सुकूं मिलता था,उसकी बाहों में मुझको सब कुछ भुलके अपन
vishwadeepak
बचपन की होली होली थी, यारों संग बनती मस्ती की टोली थी, एक-दूसरे को रंग-अबीर लगाते थे, गिरते और गिराते थे, घर-घर गुजिया खाने जाते थे, यारों संग खुशी मनाते थे, यादों की रह गई अब होली है, वो होली भी क्या होली थी, बचपन की होली होली थी... wish you a very happy and prosperous holi to all my well wishers. ©Deepak Chaurasia #Holi #बचपन की होली होली थी, यारों संग बनती मस्ती की टोली थी, एक-दूसरे को रंग-अबीर लगाते थे, गिरते और गिराते थे, घर-घर गुजिया खाने जाते थे,
vishwadeepak
बचपन की होली होली थी, यारों संग बनती मस्ती की टोली थी, एक-दूसरे को रंग-अबीर लगाते थे, गिरते और गिराते थे, घर-घर गुजिया खाने जाते थे, यारों संग खुशी मनाते थे, यादों की रह गई अब होली है, वो होली भी क्या होली थी, बचपन की होली होली थी... wish you a very happy and prosperous holi to all my well wishers. ©Deepak Chaurasia #बचपन की होली होली थी, यारों संग बनती मस्ती की टोली थी, एक-दूसरे को रंग-अबीर लगाते थे, गिरते और गिराते थे, घर-घर गुजिया खाने जाते थे, यारों