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the ghost
*वन की चिड़िया कहे सुन पिंजरे की चिड़िया रे * "*वन में उड़े दोनों मिलकर *" पिंजरे की चिड़िया कहे बन की चिड़िया रे; पिंजरे में रहना बड़ा सुखकर !! बन की चिड़िया कहे ना .......... मैं पिंजरे में कैद रहूं क्यों कर ;.. पिंजरे की चिड़िया कहे हाय ,; निकलूं मैं कैसे पिंजरा तोड़ कर !!!!! #रविंद्र नाथ टैगोर द्वारा## रचित कविता का एक अंश ... # रविंद्र नाथ टैगोर #RABINDRANATHTAGORE
kittuvishal1
आस्था वो पक्षी है जो सुबह अँधेरा होने पर भी उजाले को महसूस करती है शांतिनिकेतन के संस्थापक महान साहित्यकार, संगीतकार, एवं रास्ट्रीयगान के रचियता तथा नोबेल पुरस्कार विजेता गुरुदेव रविंद्र नाथ टैगोर जी की पुण्यतिथि पर नमन #dikkit ©kittuvishal1 आस्था वो पक्षी है जो सुबह अँधेरा होने पर भी उजाले को महसूस करती है शांतिनिकेतन के संस्थापक महान साहित्यकार, संगीतकार, एवं रास्ट्रीयगान के
Mili Saha
मत सोच तू कमज़ोर है तेरा आह्वान सुन कोई ना आए, तो तू चल अकेला चल अकेला, चल अकेला, चल तू अकेला यह सफ़र है तेरा अपना, मंजिल तक तुझे है पहुंँचना विश्वास रख खुद पर अभी तो तूफानों से भी है तुझे लड़ना। फौलाद कर तू इरादे अपने, एक जुनून जगा दिल में किसी के साथ की आस में क्यों उम्मीदों को है पिघलाना तू खुद ही सारथी बन जा अपने इस सफ़र का राह में आएं मुश्किलें भी तो उनसे क्या है घबराना। ज़रूरी तो नहीं सदा हमारे ही अनुकूल हो परिस्थितियाँ ज़िंदगी का सफ़र है तो लाज़मी है इम्तिहानो का भी होना अंँधेरी राहों में प्रकाश दिखाने को कोई साथ ना हो तो तुम्हें अपनी हिम्मत, अपना प्रकाश स्वयं ही है बनना। मत सोच तू कमज़ोर है, तुझमें भी हौसला बेजोड़ है बस नाउम्मीदी के बादलों में खुद को न घिरने देना कर्म को बना अपना हथियार, तू कभी हार कर मत बैठ छूट गया कारवां पीछे तो छूटने दे, खुद को ना गिरने देना। कोशिश कर बार-बार कर कोशिश कभी बेकार नहीं जाती निष्ठा से कर कर्म योग तू गर लक्ष्य को तुझे है पाना नए जोश, नई उर्जा से हर बार तू एक नया प्रयास तो कर कर्म के दर्पण में दिखेगा ज़रूर तेरी सफलता का पैमाना निष्ठा जिसके प्रयास में वो मुश्किलों से हार नहीं मानता है ज़रूरत नहीं किसी के साथ की अकेले ही मंजिल ढूंँढ लेता है खम ठोंक ठेलता है जब नर, पर्वत के जाते पांव उखड़ मानव जब जोर लगाता है तो पत्थर पानी बन जाता है। ©Mili Saha मत सोच तू कमज़ोर है तेरा आह्वान सुन कोई ना आए, तो तू चल अकेला, चल अकेला, चल अकेला, चल तू अकेला! प्रथम दो पंक्तियांँ 2 पंक्तियां "रविंद्र न
Vandana
हकीकत,, हम दुनिया में उसे ही प्यार कर पाते हैं जो हमारे खराब मूड को झेल पाए,,, पर कुछ रिश्ते ऐसे होते हैं जहां हम अपनी सारी शक्ति लगा देते हैं सारा
Mannu Kumar
रविन्द्र नाथ टैगोर ने स्वतंत्र रहकर सोचने के ताकत के बारे में बताया साथ ही आजादी के स्वर्ग के सपने लेने के लिए प्रेरित किया तकि बीना किसी के डर के सर उठा सके और चल सके ©Mannu Kumar #RABINDRANATHTAGORE विश्व विख्यात दार्शनिक रविन्द्र नाथ टैगोर